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भारतीय सैनिकों और पूर्व सैनिकों का समर्पण अनुकरणीय उदाहरण: राजनाथ

सिंह ने अशोक चक्र विजेता नायब छेरिंग मुतुप (सेवानिवृत्त) और महावीर चक्र विजेता कर्नल सोनम वांगचुक (सेवानिवृत्त) सहित करीब 300 सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ बातचीत में कहा कि देश के प्रति भारतीय सैनिकों और पूर्व सैनिकों का समर्पण एक अनुकरणीय उदाहरण है.

rajnath singh takes stock of situation in eastern Ladakh
राजनाथ ने पूर्वी लद्दाख में स्थिति का जायजा लिया

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Published : Jun 28, 2021, 12:19 AM IST

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath SIngh) ने रविवार को कहा कि देश के प्रति भारतीय सैनिकों और पूर्व सैनिकों का समर्पण एक 'अनुकरणीय उदाहरण' है. लद्दाख की तीन दिवसीय यात्रा (Three Days visit of ladakh) पर पहुंचने के तुरंत बाद उन्होंने यह बात कही. सिंह की यात्रा का मकसद चीन के साथ लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के बीच क्षेत्र में भारत की सैन्य तैयारियों का जायजा लेना है.

अधिकारियों ने बताया कि लेह में रक्षा मंत्री ने लेह, कारगिल और लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के निर्वाचित वरिष्ठ प्रतिनिधियों से बातचीत की. रक्षा मंत्री के साथ सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी थे और इस दौरान सिंह ने सशस्त्र बलों के पूर्व जवानों से भी मुलाकात की और उनके कल्याण तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर से भी बातचीत की. उन्होंने बताया कि सिंह को सुरक्षा बलों की तैनाती से जुड़े विभिन्न पहलुओं के साथ ही शत्रुओं के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए संचालनात्मक तैयारियों से अवगत कराया गया.

सिंह ने अशोक चक्र विजेता नायब छेरिंग मुतुप (सेवानिवृत्त) और महावीर चक्र विजेता कर्नल सोनम वांगचुक (सेवानिवृत्त) सहित करीब 300 सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ बातचीत में कहा कि देश के प्रति भारतीय सैनिकों और पूर्व सैनिकों का समर्पण एक अनुकरणीय उदाहरण है. मैं तहेदिल से सभी का आभार व्यक्त करता हूं. सिंह के कार्यालय ने उनके हवाले से कहा कि हमारा लक्ष्य है कि आप सबकी उसी प्रकार से देखभाल हो, जिस प्रकार से आपने देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली है. इन सब के बावजूद अगर आपको कहीं कोई दिक्कत हो तो उसे दूर करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री चीन के साथ संघर्ष के अनेक स्थानों से सैनिकों को वापस भेजने के अगले चरण में गतिरोध के बीच पूर्वी लद्दाख में भारत की अभियानगत तैयारियों की समग्र समीक्षा करेंगे. उनका इस संवेदनशील इलाके में दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब लंबे समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए दो दिन पहले ही भारत और चीन के बीच नए दौर की बातचीत हुई है. सेना ने ट्वीट किया कि रक्षा मंत्री को सुरक्षा स्थिति और जीओसी फायर एवं फ्यूरी कोर की संचालनात्मक तैयारियों से अवगत कराया गया.

रक्षा मंत्री जमीनी हकीकत का जायजा लेने के लिए अधिक ऊंचाई वाले अड्डों पर और अनेक अहम स्थानों पर जाएंगे और वैमनस्य के वातावरण में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा कर रहे सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाएंगे. भारत और चीन के बीच बनी सहमति के बाद फरवरी में पैंगोंग झील इलाके से दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों, तोपों और अन्य साजो-सामान हटाए जाने के बाद राजनाथ सिंह का पूर्वी लद्दाख का यह पहला दौरा है. संघर्ष के अन्य स्थानों हॉट स्प्रिंग,गोगरा और देपसांग से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया बंद पड़ी है, क्योंकि चीन इन स्थानों से अपने सैनिकों को हटाने का इच्छुक नहीं है.

शुक्रवार को सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक में चीन और भारत ने संघर्ष के अन्य स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए जल्द ही अगले दौर की सैन्य वार्ता करने पर सहमति जताई. भारत ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले वर्ष चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश करने जैसे कदम इस क्षेत्र में जारी सैन्य गतिरोध के लिये जिम्मेदार हैं और ये कदम भारत-चीन द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन भी है.

भारत की यह प्रतिक्रिया तब सामने आई जब चीन ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र में चीन की सैन्य तैनाती भारत के अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है तथा इस क्षेत्र में चीन की सैन्य तैनाती सामान्य रक्षात्मक व्यवस्था है. उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध है. हालांकि, दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी. समझा जाता है कि कुछ क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी गतिरोध बरकरार है.

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पिछले महीने सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे(army chief general mm naravane) ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटे बिना स्थिति सामान्य नहीं हो सकती है और भारतीय सेना क्षेत्र में सभी स्थितियों के लिये तैयार है.

पीटीआई-भाषा

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