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ईटीवी भारत से बोले पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी, 'राहुल बनेंगे पीएम, भाजपा फिरकापरस्त'

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उत्तरप्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने कहा कि कश्मीर में सरदार (Sardar Patel) का कोई इंट्रेस्ट नहीं था. उन्होंने कहा कि एक दिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) देश के प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे, फिलहाल यूपी में बीजेपी को हराने के लिए सभी पार्टियों को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सपोर्ट करना चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी गद्दारों की पार्टी है, जिसका आजादी में कोई रोल नहीं है.

अजीज कुरैशी
अजीज कुरैशी

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Published : Oct 8, 2021, 9:28 PM IST

भोपाल : उत्तरप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजीज कुरैशी ने ईटीवी भारत के स्टेट ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी से खास बातचीत की. इस दौरान कांग्रेस को अगर अपनी वापसी करनी है, तो उसे उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव का साथ देना चाहिए और बाकी अन्य दलों को भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाना होगा. राहुल गांधी एक न एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे,अब वो पप्पू की छवि से बाहर आकर एक गंभीर राजनेता बन चुके हैं. गांधी और सरदार पटेल को भाजपा द्वारा हाईजैक करने के सवाल पर कुरैशी ने कहा कि कश्मीर त्रासदी के लिए सिर्फ सरदार पटेल जिम्मेदार हैं. मैं इसके लिए किसी भी फोरम पर बहस के लिए तैयार हूं.

सवाल- कांग्रेस आज कैसी स्थिति में है, उसे कैसे रिवाइवल करना और कैसे सर्वाइव करना है. इस बारे में कांग्रेस को क्या करना होगा?

जवाब- मैंने पहले भी कहा था कि कांग्रेस खाली पॉलीटिकल पार्टी नहीं है. कांग्रेस एक आंदोलन है, एक इतिहास है, एक संघर्ष है, एक सभ्यता है, एक हिस्ट्री है. आंदोलन कभी मरता नहीं है. ये डेमोक्रेसी का सफर होता है उसके कई पड़ाव होते हैं. किसी पड़ाव पर पार्टी को ताकत मिल जाती है, तो कहीं ताकत खत्म हो जाती है. बहुत पुरानी बात नहीं है, 1984 में लोकसभा के अंदर बीजेपी के सिर्फ दो सांसद थे. उसके बाद चार बार बीजेपी ने सरकार बनाई. कांग्रेस पार्टी वो पार्टी है, जो सौ-सवा सौ साल से लद्दाख से कन्याकुमारी तक हर गांव में हर पंचायत में हर ब्लाक में दफ्तर और तिरंगा कांग्रेस पार्टी का लगा मिल जाएगा.

सवाल- इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व में सरकार बनी और कांग्रेस को 450 से अधिक सीटें आई और आज 40 पर सिमट गई है.इस पर क्या कहेंगे?

जवाब- कांग्रेस पार्टी की मेंबरशिप जो है एक यकीन है, एक विश्वास है, एक फेथ है और एक ट्रस्ट है. भाजपा जैसी मेंबरशिप नहीं है कि आपने मिस्डकाल दी और मेंबर बन गए. दुनिया का इतिहास साक्षी है कि जब भी कोई पार्टी पावर में आई है, तो पावर की इविल उसको लगी है और जो लोग इंकलाब और क्रांति लेकर आते हैं, उनको नुकसान पहुंचाया गया है और उनको उठाकर बाहर फेंक दिया गया

अवसरवादी, मौकापरस्त, सामंतवादी, पूंजीवादी, उद्योगपति, फिरकापरस्त इन लोगों ने कब्जा कर लिया है. हिंदुस्तान में भी यही हुआ है, जिन लोगों ने आजादी के लिए झंडे उठाए, कुर्बानियां दीं वो दुर्भाग्यवर्ष उस तबके के नहीं थे. जो तबका या क्लास हमारी वरिष्ठ और अपर क्लास का होती है. हमारे मजदूर, गरीब, किसान जिनके पास पावर तो थी, लेकिन संगठन नहीं था. सामाजिक लोग बाहर हो गए और आसामाजिक लोग अंदर आ गए.

ईटीवी भारत से बात करते पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी

मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कांग्रेस में ब्राम्हण या राजपूत के हाथों में ही सत्ता रही है. कांग्रेस ही नहीं कम्युनिस्ट पार्टी में भी यही हाल रहा, जहां अपर कास्ट का डोमीनेशन रहा है, जो हमारे ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक थे. उनको पालीटिक्स में ग्रोथ करने का अवसर नहीं मिला, बल्कि अवसर नहीं दिया गया और दबा कर रखा गया. कांग्रेस पार्टी में जब तक हेवनॉट्स की लीडरशिप डेवलप नहीं होगी, जब तक अपर कास्ट का डोमीनेशन खत्म नहीं होगा. मैं अपरकास्ट के खिलाफ नहीं हूं, अपरकास्ट में बुद्धिजीवी रहे हैं, लेकिन आम धारणा है कि जब तक हेवनॉट्स की लीडरशिप नहीं आएगी और पावर में लीडरशिप नहीं मिलेगी तब तक कांग्रेस की हालत ठीक नहीं होगी.

सवाल- पूंजीवादी, अवसरवादी, कम्युनिस्ट, फिरकापरस्त के सारे आरोप कांग्रेस पर लग रहे हैं और आरोप लगाने वाली बीजेपी है, राष्ट्रवादी हम अकेले हैं और बाकी पार्टियां राष्ट्रवादी नहीं हैं.

जवाब-बीजेपी गद्दारों की पार्टी है, जिनका आजादी में कोई रोल नहीं है. इनके बड़े-बड़े लीडर वीर सावरकर और श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे लोग 1942 में ब्रिटिश एम्पायर को सपोर्ट कर रहे थे. तरकीबें बता रहे थे कि मूवमेंट को कैसे खत्म करें. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ब्रिटिश एम्पायर को गाइड कर रहे थे. स्वतंत्रता संग्राम में इनका कोई रोल नहीं है.

सवाल- हद ये हो गई है कि आपकी पार्टी गांधी और बल्लभ भाई पटेल के नाम से चलती थी, उनको बीजेपी ने हाईजेक कर लिया है, लेकिन आपकी पार्टी कुछ नहीं कर पाई.

जवाब-इसका कोई इलाज नहीं है. जिंदगी भर महात्मा गांधी को गाली बकते रहे और उनकी समाधि पर जाकर सिर रख दें, तो हमारी पार्टी क्या करेगी. सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने सरेंडर कर दिया. समाधि में सिर झुकाने के वक्त ये तय कर लिया कि ये गांधी की समाधि नहीं है बल्कि इसे गांधीवाद बनाना है. सरदार पटेल को बोलते हैं कि वो होते तो कश्मीर नहीं होता. तो मुझसे बहस कर लें बीजेपी वाले. होम मिनिस्ट्री का रिकार्ड है कि जिसमें सरदार पटेल के विचार हैं कि पाकिस्तान अगर जूनागढ़ और हैदराबाद को छोड़ दे, तो हम कश्मीर पाकिस्तान को देने को तैयार हैं.

सवाल- यानि कि उस वक्त भी गुमराह किया?

जवाब- ये बीजेपी वाले आज गुमराह कर रहे हैं कि पंडित नेहरू ने पाकिस्तान बनाया. 30 दिसंबर 1946 को सरदार पटेल ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान को बन जाना चाहिए. बगैर पाकिस्तान बने कोई साल्यूशन नहीं है. पाकिस्तान बनाया सरदार ने, कश्मीर में सरदार का कोई इंट्रेस्ट नहीं था, अगर जूनागढ़ और हैदराबाद दे देते तो.

सवाल- इस समय बीजेपी लगातार यह कह रही है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों की विरोधी है, हरिजनों,आदिवासी और ओबीसी की विरोधी है और सबका संरक्षण बीजेपी कर सकती है औ बीजेपी कर रही है.

जवाब-बीजेपी इस देश में कम्युनल आधार पर एक हिंदू राष्ट्र कायम करना चाहती है. बीजेपी इस देश में यहां की सारी इकानोमिक, सोशल, एजुकेशनल और दूसरी समस्याओं को दरकिनार कर धर्म का एक नकाब लेकर आई है और सिर्फ हिंदू धर्म और हिंदुत्व की बुनियाद पर हुकूमत कायम करना चाहती है. इस हालात में दो परिवार हैं. हिंदुस्तान में जिनकी रोजाना की इनकम 1000 करोड़ रुपए रोज बढ़ रही है. पूरा मुल्क धरा है मिट्टी में तबाही हो रही है और दो परिवार रह गए हैं. पंडित नेहरू ने जो सम्पत्ति बनाई थी उसको बेच दिया है. पूरा देश गिरवी रख दिया है. हमारी मान्यताएं, हमारी सभ्यता सब खत्म कर दिया है, केवल हिंदुत्व के नाम पर. इनके पास कोई प्रोग्राम नहीं है केवल हिंदुत्व की बुनियाद पर राममंदिर बना दिया है.

सवाल-आपने कहा कि कांग्रेस एक विचार है, विश्वास है, तो जनता का भरोसा क्यों उठ रहा है?

जवाब- जनता का भरोसा नहीं उठ रहा है. कांग्रेस में का खुद का भरोसा उठ रहा है, जिनके हाथ में आजकल कांग्रेस है. जो एडवाइज करते हैं राहुल और प्रियंका के वे सिंसियर नहीं है. खाली भीड़ जमाने की बात करते हैं. इनको अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए कांग्रेस में एक बड़ा तबका है, जो नहीं चाहता है कि प्रियंका और राहुल को आगे ताकत मिले. इनको मिसगाइड किया जा रहा है. राहुल और प्रियंका में अभी मेच्युरिटी नहीं है. मेच्युरिटी आती है घटनाओं से, हालात से तो आने वाले समय में आएगी. उनका फायदा उठाते हैं कुछ लोग. बूथ लेवल पर, ब्लाक लेवल पर, पंचायत लेवल पर, जो संगठन होना चाहिए उस पर जीरों हैं.

सवाल-अभी कांग्रेस में एकग्रुप 23 भी बना हुआ है.

जवाब- ग्रुप 23 में बहुत अच्छे लोग भी है. लोग सभी अच्छे है, उनके अपने विचार हैं लेकिन ग्रुप 23 ने 10-15 साल तक देश में रूल किया है. इनकी ही बात चली है. कोई सोनिया जी के तो कोई राहुल जी के तो कोई राजीव जी के करीब था, तो कोई प्रियंका जी के. ये सच्चे और ईमानदार लोग हैं, इनको अपनी बात कहने और रखने का पूरा हक है. उनकी बात सुननी चाहिए. जब 15 साल तक आपकी चलती रही तब आपने ये सब क्यों नहीं किया.

सवाल-एक बात और है दक्षिण भारत से कांग्रेस का सफाया हो गया है, उत्तर भारत में भी कांग्रेस सिमटती जा रही है. उत्तरप्रदेश भी किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ रहा है और जहां से प्रधानमंत्री हुआ करते थे वहां पर आपका संगठन खत्म हो गया है, मप्र में भी यही स्थिति नीचे आती जा रही है. पंजाब में भी स्थिति खराब होती जा रही है. कैसे कांग्रेस बच पाएगी.

जवाब-यूपी का हमारा बेस था वो थे ब्राम्हण, मुस्लिम और दलित. बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद मुस्लिम का बेस खत्म हो गया. बाबरी मस्जिद के जमाने में, जो कुछ हुआ हिंदुस्तान की तारीख उसे कभी माफ नहीं करेगी. रूल ऑफ लॉ का रेप हुआ, हमारा प्राइम मिनिस्टर था, फोर्स थी उस सबके बावजूद बाबरी मस्जिद ढहा दी गई. बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, तो मुस्लिम और दुर्भाग्यवर्ष नरसिम्हा राव जी को जो रोल रहा उससे मुस्लिम नाराज हो गए और एकदम कांग्रेस से अलग हो गए.

दुर्भाग्य की बात ये है कि हमारी कांग्रेस की मुस्लिम लीडरशिप ने भी इसका विरोध नहीं किया सिवाय अजीज कुरैशी के. अजीज कुरैशी ने मांग की थी कि कांग्रेस पार्टी को सारे भारत से और खासतौर से मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए कि हमसे पाप हुआ है, लेकिन कांग्रेस के लीडर ने एक भी लफ्ज इस बारे में नहीं कहा. मुझे पार्टी से निकालने का नोटिस दिया गया. ब्राम्हणों को आपने अपने हाथ से खो दिया. उप्र मे कमलापति त्रिपाठी जैसे नेता को नाराज कर दिया और राज्यसभा में नहीं भेजा गया. वो ही एक ऐसे शख्स थे जब उन्हें पता चला कि बाबरी मस्जिद ढहाई जा रही है तो वो अयोध्या पहुंच गए थे और कहा था कि पहली कुदाल मेरे सिर पर मारो. कांग्रेस पार्टी ने उनकी इनसल्ट की तो पूरा ब्राम्हण भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया.

सवाल-सीनियर लीडरशिप को दरकिनार करने की बात चल रही है. मप्र में भी लीडरशिप में आंतरिक लोकतंत्र कहीं भी नहीं दिख रहा है.

जवाब-आई एग्री विद यू. देखिए सीनियर लीडरशिप को आप अलग कर दें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारी यंग लीडरशिप में भी तो इतनी योग्यता होना चाहिए. मैनें 12 साल यूथ लीडरशिप में काम किया लेकिन भोपाल में नगर निगम चुनाव में पहली बार टिकट मांगने की हिम्मत नहीं हुई. डा शंकरदयाल शर्मा ने मुझे बुलाया था.आज तो आदमी अंडे से निकलते ही टिकट मांगने लगता है. मेरे दिल में यकीन था कि मैं जो काम कर रहा हूं समाज के लिए देश के लिए, इसलिए कि इस दुनिया को बदला जा सकता है और नए समाज की स्थापना की जा सकती है, लेकिन आज का नौजवाल केवल मटेरियल हो गया है टिकट मांगता है, बेनिफिट मांगता है, परमिट मांगता है. ये नौजवान पुरानी पीढ़ी को री प्लेस नहीं कर सकता है.

सवाल-मप्र में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जिस तरह की पॉलीटिक्स कर रहे हैं, उससे कांग्रेस को नुकसान होगा या फायदा होगा?

जवाब- नुकसान के लिए तो वे दोनों पॉलीटिक्स नहीं कर रहे हैं. उन दोनों के पॉलीटिक्स को लेकर अपने अपने व्यूज हैं. दोनों बड़े लोग हैं. इनकी सिंसियरिटी और काम करने में मुझे कोई शंका नहीं है. तरीके का फर्क हो सकता है. अपने ग्रुप और लोगों को ताकत देने के लिए फर्क हो सकता है, लेकिन पार्टी के लिए दोनों सिंसियर हैं. फर्क इतना है कि आम आदमी कार्यकर्ता के दिल में यह यकीन हो गया है कि उसको भुला दिया गया है. उसको मौका नहीं मिलता, वह अपनी बात नहीं कह सकता. वह मुलाकात नहीं कर सकता , उसके काम नहीं होते. जो नेताओं के करीब हैं वो ही रूल करते हैं, उसको खत्म किया जाना चाहिए और आम आदमी को मौका मिलना चाहिए कि वो फ्री ली जाए और अपनी बात कहे और अपने काम करा सके इन नेताओं के पास जाकर.

सवाल-ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि फरवरी में 2020 कांग्रेस की सरकार गिरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा नेता 28 विधायकों को लेकर बीजेपी में चला गया. हाल में सुलोचना रावत विधायक रहीं वो पार्टी छोड़कर चली गई, राहुल लोधी सिटिंग एमएलए पार्टी छोड़कर चले गए, इस तरह से जो भगदड़ पार्टी में मची हुई है, ऐसा क्यों हो रहा है?

जवाब- भगदड़ तो हर जगह मची है. बीजेपी में भी ऐसा हो रहा है. बंगाल में क्या हो रहा है. डेमोक्रेसी का ये प्रोसेस है.

सवाल- जैसे अरुण यादव पर इतना दबाव बनाया कि उनको टिकट से पीछे हटना पड़ा.

जबाव-क्यों हटे पीछे वो, अरुण यादव को पीछे नहीं हटना चाहिए था. सुभाष यादव का इतना अच्छा बेकग्राउंड था, इतने बड़े लीडर थे,अरुण यादव क्यों पीछे हटे, उन्होंने गलत किया. बिल्कुल गलत किया अरुण यादव ने.

सवाल- पार्टी लीडरशिप नहीं चाह रही तो अरुण यादव क्या करते.

जवाब-पार्टी लीडरशिप क्या होती है. दिग्विजय सिंह ने तो सपोर्ट किया था. कमलनाथ जी ने भी सर्वे की बात कही थी, अरुण को क्लेम करना चाहिए था, क्योंकि वह उसकी सीट थी. अरुण ने गलती की.

सवाल-अरुण यादव तो पिछले कई महीनों से काम भी कर रहे थे. ऐसा क्यों किया होगा उन्होंने?

जवाब- कोई कन्फ्यूजन है उनको. बिला वजह का कोई डर पैदा हुआ होगा उनको. हालात कुछ होंगे लेकिन उनको ऐसा नहीं करना चाहिए था.

सवाल-मप्र में जो हालात चल रहे हैं, तो आने वाले चुनाव में क्या स्थिति समझ में आ रही है?

जवाब- रात भर का मेहमां है ये अंधेरा. ये हालात ठीक होंगे. बीजेपी अपनी मौत मारी जाएगी. बीजेपी के पास सिवाय हिंदुत्व के कोई एजेंडा नहीं है. पेट की भूख हर धर्म और मजहब से बड़ी होती है. इकोनोमिक हाटशिप तकदीर लिखवाती हैं मुल्कों की इसलिए बीजेपी का भविष्य पूरी तरह से फेल है. इनको खत्म होना है.लोग आगे आ रहे हैं। कांग्रेस का भविष्य शानदार है और रहेगा.

सवाल-लेकिन किसकी लीडरशिप में?

जवाब-लीडरशिप कोई तय नहीं होती, लीडरशिप पैदा होती है. इंदिरा गांधी जब आई थी तो कांग्रेस में दिग्गज थे, तो उन्हें गुडिया कहा जा रहा था, लेकिन उन्होंने लीडरशिप करके दिखाई.

सवाल-राहुल और प्रियंका दो में से किसको लीडरशिप मिलनी चाहिए?

जवाब- राहुल जी का मजाक उड़ाना अब खत्म हो गया है. राहुल से अब ये डर रहे हैं। राहुल अब आगे बढ़ेगा और इनका सत्यानाश कर देगा। राहुल इस मुल्क का प्राइम मिनिस्टर है कोई उसे रोक नहीं सकता. समय जो लगे. जरूरत इस बात की है कि सारी पार्टियों को मिलकर मोदी के साम्राज्य को खत्म करे. बीजेपी का गंदा और घिनौना रूप है जिसको सभी पार्टियों को मिलकर खत्म करना चाहिए. पहले उत्तरप्रदेश में सब मिलकर हराएं. मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि उप्र में अखिलेश एक व्यक्ति ऐसा है जिसको सभी को सपोर्ट करना चाहिए. सारी पार्टियों को मिलकर सम्मानजनक समझौते के साथ सपोर्ट करना चाहिए और सूपड़ा साफ करना चाहिए. अखिलेश यादव को फिर कांग्रेस को सपोर्ट करना चाहिए जिससे राहुल गांधी अगले प्राइम मिनिस्टर बन पाएं और नए हिंदुस्तान की शुरुआत कर सके.

सवाल- यूपी की नस नस पता है. यूपी में संगठन नहीं बचा है, तो कैसे कांग्रेस वापसी कर पाएगी?

जवाब-असेंबली चुनाव में बीजेपी को हराए और अखिलेश को सपोर्ट करें.

सवाल-भरोसा कैसे जताएं कांग्रेस पर?

जवाब-असेंबली चुनाव में ऐलान करें कि हमारा मकसद बीजेपी को हराना है. उसके बाद बचते हैं तीन साल तो राहुल जी और प्रियंका जी वहां मेहनत करें। ग्रास रूट लेवल का संगठन बनाएं और बन सकता है.

सवाल-आप यूपी इलेक्शन में जाएंगे क्या?

जवाब- हां में यूपी इलेक्शन में जाऊंगा.

सवाल-एक और सवाल है रिजर्वेशन का. गांधी जी ने शुरुआत में केवल 10 साल के लिए रिजर्वेशन की बात कही थी और 70 साल हो गए हैं और रिजर्वेशन घटने की बजाए बढ़ता जा रहा है. लोग जो इनकाम्पीटेंट थे वे काम्पीटेंट भी हो गए हैं, लेकिन रिजर्वेशन अभी भी चाहिए,आप इसके फेवर में है या नहीं?

जवाब-मैं इकोनोमिकली बैकवर्ड क्लासेस को रिजर्वेशन देने के पक्ष में हूं. ये बात सही है कि रिजर्वेशन देने को उद्देश्य 70 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. आज भी एससी, एसटी को स्पेशल ट्रेनिंग और खास कोर्सेस बनाए जाने की जरूरत है.

सवाल- क्या रिजर्वेशन का माड्यूल चेंज होना चाहिए?

जवाब- रिजर्वेशन का माड्यूल चेंज होना चाहिए। इंटेक्चुअली और,एजुकेशनली उनको जो सेंस आना चाहिए वो नहीं आई है,इस दिशा में काम करना चाहिए.

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