रायपुर:कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाने को लेकर अपनी मांग फिर दोहराई है. राहुल ने 2011 की जनगणना के जातिगत आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की है. राहुल का मानना है कि आंकड़े सामने आने के बाद से अन्य पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सकेगा और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जा सकेगा.
छग में 76 फीसदी आरक्षण का पास हो चुका है प्रस्ताव:छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यह दिसंबर 2022 के पहले हफ्ते में भूपेश बघेल सरकार ने आरक्षण बढ़ाने से जुड़े दो विधेयक विधानसभा से पारित करवाए. इसके जरिए राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 4% आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इससे अब छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़कर 76 फीसदी हो जाएगा.
राज्यपाल के हस्ताक्षर होने से लटका आरक्षण बिल:हालांकि छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आरक्षण से जुड़े इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं किए. इसी बीच अनुसुइया को हटाकर हाल ही में विश्वभूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया. लेकिन नए राज्यपाल ने भी आरक्षण बिल को लेकर अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है. राज्यपाल हस्ताक्षर करेंगे या नहीं इसे लेकर असमंजस अब भी बरकरार है.
राज्यपाल बोले- सीएम से करिए राजनीतिक विषय पर बात:मंगलवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत कार्यक्रम के दौरान जब पत्रकारों ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. राज्यपाल ने कहा कि "मैं राज्यपाल हूं, राजनीतिक विषय पर मुख्यमंत्री से बात कीजिए."
आरक्षण के मामले पर राज्यपाल को लेना चाहिए जल्द फैसला:कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि बीजेपी के दबाव में राज्यपाल मंजूरी नहीं दे रही हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "मैंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा वहां से भी कोई जवाब नहीं आ रहा है. कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी आरक्षण के खिलाफ है. बहुत सारे विभागों में हमें भर्ती करनी है. आरक्षण की वजह से सभी भर्तियां रुकी हुई हैं. इसलिए राज्यपाल को इस मामले पर जल्द फैसला करना चाहिए."
चुनाव में भाजपा को उठाना पड़ेगा खामियाजा:कांग्रेस को उम्मीद है कि आरक्षण बढ़ाने का फैसला आगामी विधानसभा चुनाव में उसके पक्ष में जाएगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का कहना है कि "आरक्षण बिल लागू नहीं हो पा रहा है. इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा. हमारी सरकार का सोचना और मानना है और हम जनसंख्या के आधार पर छत्तीसगढ़ की जनता को उनका अधिकार देना चाहते हैं. लेकिन 15 साल की सरकार रहने के बाद अब विपक्ष में होने के कारण उनमें हताशा निराशा है. जनता से बदला लेना चाहती है बीजेपी. जनता 2023 में फिर से भारतीय जनता पार्टी से बदला लेगी."
सीएम को है पत्र लिखने की बीमारी-भाजपा:आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, जिस पर भाजपा सांसद सुनील सोनी ने कहा कि "मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बीमारी है. अभी तक दर्जनों पत्र केंद्र सरकार को लिख चुके हैं. लोगों में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं. पत्र वह समाधान के लिए नहीं लिखते, वह पत्र इसलिए लिखते हैं कि उन्हें राजनीति करना है. मुख्यमंत्री अच्छे से जानते हैं किसी समस्या का निराकरण दिल्ली में जाकर प्रधानमंत्री से चर्चा करें या अन्य कोई वरिष्ठ मंत्री से जाकर बात करें, तभी निराकरण होगा. लेकिन यह केवल पत्र लिखकर लोगों में भ्रम फैलाना चाह रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह भूल गए हैं कि मैं छत्तीसगढ़ में सरकार चला रहे हैं. वे केवल विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में विकास जो अवरुद्ध हुआ है उसके मुख्य कारण भूपेश बघेल हैं."
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कई राज्यों ने की है 50 परसेंट आरक्षण पर लगे कैप को हटाने की मांग:आरक्षण के मामले को लेकर राजनीति की जानकारी में वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि "कई राज्यों में 50 परसेंट से अधिक आरक्षण लागू है, ऐसा सर्फ छत्तीसगढ़ की व्यवस्था नहीं है." शर्मा ने कहा कि "जो राहुल गांधी मांग कर रहे हैं, यह आज की नहीं है. काफी लंबे समय से चली आ रही है और यह मांग देश के कई राज्य कर रहे हैं कि आरक्षण पर लगे 50 परसेंट के कैप को हटाया जाए."
श्रेय लेने की होड़ में लटका हुआ है आरक्षण बिल:छत्तीसगढ़ आरक्षण बिल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर ना किये जाने के मामले पर शर्मा ने कहा कि "यह 15 मिनट का काम है. सदन के अंदर सदन के बाहर भी. जब दोनों ही दल चाहते हैं कि आरक्षण का लाभ लोगों को मिले तो इस पर बैठकर चर्चा हो सकती है. लेकिन श्रेय लेने की होड़ की वजह से आरक्षण बिल अब तक लटका हुआ है." आरक्षण बिल का आगामी विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को लाभ मिलेगा इस पर उचित शर्मा ने कहा कि "स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस को इसका लाभ मिलेगा. क्योंकि कांग्रेस ने कह दिया है कि उन्हें जो करना था वह कर दिया है. 76 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया गया है, लेकिन राज्यपाल के पास ये बिल लटका हुआ है. ऐसे में स्वाभाविक है कि इस मामले में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है."