लंदन : ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद की रेस में अब तीन उम्मीदवार ही रह गए हैं. इनमें से सबसे आगे भारतीय मूल के ऋषि सुनक हैं. सोमवार को उन्हें तीसरे दौर में 115 वोट मिले. उन्हें संसद के टोरी सदस्यों द्वारा मतदान के नवीनतम दौर में 14 और वोट मिले. कारोबार मंत्री पेनी मोर्डौंट 82 मतों के साथ दूसरे स्थान पर हैं, इसके बाद विदेश मंत्री लिज ट्रस को 71 मत मिले. पूर्व समानता मंत्री केमी बैडेनोच को 58 मत मिले थे. लेकिन आज वह रेस से बाहर हो गईं हैं.
एक दिन पहलेटोरी (कंजरवेटिव पार्टी) में और हाउस ऑफ कॉमन्स की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम तुगेंदहट ने पिछली बार मिले 32 से एक कम 31 वोट हासिल किए और प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए. जाहिर है इस रेस में सबसे आगे ऋषि हैं. वह इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति के दामाद हैं.
लिज ट्रस ने अपने कैंपेन में कहा कि वह रक्षा बजट बढ़ाने पर जोर देंगी. उनके अनुसार 2030 तक तीन फीसदी बजट बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज से एक दशक पहले सुरक्षा को लेकर जितनी चिंताएं थीं, आज उसके मुकाबले खतरा कहीं ज्यादा है. उन्होंने कहा कि वह देश को अधिक सुरक्षित रख पाएंगी.
दूसरे स्थान पर रहने वालीं मोर्डौंट का कहना है कि वह यूके की अर्थव्यवस्था पर अपना फोकस रखेंगी. उन्होंने कहा कि वह इनोवेशन, निवेश, बुनियादी ढांचे और प्रोत्साहन के सिद्धांतों का पालन करने की कसम खाती हैं.
आपको बता दें कि गुरुवार तक केवल दो उम्मीदवार अंतिम सूची में जगह बनाएंगे. सुनक को पिछले दौर में 101 वोट मिले थे. मतदान के नवीनतम दौर में उन्हें 14 और वोट मिले, जबकि मोर्डौंट ने पिछले हफ्ते दूसरे वोटिंग राउंड में हासिल 83 में से एक वोट कम हासिल किया. ट्रस ने अपने आंकड़े में सुधार किया है और 64 वोट से आगे बढ़ कर 71 पर पहुंच गईं. बैडेनोच अंतिम दौर में 49 के आंकड़े से आगे बढ़े और 58 वोट पर आ गए थे. जादुई आंकड़ा 120 है. उम्मीदवार को अपने कंजरवेटिव पार्टी के कम से कम 120 सहयोगियों का समर्थन प्राप्त करने के साथ टोरी सदस्यता वोट के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए दो उम्मीदवारों की अंतिम सूची में स्थान बनाना होगा.
बैडेनोच का दावा हुआ फेल - बैडेनोच अब रेस से बाहर हो चुकी हैं. वैसे एक दिन पहले उनके और तब तीसरे स्थान प्राप्त करने वाले लिज के बीच फासला कम हो गया था. उनके बीच 13 वोटों का अंतर रह गया था. इससे पहले के राउंड में उन्हें 49 मत मिले थे. बैडेनोच की पूरी कोशिश थी कि वह तुगेंदहट के समर्थकों का वोट हासिल कर सकें. क्योंकि तुगेंदहट रेस से बाहर हो गए थे. बैडेनोच ने कहा भी कि वह जीतने के लिए मैदान में हैं और वह जी-जान से फाइट करेंगी. लेकिन उनका दावा धरा का धरा ही रह गया.