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ईटीवी भारत से बोले पूर्व राजदूत राजीव डोगरा, 'भारतीयों को मौत की सजा दिलाए जाने के पीछे पाकिस्तान का हाथ' - कतर और पाकिस्तान भारतीय नौसैना

कतर में भारतीय नौसैनिक के आठ अधिकारियों को मौत की सजा सुनाए जाने वाले फैसले को राजीव डोगरा ने सही नहीं ठहराया है. डोगरा पूर्व राजदूत हैं. उन्होंने कहा कि एक ही मामले में जहाज के मालिक की रिहाई, और नौसैनिकों को मौत की सजा मिले, यह संभव नहीं हो सकता है. पेश है ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की एक रिपोर्ट. Rajiv Dogra on Qatar issue, 8 indians death sentence rajiv dogra reaction

Rajiv Dogra
राजीव डोगरा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : कतर द्वारा आठ भारतीयों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते दांव पर लगे हुए हैं. माना जा रहा है कि इस षडयंत्र के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. पिछले दो सालों में कतर और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार दिखा है. इसका मुकाबला करने के लिए भारत ने राजनयिक रास्तों पर काम करना शुरू कर दिया है.

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों वाले मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजदूत राजीव डोगरा ने कहा कि कतर को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि जहाज के मालिक खामीज अल अजमी को छोड़ दिया गया है. वह ओमान के हैं. डोगरा ने बताया कि भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने वही किया, जैसा कि अजमी द्वारा आदेश दिया गया था. अब सवाल यह है कि कतर किस तरह से अपने एक्शन को सही ठहरा सकता है, एक ही मामले में मालिक को राहत दे दी, जबकि नौसैनिकों को सजा सुना दी गई.

अजमी की कंपनी का नाम अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसलटेंसी सर्विसेस है. यह रक्षा क्षेत्र में एक्टिव थी. अजमी खुद रॉयल ओमान एयर फोर्स के अधिकारी रह चुके हैं. आठ भारतीयों के साथ अजमी की भी गिरफ्तारी की गई थी. हालांकि, नवंबर 2022 में अजमी को रिहा कर दिया गया. राजीव डोगरा ने कहा कि बहुत संभव है कि एक्शन के पीछे पाकिस्तान का हाथ है.

पूर्व राजदूत राजीव डोगरा ने कहा कि भारत का पश्चिमी देशों के साथ-साथ पश्चिम एशिया के देशों के साथ दोस्ताना संबंध रहा है, और मुझे नहीं लगता है कि इस तरह के संकट के बीच इन रिश्तों में कोई खटास आएगी. उन्होंने कहा कि अगर संबंध बिगड़ते हैं, तो यह दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचाएगा, इसलिए अच्छा होगा कि पश्चिम एशिया और भारत के आपसी संबंध मधुर बने रहें.

रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रभावित परिवारों के सदस्यों से बातचीत की. विदेश मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार इस मामले को प्राथमिकता पर ले रही है. उन्होंने कहा कि चिंता और दुख भरी इस घड़ी में हम सभी परिवारों के साथ खड़े हैं, सरकार उनकी रिहाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी.

30 अगस्त 2022 को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर ने गिरफ्तार कर लिया था. तब से उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया गया है. उन्हें अलग रखा जा रहा है. 29 मार्च से सुनवाई शुरू हुई. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कतर कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई. मंत्रालय ने इसे झटके वाला फैसला बताया है. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सभी भारतीयों को कानूनी मदद उपलब्ध करवाई जाएगी. दिसंबर 2022में भी विदेश मंत्री ने संसद के पटल पर आश्वासन दिया था कि वे इस मामले पर नजर रखे हुए हैं.

इस बीच मध्य-पूर्व में संकट बढ़ गया. इजराइल और हमास के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई. भारत का इजराइल को लेकर जो स्टैंड है, वह सबके सामने है. संयुक्त राष्ट्र आम सभा में आए एक प्रस्ताव से भारत ने अपने को अलग कर लिया. भारत ने कहा कि क्योंकि इस प्रस्ताव में हमास के हमले को लेकर जिक्र नहीं किया गया था, इसलिए भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि, भारत ने जल्द से जल्द इस मानवीय संकट के खत्म करने की अपील भी की है.

क्या भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लेकर कोई गलती तो नहीं की, इस पर राजीव डोगरा ने कहा कि भारत मध्यमार्ग की नीति अपना रहा है. वह बातचीत का पक्षधर है. भारत का यह स्टैंड सबसे सही कदम है. भारत फिलिस्तीनियों के खिलाफ नहीं है, न ही वह जॉर्डन के खिलाफ है, बल्कि वह सही एक्शन की वकालत कर रहा है.

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