नई दिल्ली : यूक्रेन पर रूसी आक्रमण (Russian invasion of Ukraine) के सात दिन बुधवार को पूरे हो गए. यूक्रेन के प्रमुख शहर खारकिव (Kharkiv) और राजधानी कीव ( The Capital Kyiv) में फिलहाल लड़ाई तेज होने के कोई संकेत नहीं हैं. 1971 में लड़े गए मुक्ति संग्राम के दिग्गज ब्रिगेडियर (डॉ.) बीके खन्ना (Brig. Dr. BK Khanna) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पुतिन यदि यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं तो उन्हें स्थानीय आबादी का समर्थन हासिल करना होगा. जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा है. इसके उलट यूक्रेन के नागरिक (civilians of Ukraine) सेना के साथ मिलकर रूसी सेना (Russian Forces) को कड़ी टक्कर (Giving A Tough Fight) दे रहे हैं.
सबसे बड़ी सैन्य शक्तियों में से एक होने के बाद भी कीव पर कब्जे में हो रही देरी के बारे में ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि इस तरह के आक्रमण की शुरुआत में जब विशेष बल प्रवेश करते हैं तो उनके हमले की गति तेज होती है. ये सेना उत्तर, पूर्व और दक्षिण से भूमि, समुद्र और हवा से यूक्रेन में प्रवेश कर रही है. बीच में, उन्होंने एक पड़ाव भी लिया. अब जब मुख्य बल आएंगे, वे मुख्य नगरों को घेर लेंगे. और एकदम से चढ़ाई करके उन पर कब्जा करने का प्रयास करेंगे.
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ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि पुतिन बार-बार कीव को खाली करने के लिए कह रहे हैं ताकि वे इसे ले सकें. लेकिन स्थानिय आबादी के समर्थन के बिना इन शहरों पर कब्जा करना बहुत मुश्किल है. सैन्य अभियानों की भाषा में इसे FIBUA (Fighting In The Built-Up Areas) यानी रिहाईशी इलाकों में युद्ध कहते हैं. ऐसे अभियानों सैनिक इलाके की हर घर की तलाशी लेते हैं और विरोधियों की शिनाख्त करते हैं. इसमें समय लगेगा. भले ही रूसी सैनिक और टैंक शहरों में प्रवेश कर जाएं वहां के नागरिक पहले ही हथियार उठा चुके हैं. वे रूसी आक्रमण को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन में शांति स्थापना के यह ऑपरेशन शुरू किया है...इस पर ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि जब जनता आपके खड़ी है तो आप किस तरह से शांति स्थापना कर सकेंगे. कौन सी शासन व्यवस्था लागू करेंगे. जबतक यूक्रेन की जनता या कम से कम उसका एक बड़ा हिस्सा रूस के साथ नहीं खड़ा होगा शांति स्थापना संभव नहीं है. और अभी यूक्रेन में ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
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