चंडीगढ़: पंजाब में जहां एक ओर निजी स्कूलों या अन्य संस्थानों में पंजाबी को मातृभाषा के तौर पर पढ़ाने या प्राथमिकता के आधार पर लिखने की जद्दोजहद हो रही है, वहीं दूसरी ओर अब विदेशों में पंजाबी भाषा की प्रतिष्ठा लगातार बढ़ी है. ऑस्ट्रेलिया की पहली 10 भाषाओं में पंजाबी भाषा को शामिल किया गया है. अब ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले स्कूली छात्र भी पंजाबी पढ़ सकेंगे. ऑस्ट्रेलिया के पंजाबी समुदाय के बच्चे भी अपनी मातृभाषा पंजाबी से जुड़ सकेंगे.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सप्ताह के आखिरी दिन ऑस्ट्रेलियाई स्कूलों में पंजाबी भाषा पढ़ाई जाएगी. ऑस्ट्रेलिया सरकार ने पंजाब और अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के बच्चों को उनकी मातृभाषा से जोड़ने का अच्छा प्रयास किया है. ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस फैसले का पंजाबी भाषा प्रेमियों ने स्वागत किया है. पंजाबी साहित्य और पंजाबी भाषा के अस्तित्व के लिए लगातार काम कर रहे पंडित धरंवर राव ने ऑस्ट्रेलिया सरकार का आभार जताया है.
उन्होंने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया में बच्चे पंजाबी के प्रति जागरूक होंगे. अब वहां के बच्चे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरबाणी और भगत फकीरों की कृतियों को पढ़कर अपने इतिहास से जुड़ सकेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए वह ऑस्ट्रेलियाई सरकार के आभारी हैं. साथ ही उन्होंने चंडीगढ़ में पंजाबी भाषा की बदनामी की आलोचना करते हुए कहा कि पंजाब के 22 गांवों की तबाही से बनी राजधानी चंडीगढ़ में 35 अक्षरों की महानता को नहीं समझा जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि एक दिन चंडीगढ़ की जनता भी 35 अक्षरों की महानता को समझेगी. पंजाबी भाषा के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह छिब्बर ने भी खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया सरकार का यह सराहनीय कदम है. यूनेस्को भी मातृभाषा के महत्व को समझता है. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने भी माना है कि बच्चे का विकास उसकी मातृभाषा में सबसे अच्छा हो सकता है, इसलिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सभी मातृभाषाओं को महत्व दिया है.