नई दिल्ली :पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पीएम से कृषि कानूनों को रद्द करने और किसानों को फ्री लीगल एड श्रेणी में शामिल करने के लिए कानून में संशोधन करने के लिए तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि उन्होंने किसानों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने वालों की श्रेणी में शामिल करने के लिए संबंधित कानून में संशोधन की भी मांग की.
आज देर शाम हुई मुलाकात में पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को दो अलग-अलग पत्र सौंपे. इनमें पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों में आक्रोश पैदा करने वाले तीन कृषि कानूनों की तत्काल समीक्षा और उन्हें रद्द करने का आह्वान किया गया है.
किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि इन कानूनों को तत्काल वापस लिया जाए.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के आंदोलन से पंजाब और देश के लिए सुरक्षा खतरे पैदा करने की आशंका है, क्योंकि पाकिस्तान समर्थित भारत विरोधी ताकतें किसानों के असंतोष का फायदा उठाना चाहती हैं.
उन्होंने किसानों की चिंताओं के शीघ्र निवारण के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को निरंतर चल रहे आंदोलन को समाप्त करने के लिए एक स्थायी समाधान तलाशना चाहिए क्योंकि यह न केवल पंजाब में आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले भी पंजाब के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए प्रधानमंत्री से समय मांगा था.
उन्होंने धान की पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मुआवजा देने और डीएपी की कमी की आशंकाओं को दूर करने की भी आवश्यकता बताई, जिससे किसानों की समस्याएं और कृषि कानूनों से उत्पन्न संकट बढ़ सकता है.
एक अन्य पत्र में, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि भूमि के विखंडन, पट्टेदारों व विभिन्न बाजार संचालकों और एजेंटों के साथ लगातार विवादों के कारण, किसानों को इन दिनों मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनके अल्प वित्तीय संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है.
उन्होंने इस तरह के मुकदमों के परिणामस्वरूप किसानों पर पड़े वित्तीय बोझ को कम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि केंद्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 कुछ श्रेणियों के व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है, जिन्हें समाज का कमजोर वर्ग माना जाता है.
सिंह ने कहा कि देश के किसान भी बहुत कमजोर हैं और वे कभी-कभी वित्तीय समस्याओं के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.