पटना :बिहार में कोरोना संक्रमण की गति को धीमी करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में सरकार ने शादी, विवाह के लिए कुछ शर्तो के साथ अनुमति भले ही प्रदान की है, लेकिन पंडितों और पुरोहितों के नही मिलने के कारण परेशानी बढ़ गई है. कोरोना से लगातार हो रही मौत के बाद पंडित नहीं मिलने के कारण परिजनों को श्राद्ध कराने में भी मशक्कत करनी पड़ रही है.
मुंह-मांगा दक्षिणा देने की कर रहे सिफारिश
पंडितजी को भी कोरोना का डर सताने लगा है, यही कारण पंडित अपने यजमानों के यहां भी जाने से बच रहे हैं. बिहार में कोरोना संक्रमण से डरे पंडित भी अब घर में ही कैद रहना चाह रहे है. शहर के लोगों को श्राद्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के पंडितजी की शरण में जाना पड़ रहा है. उन्हें मुंह-मांगा दक्षिणा देने की सिफारिश कर रहे हैं, जिससे श्राद्धकर्म पूरा हो और मृतात्मा को शांति मिल सके.
पैसा ही लेकर काम चला ले रहे पंडितजी
कई लोग तो पंडितों की खोज में अन्य राज्यों की ओर रूख कर रहे है. ऐसा नहीं कि ऐसे लोगों को अगर पंडित जी मिल भी जा रहे हैं लॉकडाउन में बाजार बंद रहने के कारण श्राद्ध में जरूरी चीजें नहीं मिल रही है, ऐसे में पंडित जी पैसा ही लेकर काम चला ले रहे हैं.
झारखंड से लाना पड़ा पंडित
औरंगाबद जिले के उपाध्याय बिगहा गांव के रहने वाले सत्यदेव चौबे की मौत तीन दिन पहले हो गई है, लेकिन उनके श्राद्धकर्म को लेकर पंडित जी नहीं मिल रहे थे. अंत में उन्हें पड़ोसी राज्य झारखंड के हरिहरगंज से एक पंडित को लाना पड़ा जो अंतिम संस्कार से लेकर श्राद्धकर्म तक करने के लिए राजी हुए है.