नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में 10 अक्टूबर को संयुक्त गणराज्य तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई. इस सम्मान से सम्मानित होने वाली वह पहली महिला बन गई हैं. राष्ट्रपति हसन रविवार को चार दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंची हैं.
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने एक साधारण परिवार में अपने जन्म से लेकर तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनने तक के संघर्षों को साझा किया. उन्होंने कहा कि भारतीय गीत संगीत, भारतीय फिल्म हो और भारतीय व्यंजन, इन सबका पूरी दुनिया में बहुत आकर्षण है. मैने इसका अनुभव तब किया जब मैं 1998 में पहली बार हैदराबाद में अध्ययन करने के लिए भारत आई थी. उन्होंने कहा मैं यहां जेएनयू के एक परिवार के सदस्य के रूप में खड़ी हूं न कि एक अतिथि के रूप में.
JNU to SC : 'विश्वविद्यालय को संगठित 'सेक्स रैकेट का अड्डा' दर्शाने वाला कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं'
इधर, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रहा है जिसकी नींव पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही के स्तंभों पर बनी है तंजानिया भारत का एक प्रमुख अफ्रीकी भागीदार है और हम उच्च शिक्षा प्रणाली में और अधिक सहयोग करने के लिए आपके समर्थन पर भरोसा करते हैं. गौरतलब है कि तंजानिया के राष्ट्रपति ने हैदराबाद में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान में भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है.
गौरतलब है कि जेएनयू ने तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति को भारत-तंजानिया के बीच संबंधों को मजबूती देने, आर्थिक कूटनीति को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय एकीकरण तथा बहुपक्षवाद में सफलता हासिल करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया.
इस अवसर पर केंद्रीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जेएनयू के कुलाधिपति कंवल सिब्बल, जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित मौजूद रहे. कार्यक्रम का आयोजन न्यू मोतीबाग स्थित कौशल भवन में किया गया.
यह भी पढ़ें-एएमयू के बाद फिलिस्तीन के समर्थन में उतरे जेएनयू और जामिया के छात्र संगठन, जारी किया पोस्टर