नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत ने दिल्ली तक सियासी पारा बढ़ा दिया है. भाजपा इसे चुनावी रैली बता रही है. भाजपा का आरोप है कि विपक्ष और संबंधित किसान संगठन राजनीति करने के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने महापंचायत का खुलकर समर्थन किया. राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा कि 'अन्यायी सरकार' को सुनना होगा.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुजफ्फरनगर में हुई 'किसान महापंचायत' को रविवार को 'चुनाव रैली' करार दिया और इसके आयोजकों पर उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति करने का आरोप लगाया.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा रविवार को आयोजित 'किसान महापंचायत' में उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से हजारों किसानों ने भाग लिया.
भाजपा के किसान मोर्चा प्रमुख एवं सांसद राजकुमार चाहर ने एक बयान में दावा किया कि 'महापंचायत' के पीछे का एजेंडा राजनीति से जुड़ा है, न कि किसानों की चिंताओं से. उन्होंने कहा कि यह किसान महापंचायत नहीं, बल्कि राजनीतिक एवं चुनावी बैठक थी तथा विपक्ष और संबंधित किसान संगठन राजनीति करने के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
चाहर ने दावा किया कि किसी अन्य सरकार ने किसानों के लिए इतना काम नहीं किया है, जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले सात साल में किया है. केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले नौ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं.
राहुल ने कहा, 'अन्यायी सरकार' को सुनना होगा
कांग्रेस ने 'किसान महापंचायत' के समर्थन में आवाज उठायी और पार्टी नेता राहुल गांधी ने कहा, 'गूंज रही है सत्य की पुकार तुम्हें सुनना होगा, अन्यायी सरकार.' कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वॉड्रा ने कहा, 'किसान इस देश की आवाज हैं. किसान देश का गौरव हैं. किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता. खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है.' कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 'किसान का खेत-खलिहान चुराने वाले देशद्रोही हैं.'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने महापंचायत का समर्थन करते हुए विश्वास जताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आयोजित महापंचायत किसानों के हितों को मजबूती देने वाली साबित होगी.
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पायलट ने हिंदी में किए एक ट्वीट में कहा, 'मुझे भरोसा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आयोजित मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत किसान हितों को मजबूती देने वाली साबित होगी. शांतिपूर्ण किसान आंदोलन की दिशा में ये महापंचायत मील का पत्थर साबित हो- ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं.'
जानिए कौन से तीन विधेयकों के कानून बनने पर हो रहा विरोध
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल -2020
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
- कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि इन कानूनों ने किसानों को अपनी उपज बेचने का नया अवसर दिया है और इस आलोचना को खारिज किया है कि उनका उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था और कृषि मंडियों को समाप्त करना है.
ऐसे हुआ कृषि कानून में बदलाव
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5 जून को विधेयकों से जुड़े अध्यादेश स्वीकृत किए
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में 15 सितंबर को इन अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश करने का प्रस्ताव रखा
- विधेयकों पर चर्चा के बाद संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन 17 सितंबर को लोक सभा में दो विधेयकों को मंजूरी मिली.
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक के कानून बनने पर बदलाव
- कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्यापारियों को 'अवसर की स्वतंत्रता'
- लेन-देन की लागत में कमी
- मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्करण यूनिटों पर व्यापार के लिए अतिरिक्त चैनलों का सृजन
- किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्स्थता में कमी आएं
- देश में प्रतिस्पर्धी डिजिटल व्यापार का माध्यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम
- अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें
कृषि मंत्री की दलीलें
- किसानों को कानूनी बंधनों से आजादी मिलेगी
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा
- राज्यों में संचालित मंडियां राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी
- विधेयकों से कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा
- खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा
- रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
- कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
सरकार का पक्ष-
- किसानों को परिवहन लागत के लिए ज्यादा पेमेंट करना पड़ता है.
- ऐसी कठिनाइयों से किसानों को बचाते हुए अब खेत से उपज की गुणवत्ता जांच, ग्रेडिंग, बैगिंग व परिवहन की सुविधा मिल सकेगी.
- वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए किसानों को उनकी उपज के गुणवत्ता आधारित मूल्य के रूप में अनुबंधित भुगतान किया जाता है.
- कृषि उपज के लिए करारों को बढ़ावा मिलेगा.
- इससे किसानों की उच्च गुणवत्ता तथा निर्धारित आमदनी की प्रक्रिया मजबूत बनेगी.
- मुख्य उद्देश्य विभिन्न चरणों में कृषि को जोखिम से बचाना है.
- करार से उच्च मूल्य वाली कृषि उपज के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.
- प्रसंस्करण के लिए उद्यमियों द्वारा निवेश को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
- निर्यात को बढ़ावा देने में भी मिलेगी मदद.
- कृषि समझौते के तहत विवाद होने पर सुलह व विवाद निपटान तंत्र भी काम करेगा.
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(भाषा इनपुट के साथ)