जयपुर : राजस्थान की राजधानी जयपुर के बीचोबीच से गुजरने वाले अमानीशाह नाले को दोबारा द्रव्यवती नदी बनाने का सफर चार साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन ये सफर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जमीन विवाद और कांट्रैक्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते प्रोजेक्ट का 10 फीसदी काम अटका पड़ा है.
आलम ये है कि कई जगह अब नदी की स्थिति नाले से भी बदतर हो गई है या यूं कहें कि शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट की दुर्गति हो रही है. 47 किलोमीटर लंबी इस द्रव्यवती नदी में कुल पांच एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं. लेकिन नगर निगम के डेहलावास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से अभी भी अनट्रीटेड पानी लगातार नदी में आ रहा है. द्रव्यवती नदी के कई मुहाने तो ऐसे हैं, जहां भारी मात्रा में कचरा और शैवाल जमा हो रही है, जो अब बीमारियों को भी न्योता दे रही है.
गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट मॉडल की तर्ज पर 47 किलोमीटर द्रव्यवती नदी परियोजना से जयपुर की सुंदरता निखारने का प्रयास था. लेकिन 1470 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली द्रव्यवती नदी का 16 किलोमीटर के काम का उद्घाटन हो पाया. जो काम अभी अधूरा है, उसे अब इसी साल दिसंबर तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है.
जेडीसी गौरव गोयल के अनुसार, 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. तीन फ्रंट पर प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है और एक जगह नगर निगम को अतिक्रमण हटाना है. इसके अलावा जहां वर्कफ्रंट उपलब्ध है वहां जो काम बचे हुए थे, उनसे जुड़े प्रकरणों को निस्तारित कर लिया गया है. संबंधित फर्म ने एक वर्क प्लान तैयार किया है. जिसके तहत कोर्ट स्टे प्रभावित क्षेत्र को छोड़ते हुए 31 दिसंबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा. जनवरी 2022 में द्रव्यवती रिवर फ्रंट को आमजन के लिए पूरी तरह खोल दिया जाएगा.