नई दिल्ली:साल 1996-97 में दिल्ली एनसीआर के भीतर हुए सीरियल ब्लास्ट को सुलझाने में जिस सब इंस्पेक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसके खिलाफ 20 साल तक महकमे ने कानूनी जंग लड़ी. उसे बारी से पहले तरक्की देकर महकमे ने तीन महीने में वापस ले ली, जिसके चलते सब इंस्पेक्टर को 24 साल यहां-वहां फरियाद करनी पड़ी. इस मामले में हाईकोर्ट ने उसके प्रमोशन को सही मानते हुए उसे सभी लाभ देने के निर्देश दिए हैं.
जानकारी के अनुसार वर्ष 1995 में संदीप मल्होत्रा दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे. वर्ष 1996-97 में दिल्ली-एनसीआर में जगह-जगह सीरियल ब्लास्ट हुए. इसकी जांच क्राइम ब्रांच के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर बीके गुप्ता और तत्कालीन डीसीपी करनैल सिंह कर रहे थे. उन्होंने अपनी टीम में टेक्निकल सर्विलांस एवं जांच के लिए संदीप मल्होत्रा को शामिल किया. संदीप द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारी की वजह से पुलिस टीम आतंकियों को पकड़ने में कामयाब रही. इस बेहतरीन काम के लिए वर्ष 1998 में कई पुलिसकर्मियों को बारी से पहले तरक्की दी गई, जिसमें सब इंस्पेक्टर संदीप मल्होत्रा का नाम भी शामिल था. यह पदोन्नति उपराज्यपाल की मंजूरी से तत्कालीन पुलिस कमिश्नर टीआर कक्कड़ द्वारा दी गई थी.
अधिवक्ता अनिल सिंगल ने बताया कि इंस्पेक्टर का पद मिलने के महज तीन महीने बाद संदीप को बताया गया कि उनका प्रमोशन वापस लिया जा रहा है, क्योंकि पदोन्नति का कोटा केवल 5 फीसदी है और उनके कैडर में जगह नहीं है. उन्होंने इसे लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष अपील की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ. उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने संदीप के समर्थन में पत्र लिखे लेकिन महकमे ने एक नहीं सुनी.