वाराणसी : काशी में बना स्वर्वेद मंदिर 180 फीट ऊंचा और सात मंजिल का महामंदिर है. यहां के अनुयायी भारत के करीब सभी राज्यों एवं विदेशों में भी हैं. मंदिर में अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव महाराज के शताब्दी समारोह में आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. आयोजन के दूसरे दिन यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचेंगे (swarved mahamandir dham in varanasi) और करीब 3 लाख लोगों को संबोधित करेंगे.
वाराणसी के उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य 2014 से शुरू हुआ जो अभी तक लगातार चल रहा है. जो साधना का विशालतम केंद्र माना जा रहा है.
स्वर्वेद महामंदिर धाम से पीएम मोदी करेंगे विश्व शांति का उद्घोष. मंदिर की विशेषताएं
- 3 लाख वर्गफुट दुर्लभ श्वेत मकराना संगमरमर
- लाख घनफुट नक्काशीदार गुलाबी सैंडस्टोन
- 2,50,000 वर्गफुट कुल क्षेत्रफल
- 80 वर्गफुट क्षेत्र पर निर्मित
- 20 साधकों के एक साथ बैठने हेतु स्थान
- 4,000 स्वर्वेद दोहे मकराना संगमरमर दीवारों पर उत्कीर्ण
- 238 क्षमता के दो अत्याधुनिक सभागार
- 180 फुट ऊंचाई वाला सात फ्लोर का महामंदिर
- 135 फुट ऊंची सद्गुरु देव की सैंडस्टोन प्रतिमा
संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने बताया कि देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में 2014 में स्वर्वेद महामंदिर निर्माण की नींव रखी गई. जो एक विहंगम आध्यात्मिक केंद्र बन रहा है. यहां एक साथ 20 हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर योग साधना कर सकेंगे. स्वर्वेद के सभी दोहे, उपनिषदों के संदेश, गीता के श्लोक, रामचरित्र मानस के चौपाई के साथ पूरी भारतीयता को समेटे यह महामंदिर दिनों दिन सजता जा रहा है. 14 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यहां कार्यक्रम है.
विज्ञानदेव जी महाराज ने स्वर्वेद महामंदिर के बारे में कहा कि इस महामंदिर की 80 फीट ऊंचाई है. 3 लाख वर्गफुट मकराना संगमरमर, 3 लाख घन फुट नक्काशीदार गुलाबी सैंडस्टोन लगाया जा रहा है. जो पत्थर भगवान श्री राम जन्मस्थली मन्दिर के निर्माण में लगाया जा रहा है. वो राजस्थान के भरतपुर स्थित बयाना गांव का है. वहीं पत्थर यहां लगाया जा रहा है. इस महामंदिर में राजस्थान के अनेक स्थानों के पत्थर हैं. जालौर, मकराना, भरतपुर के पत्थर भारतीयता को समेटे हुए ये पत्थर हैं.
इस मंदिर में 125 कमल पंखुड़ियों का शीर्ष भाग मंदिर में लगा हुआ है जो सुशोभित हो रहा है. जीआरसी तकनीक नवसारी गुजरात से बना हुआ है. मंदिर में जो लकड़ी का वर्क है, वो बलसरी सागौन गुजरात का है. यह शिल्प कला का अद्भुत नमूना है.
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