नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को लोकतंत्र की तीन ऐसी विकृतियां करार दिया, जिनसे देश तथा समाज का बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इन तीनों ‘बीमारियों’ के खिलाफ उनकी जंग जारी रहेगी. लाल किले की प्राचीर से 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की राह में अगर कुछ रुकावटें हैं तो ये विकृतियां ही हैं. उन्होंने कहा, "पिछले 75 सालों में कुछ विकृतियां ऐसे घर कर गई हैं, हमारी सामाजिक व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन गई हैं...कभी-कभी तो हम आंख भी बंद कर लेते हैं. लेकिन अब आंखें बंद करने का समय नहीं है. संकल्पों को सिद्ध करना है तो हमें आंख-मिचौली खत्म करके, आंख में आंख डालकर तीन बुराइयों से लड़ना है. यह समय की बहुत बड़ी मांग है."
मोदी ने कहा कि हमारे देश की सभी समस्याओं की जड़ में भ्रष्टाचार है, जिसने दीमक की तरह देश की सारी व्यवस्थाओं को, देश के सामर्थ्य को पूरी तरह नोच लिया है. उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए लड़ाई जारी रहेगी. यह मोदी के जीवन की प्रतिबद्धता है. मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा." राजनीति में परिवारवाद का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने देश को लूट लिया है और तबाह किया है. उन्होंने कहा, "इसने जिस प्रकार से देश को जकड़ कर रखा है, उसने देश के लोगों का हक छीना है."
तुष्टीकरण को ‘तीसरी बुराई’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि इसने देश के मूलभूत चिंतन और सर्वसमावेशी राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगाया है और उसे तहस-नहस कर दिया है. बगैर किसी राजनीतिक दल का नाम लिए उन्होंने कहा, "इन लोगों ने देश का बहुत नुकसान किया है. इन तीनों बुराइयों के खिलाफ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है. भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण देश के लोगों की आकांक्षाओं का दमन करते हैं." इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब हों, दलित हों, पिछड़े हों, पसमांदा हों या फिर आदिवासी भाई-बहन, इनके हक के लिए तीनों बुराइयों से मुक्ति पानी है.