रुद्रप्रयागःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज केदारनाथ दौरे पर रहे. जहां उन्होंने बाबा केदारनाथ का रुद्राभिषेक किया और आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. उसके बाद जनता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड और केदारनाथ से जुड़ी कई यादों को भी साझा किया. उन्होंने कहा कि 80 के दशक में गरुड़चट्टी में साधना की थी. उत्तराखंड की धरती ने वीरों को जन्म दिया है. हर गांव ने पराक्रम की गाथा लिखी है. वहीं, उन्होंने धार्मिक संस्कृति की विरासत को संजोने की जरूरत भी बताई.
अयोध्या, काशी और मथुरा का किया जिक्र: अगले साल की शुरुआत में उत्तराखंड के साथ ही यूपी में भी विधानसभा चुनाव है. प्रधानमंत्री ने अयोध्या, काशी और मथुरा का अपने भाषण में जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है. इस बार अयोध्या की दीपावली अद्वितीय रही. पीएम ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण का काम सभी देख रहे हैं. उन्होंने अपने भाषण में मथुरा में हो रहे सौंदर्यीकरण के कार्यों का भी उल्लेख किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदियों बाद देशवासियों को उनका ऐतिहासिक और धार्मिक गौरव अब वापस मिल रहा है.
PM मोदी ने गरुड़चट्टी में की साधना को किया यादः80 के दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम से ढाई किमी पहले गरुड़चट्टी नामक स्थान पर साधना की थी. वे हर रोज वहां से केदारनाधाम के लिए निकलते थे और बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाकर आते थे. साथ ही साधना में लीन रहते थे. आज केदारनाथ पहुंचकर उन्होंने अपने पुरानें दिनों को याद किया.
उन्होंने कहा कि 80 के दशक में भी वे केदारनाथ धाम पहुंचे थे और उन्होंने बाबा की साधना की थी. उनके मित्र आज भी उन्हें जानते हैं और उनमें कुछ लोग आज भी इस स्थान में मौजूद हैं, जबकि कुछ पुराने लोग इस स्थान को छोड़कर चले गए हैं तो कुछ धरा को छोड़कर चले गए हैं. वे उन सभी लोगों को जो आज उनके बीच नहीं हैं, उन्हें नमन करते हैं.
आपदा के समय भी केदारनाथ धाम पहुंचे थे मोदीःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपदा के समय भी वे यहां पहुंचे थे. उस दौरान वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वे यहां आकर सबकुछ देख चुके थे. उस समय लोगों को लगा था कि क्या पुनः से बाबा केदारनाथ बस पाएगा या फिर खड़ा हो पाएगा. मैं खुद को यहां आने से रोक नहीं पाया था. उस दर्द को देख रहा था. जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे, अब क्या केदारपुरी दोबारा से उठ खड़ी होगी. लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी, यह केदार आन, बान और शान के साथ खड़ा होगा.