नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर राष्ट्र को समर्पित किया. इस मौके पर कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे. इससे पहले पीएम मोदी ने आज सुबह आईटीपीओ परिसर में हवन और पूजा में भाग लिया. जिसके बाद वह सेंटर के निर्माण में लगे श्रमजीवियों मिले और उन्हें सम्मानित किया. उन्होंने आज सुबह परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की. जानकारी के मुताबिक इसको बनाने में करीब 2700 करोड़ की लागत आई है. इस अवसर पर वह भारत की अध्यक्षता में हो रही जी-20 बैठकों पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री का संबोधन भी होगा. इस कन्वेंशन सेंटर को 'भारत मंडपम' का नाम दिया गया है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 2024 में हमारे तीसरे टर्म में विकास यात्रा और तेजी से आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि यह विकास यात्रा रुकेगी नहीं. उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी की गारंटी है. उन्होंने कहा कि तीसरे टर्म में अर्थव्यवस्था के मामले में हम तीसरे नंबर पर होंगे.
प्रदर्शनी हॉल, एम्फीथिएटर आदि सहित कई अत्याधुनिक सुविधाएं से लैस है सेंटर
प्रगति मैदान में नव विकसित आईईसीसी कॉम्प्लेक्स में कन्वेंशन सेंटर, प्रदर्शनी हॉल, एम्फीथिएटर आदि सहित कई अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं. कन्वेंशन सेंटर को प्रगति मैदान परिसर के केंद्रबिंदु के रूप में विकसित किया गया है. यह एक भव्य वास्तुशिल्प का अनूठा नमूना है, जिसे बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों, सम्मेलनों, सेमीनारों और अन्य प्रतिष्ठित कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए डिजाइन किया गया है. यह कई मीटिंग रूम, लाउंज, ऑडिटोरियम, एम्फीथिएटर और बिजनेस सेंटर से सुसज्जित है, जो इसे कई प्रकार के कार्यक्रमों की मेजबानी करने में सक्षम बनाता है.
सात से तीन हजार लोगों के बैठने की है क्षमता
इसके भव्य बहुउद्देश्यीय हॉल और प्लेनरी हॉल की संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है, जो ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से भी बड़ी है. इसके शानदार एम्फीथिएटर में 3,000 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है.
भारतीय परंपराओं से प्रेरित है भवन का वास्तुशिल्प
कन्वेंशन सेंटर भवन का वास्तुशिल्प भारतीय परंपराओं से प्रेरित है और आधुनिक सुविधाओं और जीवन-शैली को अपनाने के साथ-साथ अपने अतीत में भारत के आत्मविश्वास और दृढ़ विश्वास को भी दर्शाता है. इमारत शंख के आकार की है. कन्वेंशन सेंटर की विभिन्न दीवारें और अग्रभाग भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति के कई तत्वों को दर्शाते हैं, जिनमें 'सूर्य शक्ति', सौर ऊर्जा के दोहन में भारत के प्रयासों को उजागर करना, 'जीरो टू इसरो', अंतरिक्ष में हमारी उपलब्धियों का जश्न मनाना, पंच महाभूत- आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी आदि व्यापक नींव के निर्माण खंडों को दर्शाता है. इसके अलावा, देश के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न पेंटिंग और जनजातीय कला विभिन्न रूपों में कन्वेंशन सेंटर की शोभा बढ़ाते हैं.