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Published : Aug 5, 2023, 7:20 PM IST

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अनुच्छेद 370 निरस्त कर कश्मीरी लोगों को जबरदस्ती चुप करा दिया गया, अलग-थलग कर दिया : तारिक हमीद

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के चार साल पूरे हो गए हैं. भाजपा कार्यकर्ता इसका जश्न मना रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि इस क्षेत्र की स्वायत्तता छीन ली गई है. कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य तारिक हमीद कर्रा ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा से खास बातचीत करते हुए कहा कि '2019 के बाद से कश्मीरी निराश हो गए हैं, वह अलग-थलग महसूस कर रहे हैं.'

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नई दिल्ली :जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के चार साल पूरे होने पर कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य तारिक हमीद कर्रा ने सरकार के विकास के दावों को 'कॉस्मेटिक प्रोजेक्शन' बताया. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को राहुल गांधी से बहुत उम्मीदें हैं. पढ़ें पूरा इंटरव्यू.

सवाल : आप अगस्त 2019 से अब तक परिवर्तन को कैसे देखते हैं? क्या कोई अच्छा परिवर्तन हुआ है?

जवाब : हां, परिवर्तन हुआ है. लोग पहले सोचते थे कि उन्हें संवैधानिक गारंटी दी गई है जिससे वे सशक्त हुए हैं लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्षेत्र का माहौल काफी बदल गया है. लोग नाखुश हैं, उन्हें जबरदस्ती चुप करा दिया गया है और अलग-थलग कर दिया गया है. चार वर्षों में परिवर्तन तो हुए हैं लेकिन वे खराब अर्थों में हुए हैं. लोग अब हतोत्साहित और अपमानित महसूस कर रहे हैं.

सवाल : सरकार और एलजी हाउस का दावा है कि जम्मू कश्मीर में नोटबंदी के बाद जबरदस्त विकास हुआ है और यह क्षेत्र विकास संकेतकों में शीर्ष स्थानों में गिना जाता है? आप इस बात से सहमत है?

जवाब : जो कोई भी कश्मीर को जानता है वह जानता है कि यह पहली बार नहीं है कि इस क्षेत्र में कोई ग्रोथ या डेवलपमेंट हुआ है. विकास एक सतत प्रक्रिया है और यह दावा करना कि 2019 के बाद विकास हुआ और इसका श्रेय उन्हें (भाजपा को) देना, झूठ है. पहले भी विकास हुआ था, लेकिन यहां सवाल यह है कि आप सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में अपने नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं? क्या वहां आज़ादी है?

अगस्त 2019 से पूरी तरह से आइसोलेशन है. सरकार के पास राजनीतिक या सामाजिक-आर्थिक मामलों में कहने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए वे इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं. सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए रोज इस तरह का दिखावा करती है.

सवाल : आपके अनुसार, 1947 के बाद जम्मू कश्मीर के इतिहास का सबसे अशांत चरण कौन सा था?

जवाब : ये हम यहां पिछले तीन दशकों से देख रहे हैं. यह दावा करना कि सब कुछ सामान्य है, सरासर झूठ है. यह महज एक कॉस्मेटिक प्रोजेक्शन है.

सवाल: दावा किया जा रहा है कि निरस्तीकरण के बाद कश्मीरी युवाओं का दिमाग बदल गया है? आप इस बात से सहमत है?

जवाब : हां, परिवर्तन हुआ है. आज, कश्मीरी युवाओं को खामोश कर दिया गया है, उन्हें आघात पहुंचाया गया है. वे जानते हैं कि अगर वे बोलेंगे, तो उन पर यूएपीए लगाया जाएगा या हिरासत में लिया जाएगा. सड़कों पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है. पत्रकार, व्यापारी सभी एनआईए, ईडी, आईटी के दबाव से डरते हैं. यह कोई सकारात्मक विकास नहीं है.

सवाल : और अलगाववाद? क्या यह ख़त्म हो गया?

जवाब :अलगाववाद के संबंध में, हम न तो इसका समर्थन करते हैं और न ही हम उनकी विचारधारा का पालन करते हैं. लेकिन लोकतंत्र में लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाना ठीक नहीं है. यह और अधिक नकारात्मकता ला रहा है. अलगाववाद एक अलग विषय है और अलगाव कुछ और है. आज के परिप्रेक्ष्य में अलगाव बढ़ा है.

सवाल : SC से आपकी क्या उम्मीदें हैं?

जवाब : हमें उम्मीद है, हालांकि, काफी देर हो चुकी है लेकिन फिर भी, सुप्रीम कोर्ट ने निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है. यह एक अच्छा संकेत है और हम सभी आशा करते हैं कि न्याय होगा.

सवाल : भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी पर काफी कुछ कहा जा रहा है. क्या उनकी छवि में सुधार हुआ है या क्या जेके के लोग उन्हें सकारात्मक आशा से देखते हैं?

जवाब :मुझे नहीं पता कि जब आप राहुल गांधी की छवि के बारे में बात करते हैं तो आपके मन में क्या होता है, लेकिन हां, बीजेपी ने उनकी छवि खराब करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए और एक यात्रा से यह सब धुल गया. जब वे जम्मू कश्मीर गए तो सभी ने उनका स्वागत किया. लोग उनसे उम्मीद करते हैं और वह खुद को कश्मीर के लोगों और मिट्टी से जोड़ते हैं.

राहुल गांधी वही राहुल गांधी हैं जो वह कल थे और आज हैं और हर कोई उन्हें न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार करता है. आज वह फ्यूचरिस्टिक विजन रखने वाले सबसे बड़े नेता हैं.

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