पटना : पटना एक मैदानी क्षेत्र हैं और ऐसे में यहां हर 15 से 20 किलोमीटर के दायरे मेंतापमानमें 10 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर काफी चिंताजनक है. इस गंभीर मसले पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉ डीके शुक्ला ने बताया कि उन लोगों ने लैंडसेट सर्वे से ली गई तस्वीरों को मंगाई और इसका इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि, पटना में किस क्षेत्र में सर्फेस टेंपरेचर कितना है.
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"पटना में जो ओपन एरिया है और जो कन्जेस्टेड एरिया हैं, उन इलाकों में तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर है. उन्होंने कहा कि यह अंतर पटना को हीट आईलैंड में तब्दील कर देता है. हीट आईलैंड का कारण यह है कि पेड़ों की कटाई करके खुले मैदान में अधिक कंक्रीट के मकान बन गए. सड़कें भी कंक्रीट की ही बन गई और बड़े पेड़ों के काटने के बाद उस जगह पर पौधारोपण नहीं हुआ." - डाॅ. डीके शुक्ला, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
शहर में अधिक पार्क विकसित हो : डॉ डीके शुक्ला ने बताया कि किसी स्थिति से निपटने के लिए ही सरकार की योजना है कि पटना में अधिक से अधिक पार्क विकसित किए जाएं. इसके अलावा लोग भी अपने घर के पास पौधारोपण करें और घरों का रंग हल्के रंग से कराएं ताकि मकान अधिक हीट एब्जॉर्ब न करे. जिन इलाकों में प्रदूषण कम हो, उन्ही इलाकों में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्योग नीति बनाई जाए.
534 प्रखंड में डाटा इकट्ठा करने के लिए लगाए गए हैं सेंसर : डॉ डीके शुक्ला ने बताया कि इसके अलावा पूरे प्रदेश के सभी 534 प्रखंड में तापमान और वायु प्रदूषण का रीयल टाइम डाटा इकट्ठा करने के लिए 534 सेंसर लगाए गए हैं. इससे हमें पर्यावरण और इंडस्ट्री से जुड़ी पॉलिसी बनाने में काफी सहूलियत होगी. जिन इलाकों में वायु प्रदूषण अधिक होगा तापमान अधिक होगा. उन इलाकों में इसके नियंत्रण के लिए पॉलिसी बनाए जाएंगे और उधर उद्योग नहीं स्थापित किए जाएंगे.
कम दूरी पर भी पाया जा रहा तापान में अंतर : मौसम विज्ञान केंद्र पटना के मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया हीट आईलैंड उस स्थिति को कहते हैं, जब मानव निर्मित कारणों से अधिकतम तापमान में जो बढ़ोतरी होती है और यह बढ़ोतरी सामान्य से काफी अधिक होती है. इसमें आसपास के इलाके में ही कम दूरी पर 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान में अंतर देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि जहां तक पटना की बात है तो पटना में कई जगहों पर उन लोगों ने सेंसर लगवाए हैं और इस साल से यह काम कर रहा है. इस पर अभी और रिसर्च की आवश्यकता है.
"पश्चिमी पटना से पूर्वी पटना के 15 से 18 किलोमीटर के दायरे में अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस का अंतर हमेशा देखने को मिलता है. पूर्वी पटना में शुरू से घनी आबादी रही है और उधर बाईपास है, गाड़ियों का परिचालन अधिक होता है. इसलिए उधर का तापमान भी अधिक रहता है. जबकि दानापुर की तरफ जो पश्चिमी पटना है. वह अभी विकसित हो रहा है और उधर अभी भी काफी खुला इलाका है. इस कारण उधर का तापमान कम रहता है."-आशीष कुमार, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केंद्र पटना
'गर्मी के मौसम में देर रात तक कम नहीं हो रहा तापमान : मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया कि पटना हीट आईलैंड कैसे बन गया है, इसका अंदाजा इसी बार के मौसम और तापमान के आंकड़े को देखकर लगाया जा सकता है. इस बार गर्मी के मौसम में यह देखने को मिला कि सुबह 9 और 10 बजे ही अधिकतम तापमान 42 से 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रहा था. वहीं शाम होते ही अधिकतम तापमान कम होनी चाहिए तो यह न होकर रात 8 बजे तक अधिकतम तापमान 40 से 41 डिग्री सेल्सियस पर रहता था.
हीट स्ट्रेस से बीमारी का बढ़ रहा खतरा : मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया कि हीट आईलैंड का नुकसान सबसे बड़ा यह है कि जो लोग गरीब और कमजोर हैं. वह परेशान हो जाते हैं. शरीर को जितना समय ठंडा होने के लिए मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है और शरीर हमेशा हीट स्ट्रेस में रहता है. इस वजह से कई सारी बीमारियां घेर लेती है. ऐसे में इससे बचने के लिए जरूरी है कि लोग अधिक से अधिक पौधारोपण करें, ताकि छाया मिले. साथ हीं अपने मकान को एंटी सन-रे प्रोटेक्ट पेंट से रंगवाए, ताकि मकान अधिक हीट एब्जॉर्ब ना करें.