नई दिल्ली:संसद का विशेष सत्र 2023 आज से शुरू हो गया है. इस विशेष सत्र को सबसे पहले पीएम मोदी ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हम लोग पुराने सदन से विदा ले रहे हैं. यह भावुक पल है. उन्होंने आगे कहा कि हम सभी को नए सदन में प्रवेश करने से पहले पुराने संसद के स्वर्णिम पलों का याद करना चाहिए. आज का दिन बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सभी लोग ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. उन्होंने संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले यह भवन काउंसिल की जगह हुआ करती थी. आजादी मिलने के बाद इस भवन को संसद के रूप में नई पहचान मिली.
पीएम मोदी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस बिल्डिंग को बनाने का फैसला विदेशी शासकों का था, लेकिन हमको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस भवन के निर्माण में देशवासियों का खून-पसीना लगा था. इसके साथ-साथ हमारे देश का पैसा भी लगा था. लोकसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की 75 साल की यह यात्रा मूल्यवान है. उन्होंने कहा कि हम लोग नए भवन में भले ही चले जाएं, लेकिन इस सदन की यादें हमेशा जहन में याद रहेगी. यह सदन नए संसद भवन को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा.
जी20 समिट का किया जिक्र
पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जी20 की अध्यक्षता करना देश के लिए गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर के राजनेताओं को एक छत के नीचे लेकर आना और सबकी सहमति से हस्ताक्षर करना यह हमारे देश की ताकत को प्रदर्शित करता है. आज पूरी दुनिया भारत में अपने मित्र को खोज रहा है.
गरीब मां का बेटा संसद की दहलीज पर पहुंचा
पीएम मोदी ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि एक गरीब मां का बेटा संसद की दहलीज पर कदम रखेगा. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि जब मैं पहली बार संसद पहुंचा तो सिर झुकाकर इसको प्रणाम किया. ये हमारे देश के लोकतंत्र की खासियत है. उन्होंने अपना जिक्र करते हुए कहा कि प्लेटफॉर्म पर रहने वाला एक साधारण गरीब बच्चा आज संसद पहुंच गया है. मैंने जीवन में कभी भी इसकी कल्पना नहीं की था. देशवासियों ने मुझे ढेर सारा प्यार दिया, जिसका मैं आजीवन ऋणी रहूंगा.
कोरोना काल को किया याद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना काल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कोरोना में हमने देश को कभी भी रुकने नहीं दिया. सभी लोगों ने मास्क लगाकर देश को गति प्रदान की. सेंट्रल हाल के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि पुराने सदस्य सदन के सेंट्रल हॉल में जरूर आते है. यह इस सदन की खासियत है. उन्होंने आगे कहा कि देश पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसी भवन में 2 साल 11 महीने 18 दिन तक संविधान सभा की बैठकें हुई हैं.
भावुक पल है
सदन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह बहुत भावुक पल है. पीएम ने कहा कि जब कोई परिवार अपना पुराना घर छोड़कर नए घर में प्रवेश करता है तो उसके साथ तमाम यादें जुड़ी रहती हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मन-मस्तिष्क इन तमाम भावनाओं से द्रवित हो रहा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह समेत अनेक नेताओं के देश के निर्माण में योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 75 वर्ष में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जन का संसद पर विश्वास बढ़ता गया.
पूर्व पीएम का किया जिक्र
उन्होंने संसद में पिछले 75 वर्षों में अर्जित अनेक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मनमोहन सिंह सरकार में सामने आए 'नोट के बदले वोट' घोटाले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस 75 वर्ष में सबसे बड़ी उपलब्ध यह रही कि सामान्य जनमानस का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इस महान संस्था, व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास अटूट रहे. उन्होंने कहा, 'पंडित नेहरू, शास्त्री जी, अटल जी, मनमोहन सिंह जी तक देश का नेतृत्व करने वालों की बड़ी संख्या रही है. उन्होंने सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है. देश को नये रंग रूप में ढालने का काम किया है. आज उनके गौरवगान का अवसर है.'
अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद
मोदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया. उन्होंने कहा कि देश को तीन प्रधानमंत्रियों- पंडित नेहरू, लालबहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को उनके कार्यकाल के दौरान खोना पड़ा और सदन में उमंग तथा उत्साह के पलों के बीच आंसू भी बहे हैं. मोदी ने कहा कि यह वो सदन है जहां पंडित नेहरू के 'ए स्ट्रोक ऑफ मिडनाइड' भाषण की गूंज हम सभी को प्रेरित करती रहेगी. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था कि, 'सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी लेकिन यह देश रहना चाहिए.'
हरित क्रांति का किया उल्लेख
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में मंत्री के रूप में डॉ भीमराम आंबेडकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं भारत में लाने में जोर देते थे और इसका परिणाम देश को आज भी लाभ के रूप में मिल रहा है. मोदी ने कहा कि आंबेडकर ने नेहरू सरकार में ‘जल नीति’ दी थी, तो शास्त्री ने 'हरित क्रांति' की नींव रखी थी, चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया तो नरसिंह राव की सरकार ने पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई आर्थिक नीतियों को अपनाने का साहस किया था.