नई दिल्ली: केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लाये गये अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को अगले सप्ताह लोकसभा में लाया जाएगा. मेघवाल ने आगामी सप्ताह में सदन में होने वाले कामकाज की जानकारी देते हुए इसका उल्लेख किया.
जब निचले सदन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक को पेश किया जाएगा तो विवादास्पद अध्यादेश के विरोध में वैधानिक प्रस्ताव लाने के लिए विपक्ष के कई नेताओं के नोटिस पर भी विचार किया जाएगा. लोकसभा सचिवालय ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी सदस्य डीन कुरियाकोस, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, द्रमुक के ए राजा और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन समेत अनेक विपक्षी नेताओं के नोटिस स्वीकार कर लिये हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी थी. यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया जाएगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं.
लोकसभा ने महत्वपूर्ण खनिजों के लिए लाइसेंस संबंधी विधेयक को दी मंजूरी
लोकसभा ने शुक्रवार को खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को मंजूरी दी, जिसमें जमीन के नीचे मौजूद कुछ महत्वपूर्ण खनिजों के संदर्भ में निजी क्षेत्र को लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान है. सदन ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से अपनी स्वीकृति प्रदान की. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए खान और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह विधेयक खनिज क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली इस सरकार में हर क्षेत्र में बदलाव लाया जा रहा है और वह देश के हित में है. जोशी ने कहा कि यह बदलाव देश में दिख रहा है और इसी कारण देश की अर्थव्यवस्था आज दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गई है. मंत्री ने कहा कि स्वच्छ मन और स्पष्ट दृष्टिकोण से बदलाव लाया जा रहा है. कोई भाई-भतीजे को फायदा पहुंचाने का काम नहीं हुआ. लेकिन इनके (कांग्रेस के) समय कुछ और हुआ. इनके एक सांसद तो जेल में जाने की कगार पर हैं.
चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि इस विधेयक से नौकरशाही संबंधी बाधाएं खत्म हो जाएंगी तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे जाने में मदद मिलेगी. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 केंद्र सरकार को कुछ महत्वपूर्ण खनिजों के लिए विशेष रूप से खनन पट्टे और समग्र लाइसेंस की नीलामी करने का अधिकार देता है.
जोशी ने यह विधेयक गत बुधवार को लोकसभा में पेश किया था. विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, यह संशोधन महत्वपूर्ण खनिजों के लिए अन्वेषण के सभी क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाएगा. खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में पहले भी कई बार संशोधन किया जा चुका है.
शोर शराबे के बीच राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक को मंजूरी
हंगामे के बीच राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 को भी मंजूरी दी गई, जिसमें दंत चिकित्सा व्यवसाय को विनियमित करने तथा गुणवत्तापूर्ण एवं वहनीय दंत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है. निचले सदन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार देश में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग लेकर आयी और आज इसके माध्यम से पारदर्शिता के साथ अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि उसी समय यह भी चर्चा की गई कि दंत चिकित्सा और नर्सिंग की शिक्षा को लेकर भी व्यवस्था में सुधार हो. संसद की स्थायी समिति से इस संबंध में सुझाव भी दिये गये. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि दंत चिकित्सा शिक्षा से संबंधित कानून पुराने हो गए थे. उन्होंने कहा कि समय-समय पर शिक्षा के आयाम में बदलाव हुए तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत भी महसूस की गई.
उन्होंने कहा कि देश में दंत चिकित्सा कालेजों की संख्या भी बढ़ी है और समय के साथ बदलाव भी हुए हैं. मांडविया ने कहा कि ऐसे में दंत चिकित्सा शिक्षा की रूपरेखा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शोर शराबे के बीच राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी. इस समय निचले सदन में विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर शराबा कर रहे थे.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, इसमें दंत चिकित्सा शिक्षा, दंत चिकित्सा पेशेवर और दंत चिकित्सा संस्थानों से संबंधित सभी पहलूओं के विकास और विनियमन के लिए एक राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग तथा आयोग को सलाह देने एवं सिफारिशें करने के उद्देश्य से एक दंत चिकित्सा सलाहकार परिषद गठित करने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें तीन स्वशासी बोर्ड गठित करने की बात कही गई है.
इसके तहत स्नातक पूर्व स्तर और स्नातकोत्तर स्तर पर दंत चिकित्सा शिक्षा के नियमन एवं मानदंड तय करने के लिए स्नातक पूर्व एवं स्नातकोत्तर दंत चिकित्सा शिक्षा बोर्ड गठित करने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें दंत चिकित्सा संस्थानों का निर्धारण और रेटिंग करने, नये दंत चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना करने, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने, स्थानों की संख्या बढ़ाने या घटाने की अनुमति देने, दंत चिकित्सा निर्धारण एवं रेटिंग बोर्ड की बात कही गई है.
विधेयक में पेशेवरों के आचारण को विनियमित करने, दंत चिकित्सकों एवं पेशेवरों में दंत चिकित्सा शिष्टाचार का संवर्द्धन करने, सभी लाइसेंस प्राप्त दंत चिकित्सकों और दंत चिकित्सा सहायकों की डिजिटल राष्ट्रीय पंजी रखने तथा शिष्टाचार और दंत चिकित्सक पंजीकरण बोर्ड गठित करने की बात कही गई है.
इसमें एक ऑनलाइन और लाइव राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सभी लाइसेंस प्राप्त दंत चिकित्सकों का नाम, पता आदि हों. इसके साथ ही दंत चिकित्सा सहायकों के लिए एक पृथक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने की बात भी कही गई है. विधेयक में फीस, प्रभार जमा करने के लिए राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग निधि गठित करने का प्रस्ताव भी किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में 69,766 तो उच्च न्यायालयों में 60,63,499 मामले लंबित
सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में जानकारी दी कि देश के सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले, उच्च न्यायालयों में 60,63,499 मामले और जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में 4,42,92,136 मामले लंबित हैं. यह जानकारी केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के लिखित उत्तर के रूप में आई, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की जांच कर रहे कई सांसदों के कुछ सवालों के जवाब दिए.
कानून मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं जबकि उच्च न्यायालयों में यह संख्या 60,63,499 है. मेघवाल ने बताया कि 26 जुलाई 2023 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सबसे अधिक 10,39,879 मामले लंबित हैं, इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में 7,00,214, राजस्थान हाई कोर्ट में 6,52,093, मद्रास हाई कोर्ट में 5,51,953, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में 4,45,498 और कई अन्य मामले लंबित हैं.
शोर-शराबे के बीच भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक पेश
इसके अलावा लोकसभा में शोर-शराबे के बीच भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक पेश किया गया. इसके माध्यम से भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. निचले सदन में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने उक्त विधेयक पेश किया. इस समय विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे थे. जब पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी को विधेयक पेश किये जाने पर बोलने को कहा तब तिवारी ने मणिपुर का मुद्दा उठाने का प्रयास किया.
हालांकि, आसन ने उन्हें विधेयक पर ही बोलने को कहा. इसके बाद निचले सदन में ध्वनिमत से भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक पेश किया गया. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारण में कहा गया है कि वर्ष 1961 में भारत सरकार ने कलकत्ता और अहमदाबाद में दो भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित करने का निश्चय किया था. इन विशेषज्ञ संस्थानों के माध्यम से भारत में प्रबंध प्रशिक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी लाने की परिकल्पना की गई थी.
ऐसे संस्थानों की मांग में वृद्धि होने के कारण बंगलोर (अब बेंगलुरु), लखनऊ, इंदौर और कोझीकोड में भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए थे. इसके अनुसार 11वीं योजना में शिलांग, रांची, रोहतक, रायपुर, काशीपुर, तिरूचिरापल्ली और उदयपुर में नए भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए. वहीं वर्ष 2015-16 के दौरान अमृतसर, बोधगया, जम्मू, नागपुर, संभलपुर, सिरमौर और विशाखापट्टनम में भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किए गए.
इसके बाद, अधिनियम के माध्यम से संस्थानों को डिग्रियां प्रदान प्रदान करने, संस्थानों के शासन को एकसमान बनाने और बोर्ड संचालन करने के लिए सशक्त बनाया गया है और उन्हें शैक्षिक स्वायत्तता का प्रयोग करने में समर्थ बनाया है. राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान मुंबई की स्थापना वर्ष 1963 में हुई थी और यह अपनी तकनीकी-प्रबंधन संबंधी दक्षता और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान के लिए जाना जाता है.
संस्थान संसद के किसी अधिनियम का भाग नहीं है और उसने अनेक चुनौतियों का अनुभव किया है. इसमें कहा गया है कि देश में शीर्षस्थ प्रबंध संस्थानों में से एक होने के बावजूद वह डिग्रियां प्रदान करने में असमर्थ है जिससे संस्थान के पक्षकारों खासकर छात्रों की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि इस परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान, मुंबई को अधिनियम के अधीन लाने एवं संबंधित विषयों पर चर्चा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था.
समिति ने उक्त संस्थान को अधिनियम में सम्मिलित करने की मजबूती से सिफरिश की है. ऐसे में वर्तमान विधेयक अर्थात भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023 के माध्यम से भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 का संशोधन करने का प्रस्ताव है. इसमें एक नई उपधारा को जोड़ा गया है ताकि राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान मुंबई को भारतीय प्रबंध संस्थान मुंबई के नाम से जाना जायेगा और भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017 के सभी उपबंध ऐसे संस्थान पर लागू होंगे.
(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)