नई दिल्ली :संसद का बजट सत्र (parliament budget session) के संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व के सामने मौजूद जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती है, जिसका मुकाबला करने के लिए भारत एक जिम्मेदार वैश्विक आवाज बनकर उभरा है. सोमवार को बजट सत्र के अभिभाषण में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 'सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में मेरी सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2030 तक भारत अपने कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन से घटा देगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने साल 2070 तक शून्य उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी रखा है. उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व-समुदाय को साथ लेकर 'ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव: वन सन - वन वर्ल्ड - वन ग्रिड' की पहल भी की है और यह ग्लोबल इंटरकनेक्टेड सोलर पावर ग्रिड का पहला अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बन रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण को लेकर देश के बड़े लक्ष्य और साहसिक संकल्प, प्रकृति के प्रति राष्ट्र की संवेदनशीलता को दर्शाते हैं.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्वोत्तर में शांति स्थापना के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इन राज्यों में हर स्तर पर बुनियादी और आर्थिक अवसरों का विकास किया जा रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि जो राज्य और क्षेत्र उपेक्षित छूट गए थे, आज देश उनके लिए विशेष प्रयास कर रहा है. पूर्वोत्तर में जारी विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वहां शांति स्थापना के प्रयासों में सरकार को 'ऐतिहासिक सफलता' मिली है.
उन्होंने कहा, 'मेरी सरकार पूर्वोत्तर के सभी राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है. इन राज्यों में हर स्तर पर बुनियादी और आर्थिक अवसरों का विकास किया जा रहा है. रेल और हवाई कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं का सपना पूर्वोत्तर के लोगों के लिए अब साकार हो रहा है. यह देश के लिए गर्व का विषय है कि पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियाँ मेरी सरकार के प्रयास से अब रेलवे के नक्शे पर आ रही हैं.'