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Papmochani Ekadashi 2022: पापमोचनी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Papmochani Ekadashi 2022: एकादशी व्रत सभी व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है और धन-आरोग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत से मनोरोग भी दूर होते हैं. पापमोचनी एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति तथा प्रायश्चित के लिए किया जाने वाला व्रत है.

Papmochani Ekadashi 2022
पापमोचनी एकादशी 2022

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Published : Mar 28, 2022, 6:49 AM IST

Updated : Mar 28, 2022, 7:32 AM IST

रांची: पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2022)का मतलब है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है. इस साल पापमोचनी एकादशी 28 मार्च 2022 को मनाई जाएगी. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका खास आशीर्वाद मिलता है. तो आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूज विधि और कथा.

पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Papmochani Ekadashi 2022 Shubh Muhurat)
पापमोचनी एकादशी सोमवार, मार्च 28, 2022 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 27, 2022 को शाम 06 बजकर 04 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त - मार्च 28, 2022 को शाम 04 बजकर 15 मिनट पर खत्म
पारण का समय- 29 मार्च 2022 को सुबह 06 बजकर 25 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक
पापमोचनी एकादशी को लेकर पंडित जितेंद्र जी महाराज ने बताया कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पंडित जितेंद्र जी महाराज ने यह भी बताया कि जो भी भक्त इस व्रत को करेंगे उनके पापों का नाश होगा और उनके सभी आने वाले संकट मिट जाएंगे. इस दिन व्रत रखने वाले लोग ब्राह्मण और गरीबों के बीच चना और गुड़ का वितरण करें साथ ही गरीब इंसान को वस्त्र दान कर पुण्य कमाने का काम करें.

पापमोचनी एकादशी 2022

पंडित जितेन्द्र जी महाराज ने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार देवराज इंद्र अप्सरा के साथ एक बार वन में विचरण कर रहे थे. इसी बीच च्वयन ऋषि के पुत्र मेधावी चैत्ररथ वन में तपस्या कर रहे थे. मेधावी चैत्ररथ भगवान शिव की तपस्या में लीन थे. उनकी तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव ने मंजू घोषा नाम की एक अप्सरा को भेजा. उस समय मेधावी चैत्ररथ युवा थे और व मंजू घोसा की खूबसूरती पर मोहित हो गये. मेधावी के मोहित होते ही उनकी तपस्या भंग हो गई. कई वर्षों तक मंजू घोषा के साथ समय बिताने के बाद उन दोनों को एहसास हुआ कि वह शिव भक्ति से विमुख हो चुके हैं और उन्होंने घोर पाप किया है. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए दोनों ने ही पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और दोनों को पाप से मुक्ति मिली.

वहीं, इसको लेकर पंडित नरेश पांडे बताते हैं कि 28 मार्च को मनाई जाने वाली पापमोचनी एकादशी का बहुत ही सुंदर संयोग है सोमवार के दिन आने से इस बार की एकादशी का विशेष महत्व बढ़ जाता है.

पापमोचनी एकादशी के व्रत के फायदे (Papmochani Ekadashi Vrat Benefits)

एकादशी का व्रत नियमित रूप से रखने पर मन की चंचलता समाप्त होती है.

एकादशी का व्रत रखने से धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही शारीरिक समस्याएं भी ठीक होती हैं.

पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से आरोग्य मिलता है और संतान की प्राप्ति भी होती है.

एकादशी का व्रत रखने से किसी भी तरह की मानसिक समस्या दूर हो जाती है.

एकादशी व्रत रखने के नियम (Papmochani Ekadashi Niyam)

इस व्रत को दो तरह के रखा जाता है निर्जल या फलाहारी तरीके से.

निर्जल व्रत सिर्फ वही लोग रखें जो पूरी तरह से स्वस्थ हों. बाकी लोग फलाहारी व्रत रख सकते हैं.

इस व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सिर्फ एक बार भोजन करना चाहिए. इस दिन सिर्फ सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए.

एकादशी तिथि को सुबह के समय पर भगवान विष्णु का पूजन करना शुभ माना जाता है.

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि (Papmochani Ekadashi Puja Vidhi)

एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.

इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके बाद भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल आदि अर्पित करके आरती करें.

इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान जरूर करें.

एकादशी पर रातभर जागरण करना चाहिए. इसके बाद द्वादशी तिथि को व्रत खोलना चाहिए.

Last Updated : Mar 28, 2022, 7:32 AM IST

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