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अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में चेतावनी, चीन के 'ऋण जाल' में ना फंसे पड़ोसी देश - china loan sri lanka pakistan nepal

अमेरिका स्थित स्वतंत्र मीडिया संस्थान 'ग्लोबल स्ट्रैट व्यू' (Global Strat View) ने विश्‍व के देशों को चीन के सस्‍ते कर्ज के जाल में न फंसने की चेतावनी दी है. 'ग्लोबल स्ट्रैट व्यू' की ओर से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि श्रीलंका और पाकिस्‍तान का संकट पूरे विश्‍व के लिए एक साफ संकेत है कि चीन के कर्ज लेने का असर किस कदर बुरा हो सकता है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास के लिए चीन पर निर्भर रहना किसी भी देश के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.

China claims to do its best to help Sri Lanka
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में चेतावनी

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Published : Apr 13, 2022, 9:14 AM IST

Updated : Apr 13, 2022, 7:51 PM IST

वाशिंगटन/बीजिंग: पाकिस्तान में तानाशाही का मुखर विरोध करने वाले शायर हबीब जालिब ने काफी पहले एक नज्म में लिखा था "मैंने उससे ये कहा/ चीन अपना यार है/उस पर जां निसार है/पर वहां जो निजाम है/ उस तरफ ना जाइयो/ उसको दूर से सलाम". कुछ ऐसी ही हिदायत अब अमेरिका स्थित स्वतंत्र मीडिया संस्थान 'ग्लोबल स्ट्रैट व्यू' (Global Strat View) ने जारी की है. 'ग्लोबल स्ट्रैट व्यू' की हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एशियाई देशों को आगाह किया गया है कि आर्थिक विकास के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भरता किसी भी देश के लिए एक दयनीय विकल्प हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका और पाकिस्‍तान का संकट इसके ताजा उदाहरण हैं.

'ग्लोबल स्ट्रैट व्यू' की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान और श्रीलंका को भारी कर्ज देना और दुनिया में चीन के लैब से निकली कोरोना महामारी का फैलना महत संयोग नहीं हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की 'ऋण जाल' नीति एक समान वैश्विक पैटर्न का अनुसरण करती है. रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान जो चीन के लिए 'हर मौसम का दोस्त' की तरह है हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 10 सबसे बड़े कर्जदारों देशों में से एक हो गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है. चीन के बीआरआई की एक प्रमुख परियोजना है, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के झिंजियांग प्रांत से जोड़ना है. इसके अलावा, रिपोर्ट विभिन्न विश्लेषकों के हवाले से यह कह रही है कि चीन पाकिस्तान में रणनीतिक संपत्तियों तक पहुंच हासिल करने के लिए 'ऋण-जाल' कूटनीति का उपयोग कर रहा है. पाकिस्तान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को चीनी बैंकों द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का कर्ज पाकिस्तान और श्रीलंका के लिए भारी पड़ रहा है. रिपोर्ट का दावा है कि 'ऋण-जाल' के संकट से उबरने में दोनों देशों को दशकों लग सकते हैं. क्योंकि अभी भी ये देश इस खतरे के प्रति आगाह नहीं दिखते. विशेषज्ञों की चेतावनियों को कोलंबो और इस्लामाबाद द्वारा समान रूप से नजरअंदाज किया गया है. रिपोर्ट में चेतावनी भरे लहजे में कहा गया है कि तेजी से आर्थिक प्रगति के सपने से प्रभावित देशों को चीन के साथ आर्थिक जुड़ाव को अपनाने से पहले दो बार सोचने की जरूरत है. मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान जैसे देश भी चीनी कर्ज के बोझ तले दबे हैं.

'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) है चीन का नया हथियार : चीन ने 'वन बेल्ट वन रोड' जिसे अब 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरआई) के नाम से जाता है, की शुरूआत साल 2013 में की थी और जिस तरह से कई देशों का इसने बेड़ा गर्क किया है, उसे देखकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि इसका एकमात्र उद्देश्य उन देशों को ड्रैगन के पंजे में फंसाना है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां आर्थिक रूप से कमजोर देश, चाहे वे विकसित हों या विकासशील, वहां जब चीन ने बीआरआई की शुरूआत की तो वे ऋण के अथाह सागर में डूब गए, जिससे उनका निकलना लगभग नामुमकिन हो गया. सेंटर फोर ग्लोबल डेवलपमेंट ने वर्ष 2018 में ऐसे देशों पर शोध किया, जहां चीन की बीआरआई परियोजना पर काम हुआ है. शोध में यह खुलासा हुआ कि ऐसे 23 देश हैं, जो गंभीर ऋण संकट में फंस गए हैं. श्रीलंका और पाकिस्तान दोनों चीन की बीआरआई परियोजना के 'पोस्टर ब्वॉय' रहे हैं.

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हम्बनटोटा से शुरू हुआ चीनी कब्जे का खेल : श्रीलंका ने चीन से तीन से छह प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण लिया जबकि विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की दर एक से तीन प्रतिशत होती है. श्रीलंका जब ऋण का भुगतान करने में असमर्थ हुआ तो उसने अपनी हिस्सेदारी चीन की कंपनियों को बेचनी शुरू कर दी. चीन के इस भंवर में फंसकर श्रीलंका को अपना हम्बनटोटा बंदरगाह 99 साल की लीज पर चीन मर्चेट पोट होल्डिंग को देना पड़ा. यह एक रणनीतिक महत्व वाला बंदरगाह है लेकिन अब इसमें श्रीलंकाई सरकार की हिस्सेदारी न के बराबर है. श्रीलंका के बंदरगाह प्राधिकरण का इस बंदरगाह में 20 प्रतिशत हिस्सा है जबकि 80 प्रतिशत हिस्सा चीन की कंपनी का है. इसी तरह चीन ने श्रीलंका की कोलंबो पोर्ट सिटी परियोजना में करीब 1.4 अरब डॉलर का निवेश किया, जो श्रीलंका के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है. इसे निजी सार्वजनिक भागीदारी के रूप में पेश किया गया. यह भागीदारी श्रीलंका सरकार और सीएचईसी पोर्ट सिटी कोलंबो के बीच थी और इसका प्रचार रोजगार की अपार संभावनायें प्रदान करने वाले और देश के लिए राजस्व के बड़े स्रोत के रूप में किया गया. जो बात सार्वजनिक नहीं की गयी, वह थी इस परियोजना के लिए 269 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा और सीपीसीसी की परियोजना में 43 प्रतिशत हिस्सेदारी. इसके लिए भी 99 साल का लीज समझौता किया गया है.

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क्या है चीनी मोडुस ओपेरेन्डी: चीन बीआरआई के तहत इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ी-चढ़ी लागत के साथ पेश करता है. लेकिन वह यह नहीं बताता कि इन परियोजनाओं को कैसे लागू किया जाएगा. इसकी क्या शर्ते होंगी. श्रीलंका में 104 मिलियन डॉलर की लोटस टावर परियोजना कभी शुरू नहीं हुई. 209 मिलियन डॉलर की लागत से बना मत्ताला एयरपोर्ट दुनिया का सबसे खाली हवाईअड्डा है. यानी श्रीलंका ने ऐसी परियोजनाओं के लिए पैसा दिया, जिसकी उसे कोई जरूरत भी नहीं थी. चीन श्रीलंका में पूरी तरह पूंजीवादी विचार से चल रहा है, जहां उसके सस्ते उत्पादों ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और उसकी बेकार परियोजनायें ने सरकार को चंगुल में ले लिया है ताकि उसका अधिक से अधिक रणनीतिक लाभ उठाया जा सके. अब यह समझने की जरूरत है कि चीन के सभी समझौतों को पीछे उसका गुप्त एजेंडा होता है, उस देश की भूमि पर कब्जा करना और छोटे देश में विकास के नाम पर अपनी जेब भरना. चीन ने यही नीति अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिकी देशों में भी अपनाई है.
चीन ने श्रीलंका की मदद के लिए पूरा प्रयास करने का दावा किया : चीन ने मंगलवार को एक बार फिर दोहराया कि वह कर्ज में फंसे श्रीलंका को मदद पहुंचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. हालांकि, चीन कैसी और किस तरह की मदद कर रहा है, इस सवाल पर वह चुप है. श्रीलंका की ओर से कर्ज का पुनर्निधारण करने और वादे के अनुरूप ढाई अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया करने के अनुरोध पर भी चीन चुप है. वर्तमान संकट से निपटने के लिए श्रीलंका द्वारा चीन से आर्थिक मदद के कथित अनुरोध के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मंगलवार को पुराना राग अलापा. पिछले महीने चीन ने बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने 'हर मौसम का दोस्त' पाकिस्तान को बड़ी राहत देने के लिए कदम उठाया. चीन ने 4.2 अरब डॉलर अमेरिकी डॉलर के कर्ज के भुगतान को आगे बढ़ाने (रोलओवर) के पाकिस्तान के अनुरोध को स्वीकार कर लिया. हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन 30 मार्च को चीन दौरे के दौरान यह दावा पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने चीनी समकक्ष से बातचीत के बाद किया था.

Last Updated : Apr 13, 2022, 7:51 PM IST

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