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पद्मश्री जावेद अहमद टाक दिव्यांगों के लिए एक आदर्श

जावेद अहमद टाक 21 मार्च 1997 में कश्मीर में एक संघर्ष के दौरान अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी. इस हमले में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे. लेकिन उसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सेवा में खुद को व्यस्त कर लिया.

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Published : Nov 15, 2021, 11:10 AM IST

Published : Nov 15, 2021, 11:10 AM IST

पद्मश्री जावेद अहमद टाक
पद्मश्री जावेद अहमद टाक

अनंतनाग: इंसान के भीतर कुछ करने का हौसला बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी से बड़ी अड़चन भी छोटी लगती है. इसका जीता-जागता उदाहरण कश्मीर के बिजबेहरा क्षेत्र के 46 साल के जावेद अहमद टाक हैं. जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिला निवासी जावेद अहमद टाक वह शख्स हैं, जिन्हें हाल ही में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्मश्री से नवाजा है.

जावेद अहमद ने व्हीलचेयर के सहारे समाजसेवा कर मानवता की नई मिसाल कायम है. उनके साहस और पराक्रम के लिए उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.

जावेद अहमद टाक 21 मार्च 1997 में कश्मीर में एक संघर्ष के दौरान अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी. इस हमले में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और वह स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे. लेकिन उसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सेवा में खुद को व्यस्त कर लिया.

जावेद टाक ने लोगों के कल्याण को अपना मिशन बना लिया और अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी कभी बनने नहीं दी. उन्होंने 'ज़ेबा आपा' के नाम से मिशन शुरू किया जिसमें सैकड़ों दिव्यांग बच्चे शामिल कराए गए.

सामाजिक कार्य में जावेद टाक ने स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की है और अब उनके इस सामाजिक कार्य में फिलहाल उनके साथ सौ से ज्यादा लोग काम करते हैं. जावेद टाक उनकी शिक्षा से लेकर रोजगार तक, हरसंभव कार्य करते हैं.

जावेद अहमद टाक के सम्मान में आयोजित समारोह में उन्होंने पद्मश्री से नवाजे जाने के लिए प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया. उन्होंने आशा व्यक्त की कि जिला प्रशासन और केंद्र सरकार भविष्य में दिव्यांग व्यक्तिों को प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे.

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