नई दिल्ली : कांग्रेस ने 'वन रैंक-वन पेंशन' (OROP) से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के लाखों के सैनिकों को धोखा दिया है. पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार को संप्रग सरकार के समय तय मापदंडों के मुताबिक ही OROP अविलंब लागू (Congress on One Rank One Pension) करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बलों में वन रैंक-वन पेंशन (OROP) सरकार का एक नीतिगत फैसला है और इसमें कोई संवैधानिक दोष नहीं है.
गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि एक रैंक-एक पेंशन का केंद्र का नीतिगत फैसला मनमाना नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा. पीठ ने निर्देश दिया कि OROP के पुनर्निर्धारण की कवायद एक जुलाई, 2019 से की जानी चाहिए और पेंशनभोगियों को बकाया भुगतान तीन महीने में होना चाहिए.
कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार सैनिकों की वीरता के नाम पर वोट बटोरती है, लेकिन जवानों को वन रैंक, वन पेंशन का अधिकार नहीं देती. मोदी सरकार की दलील चलते यह फैसला आया है. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने कोश्यारी समिति की अनुशंसा के अनुसार OROP लागू करने की घोषणा की थी. 2015 के मोदी सरकार ने एक आदेश में जरिये OROP को बदल दिया और कहा कि समयपूर्व सेवानिवृत्त होने वालों को OROP नहीं मिलेगा, जबकि सेना में अधिकतर जवान 40 साल की उम्र तक सेवानिवृत्त हो जाते हैं.
सुरजेवाला ने तथ्य और यूपीए सरकार के कार्यकाल के समय के दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि 17 फरवरी 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश कर अप्रैल 2014 से वन रैंक वन पेंशन देने के निर्णय की घोषणा की थी. इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने फरवरी 2014 के ही तत्कालीन रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी द्वारा जारी निर्णय की कॉपी सार्वजनिक कर कहा कि यूपीए सरकार के समय इसे लागू करने के लिए तमाम ऐसी औपचारिकताओं को पूरा करने का काम किया गया. यहां तक कि जब मई 2014 में एनडीए की सरकार आई, तब 10 जुलाई 2014 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी अपने बजट भाषण में कहा कि 'वन रैंक, वन पेंशन' लागू किया जाएगा.