नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए लेटर बॉक्स चुनाव चिह्न के आवंटन को चुनौती देने वाली लोक इंसाफ पार्टी की याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने तथ्यों को छिपाने पर लोक इंसाफ पार्टी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
सुनवाई के दौरान लोक इंसाफ पार्टी (Lok Insaaf Party) के वकील बृजबल्लभ तिवारी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग (Election Commission) को चुनाव चिह्न आवंटित करने के लिए ट्रैक्टर चलाता किसान को पहली प्राथमिकता जबकि लेटर बॉक्स को दूसरी प्राथमिकता दी थी. उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर चलाता किसान चुनाव चिह्न पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को आवंटन के लिए उपलब्ध चुनाव चिह्नों में से एक है. लेकिन उसके बावजूद उसे लेटर बॉक्स का चुनाव चिह्न पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए आवंटित किया गया.
ये भी पढ़ें -न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को ‘अहंकारी’ कहा, गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया
सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग (Election Commission) की ओर से वकील रोहिणी प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मूल तथ्यों को छिपाकर याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर चलाता किसान एक स्वतंत्र चुनाव चिह्न नहीं है और ये सूचना निर्वाचन आयोग ने अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई थी.
कोर्ट ने तथ्यों पर गौर करते हुए पाया कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका का समर्थन करने के लिए निर्वाचन आयोग के पुराने दस्तावेजों को संलग्न कर दिया. कोर्ट ने पाया कि ट्रैक्टर चलाता किसान असम के एक राजनीतिक दल को आवंटित किया जा चुका है तो किसी दूसरे राजनीतिक दल को आवंटित नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने कहा कि लोक इंसाफ पार्टी (Lok Insaaf Party ) इसके पहले भी लेटर बॉक्स चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ चुकी है. ऐसे में निर्वाचन आयोग ने उसे लेटर बॉक्स चुनाव चिह्न आवंटित कर कोई गलती नहीं की है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट में तथ्यों को नहीं रखा. उसके बाद कोर्ट ने लोक इंसाफ पार्टी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया.