नई दिल्ली :कोविड-19 के बाद प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए सरकार ने 1.1 लाख करोड़ रुपये के लोन गारंटी स्कीम के साथ 6.29 लाख करोड़ के राहत पैकेज का एलान किया है. विपक्ष फिर भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है. विपक्ष का आरोप है कि पांच राज्यों में चुनाव को देखते हुए सरकार यह घोषणा कर रही है.वहीं, भाजपा का दावा है कि यह घोषणाएं सीधे तौर पर जीडीपी को भी प्रभावित करेंगी और इससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा.
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के राहत कदमों को ढकोसला बताया, यहां तक कह दिया की वित्तमंत्री के आर्थिक पैकेज को कोई परिवार अपने रहने, खाने, दवा, बच्चे की स्कूल फीस पर खर्च नहीं कर सकता यह पैकेज नहीं एक और ढकोसला है.
गौर करने वाली बात यहां यह भी है कि अगर देखा जाए तो आज अर्थव्यवस्था की जो बुनियादी बातें हैं वह मुख्य तौर पर कम जीडीपी, अधिक महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी है. यदि विश्लेषण किया जाए तो लोगों को कर्ज की जरूरत से ज्यादा आर्थिक पैकेज की जरूरत है और महंगाई को कम करने की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि जीडीपी में लगातार गिरावट आ रही है. हालांकि भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी जीडीपी दर में काफी कमी आई है. इसकी मुख्य वजह कोरोना महामारी रही है लेकिन लोगों में रोष महंगाई दर और पेट्रोलियम पदार्थों में हो रही लगातार बढ़ोतरी को लेकर भी है.
कुछ और राहत पैकेज का हो सकता है एलान
पांच राज्यों में आने वाले दिनों में चुनाव है. इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण बात देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के लिए काफी मायने रखता है. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश से ही होकर दिल्ली की सत्ता की चाबी हाथ लगती है. भारतीय जनता पार्टी हर हाल में उत्तर प्रदेश में दोबारा जीत हासिल करना चाहती है. उम्मीद की जा रही है कि कोरोना के बाद हेल्थ से संबंधित इस पैकेज के बाद भी कुछ और ऐसे राहत पैकेज आने वाले दिनों में सुनाई पड़ सकते हैं जिस पर सरकार जोर शोर से तैयारी कर रही है.
सहयोगी पार्टियों का भी बढ़ रहा दबाव
विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी पार्टियों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है. एक तरफ सहयोगी पार्टियां जहां पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी को लेकर अलग-अलग राज्यों में टैक्स घटाने की मांग कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ रही सही कसर विपक्ष पूरी कर दे रहा है. कहा जाए तो केंद्र के लिए एक बड़ी चुनौती होगी इन 5 राज्यों से पहले कुछ ऐसी घोषणाओं को अमलीजामा पहनाना ताकि वह कोरोना की महामारी के बाद चरमराती अर्थव्यवस्था के आरोप पर चुनावी रण में कोई ठोस जवाब दे सके. देखा जाए तो विपक्ष लगातार सरकार पर गरीबों के अकाउंट में पैसे देने और विदेशों से काला धन लेकर आने का वादा पूरा करने को लेकर जवाब मांग रहा है.