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Published : Aug 4, 2021, 3:57 PM IST

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सरकार के खिलाफ एक जुट विपक्ष, संयुक्त बयान जारी कर की पेगासस पर चर्चा की मांग

संसद में पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों को लेकर हंगामा लगातार जारी है. विपक्षी दल इन विषयों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. इस बीच 14 विपक्षी दलों के 18 नेताओं ने संयुक्त बयान जारी किया है और संसद में पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग की है.

सरकार के खिलाफ एक जुट विपक्ष
सरकार के खिलाफ एक जुट विपक्ष

नई दिल्ली : संसद में पेगासस और कृषि कानूनों के मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए, विपक्षी दल (Opposition party) के 18 नेताओं ने बुधवार को एक संयुक्त बयान (joint statement) जारी किया. बयान में कहा गया है कि पूरा विपक्ष एकजुट है और संसद के दोनों ही सदनों में गृहमंत्री से पेगासस जासूसी कांड पर जवाब चाहता है, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा (national security) का मामला है.

बयान में कहा गया है, 'विपक्षी दल दोनों सदनों में पेगासस मुद्दे (Pegasus issue) पर चर्चा की अपनी मांग पर दृढ़ और एकजुट हैं, जिसका जवाब गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah ) को देना चागिए, क्योंकि इसके राष्ट्रीय सुरक्षा आयाम हैं.'

बयान में आगे कहा गया है, 'विपक्ष ने भी स्पष्ट रूप से अवगत कराया है कि किसानों के मुद्दों पर चर्चा और तीन किसान विरोधी और काले कृषि कानूनों (black agriculture laws) से उत्पन्न आंदोलन पेगासस पर चर्चा का पालन करना चाहिए.'

विपक्ष दलों का संयुक्त बयान

संयुक्त बयान पर मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष, राज्यसभा), शरद पवार (एनसीपी), टीआर बालू, तिरुचि शिवा (डीएमके), आनंद शर्मा (कांग्रेस), रामगोपाल यादव (सपा), डेरेक ओ ब्रायन, कल्याण बनर्जी (टीएमसी), संजय राउत, विनायक राउत (शिवसेना), मनोज झा (राजद), इलामाराम करीम (सीपीआई (एम)), सुशील गुप्ता (आप), ईटी मोहम्मद बशीर (IUML), हसनैन मसूदी (NC), बिनॉय विश्वम (CPI), एनके प्रेमचंद्रन (RSP) और एमवी श्रेयम्स कुमार (LJD) ने हस्ताक्षर किए.

विपक्ष लगातार संसद के अंदर विरोध प्रदर्शन कर दोनों सदनों में पेगासस मामले पर चर्चा कराने की मांग उठा रहा है. इस पर केंद्र ने उन पर यह कहते हुए हमले शुरू कर दिए हैं कि वह संसद की कार्यवाही (Parliament proceedings) को बाधित कर रहा है.

विपक्ष का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने संयुक्त विपक्ष को बदनाम करने और संसद में लगातार व्यवधान के लिए इसे दोषी ठहराने के लिए भ्रामक अभियान (misleading campaign ) चलाया है.

बयान में जोर देकर कहा गया है कि गतिरोध की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की है, जो घंमडी और अडिग रहती है और दोनों सदनों में एक सूचित बहस के लिए विपक्ष की मांग को स्वीकार करने से इनकार करती है.

संयुक्त बयान में विपक्ष ने सरकार से संसदीय लोकतंत्र का सम्मान करने और चर्चाओं को स्वीकार करने का आग्रह किया है.

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बता दें कि यह बयान विपक्षी दलों की बैठक के एक दिन बाद आया है. इस बैठक की मेजबानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने की थी, ताकि संसद में सरकार को घेरने की रणनीति (strategy to corner) तैयार की जा सके.

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