रायपुर: छत्तीसगढ़ में फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज की वजह से युवाओं के भविष्य पर संकट है. आपको जानकर हैरत होगी कि छत्तीसगढ़ में एक दो नहीं बल्कि 22 फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं. इन संस्थानों में लैब टेक्नीशियन, लेबर अटेंडर, ऑपरेशन थियेटर टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, ड्रेसर जैसे कोर्स कराए जा रहे हैं.
स्टूडेंट्स की बढ़ी टेंशन: स्टूडेंट्स भविष्य संवारने के लिए ऐसे कोर्स करते हैं ताकि उन्हें बेहतर रोजगार मिल सके. छत्तीसगढ़ के युवाओं ने भी पैरामेडिकल कोर्स में इसी सोच के साथ दाखिला लिया कि यह कोर्स उन्हें रोजी रोटी दिलाएगा. लेकिन अब पैरामेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले हजारों स्टूडेंट्स मायूस हैं.
क्या है स्टूडेंट्स की परेशानी: पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स का कहना है कि 2 साल से संस्थान ने एग्जाम नहीं लिया है. अब भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. एडमिशन के पहले संस्थान ने कई वादे किए गए थे. लेकिन एडमिशन के बाद कोई भी फैसिलिटी नहीं दी जा रही है. 40 से 50 हजार रुपए फीस मांगी गई.
गरीब परिवार के युवाओं की बढ़ी चिंता: पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे कई स्टूडेंट्स ऐसे परिवार से भी हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. बमुश्किल परिवार ने पैसे इकट्ठा कर फीस जमा किया है. अब फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज की बात सामने आने के बाद इन परिवारों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. नाम नहीं बताने की शर्त पर ईटीवी भारत से पैरामेडिकल के स्टूडेंट्स ने अपना दर्द साझा किया है.
''मैं एक किसान परिवार का बेटा हूं. बड़ी मेहनत से रुपए इकठ्ठा कर फीस दी है. फर्स्ट ईयर का एग्जाम दिया है, लेकिन अबतक रिजल्ट नहीं आया है. इंस्टीट्यूट के लोगों ने बिना रिजल्ट दिए ही सेकंड ईयर में प्रमोट कर दिया. कॉलेज में यह अफवाह फैला दी गई कि सभी पास हो गए हैं."-स्टूडेंट, पैरामेडिकल कॉलेज
कोर्स पूरा होने की चिंता: फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे स्टूडेंटस को अपना कोर्स पूरा होने की चिंता है. घर वाले भी उनसे बार बार पूछते रहते हैं. गांव में भी लोग कहते हैं कि 3 साल से कोर्स पूरा नहीं हो पाया. एक स्टूडेंट ने बताया कि ''मेरे से 50000 फीस ली गई थी. स्कॉलरशिप देने भी कहा गया था लेकिन अबतक कोर्स भी पूरा नहीं हो पाया है जबकि समय बीत गया है.''
बमुश्किल थ्योरी पढ़ा रहे, प्रेक्टिकल पर ध्यान नहीं: स्टूडेंट्स इस बात से भी टेंशन में हैं कि उन्हें थोड़ा बहुत जो पढ़ाया जा रहा है, वह भी सिर्फ थ्योरी है. प्रेक्टिकल कराना तो दूर उसकी चर्चा तक नहीं है. एडमिशन के दौरान कहा गया था कि 6 महीने की थ्योरी, 6 महीने का प्रैक्टिकल रहेगा. लेकिन प्रैक्टिकल नहीं हो रहा.