हैदराबाद: युद्धग्रस्त देश यूक्रेन से वापसी कर रहे भारतीय छात्रों के लिए एक खुशखबरी है कि उनके अधूरे पाठ्यक्रम पोलैंड में पूरे हो सकते हैं. भारतीय छात्रों की वापसी अभियान की अगुवाई कर रहे केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह ने छात्रों से कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पोलिश विश्वविद्यालय, यूक्रेन के हमारे छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोलेंगे ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. आइए जानते हैं छात्रों के सामने कौन सी कठिनाइयां और कैसे विकल्प हैं, जो उन्हें पाठ्यक्रम पूरा करने में मदद करेंगे.
वीके सिंह ने कहा कि यदि आपका पाठ्यक्रम पूरा नहीं हुआ है तो पोलैंड में मिले लोगों ने कहा कि वे यूक्रेन में रहने वाले सभी छात्रों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेंगे. कहा कि पोलैंड और भारत के बीच सदियों से चली आ रही मित्रता और सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जो हमारे लोगों को एक साथ लाए हैं. MoS नागरिक उड्डयन जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने पोलैंड के रेजजो में होटल प्रीजीडेनकी में 600 भारतीय छात्रों के साथ बातचीत की और यह जानकारी उन्हें दी.
पाठ्यक्रम को लेकर उहापोह की स्थिति
यूक्रेन में एमबीबीएस पाठ्यक्रम छह साल का है और भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी किफायती है. यही कारण है कि हजारों भारतीय छात्र वहां जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कि कहा कि अभी तक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत ऐसे मेडिकल छात्रों को समायोजित करने के लिए कोई मानदंड और नियम नहीं हैं, जो विदेश में पढ़ रहे थे और जिन्हें एक अकादमिक सत्र के बीच में भारतीय मेडिकल कॉलेजों में भारत लौटना पड़ा.
यह भी हो सकता है विकल्प
विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन से अधूरे पाठ्यक्रम छोड़कर भारत पहुंचने वाले भारतीय छात्रों के सामने दो विकल्प हैं. पहला यह कि वे उसी संस्थान या विश्वविद्यालय में पढ़ाई जारी रखें या कुछ महीनों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई करके कोर्स पूरा किया जाए. वहीं दूसरा विकल्प यह भी है कि उन्हें पड़ोसी देशों और दूसरे यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर कराया जाए और कोर्स पूरा हो. जनरल वीके सिंह का बयान इसी दूसरे विकल्प पर आधारित हो सकता है क्योंकि पोलैंड, यूक्रेन का पड़ोसी देश है और फीस भी लगभग समान है.
भारतीय छात्रों से बात करते जनरल वीके सिंह 54 महीने का एमबीबीएस कोर्स जरूरी
भारत में चिकित्सा शिक्षा के लिए नियामक, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यह आदेश देता है कि विदेशी मेडिकल छात्रों को कम से कम 54 महीने का एमबीबीएस कोर्स और उसी विदेशी संस्थान में एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से आयोजित विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) को पास करना विदेश से MBBS ग्रेजुएट्स के लिए लाइसेंस प्राप्त करने और देश में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए जरूरी है.
सरकार दे सकती है राहत
स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि, ऐसी असाधारण स्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार इस मामले को सहानुभूतिपूर्वक देखेगी. सभी हितधारकों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठक जल्द ही होने की संभावना है. यूक्रेन सरकार के आंकड़ों और अनुमानों के मुताबिक यूक्रेन में 18000 से ज्यादा भारतीय छात्र हैं. इनमें से करीब 80-90 फीसदी पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र के लगभग 10 संस्थानों में पढ़ने वाले एमबीबीएस छात्र हैं.