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Omicron ज्यादा संक्रामक, टीकों का असर कम होने की आशंका : डॉ श्रीनाथ रेड्डी - Omicron Professor K. Srinath Reddy

कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट (Covid Omicron Variant) को लेकर कई आशंकाएं पैदा हो रही हैं. अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में ओमीक्रोन स्वरूप (Omicron in Africa Europe) खलबली मची है. भारत में ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron in India) के दुष्प्रभाव को लेकर चिंता जन्म ले रही है. ओमीक्रोन के प्रभाव को लेकर एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी (Professor K. Srinath Reddy AIIMS) ने विस्तार से जानकारी दी है.

Omicron dr Srinath Reddy
डॉ श्रीनाथ रेड्डी ओमीक्रोन वेरिएंट

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Published : Dec 5, 2021, 1:31 PM IST

Updated : Dec 5, 2021, 1:48 PM IST

नई दिल्ली :कोराना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट (Covid-19 Omicron Variant) को 'अत्यंत संक्रामक' बताया जा रहा है. यूरोप के कई देशों के अलावा अफ्रीका में 'ओमीक्रोन' (Omicron in Africa) को लेकर खलबली मची है. भारत में भी ओमीक्रोन (Omicron in India) की दस्तक से सरकार और प्रशासन के अलावा आमजन भी चिंतित हैं. कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट की संक्रामक प्रवृत्ति और स्वास्थ्य पर ओमीक्रोन के प्रभाव को लेकर देश में तमाम तरह की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं.

ओमीक्रोन से जुड़े मुद्दों पर एम्स के पूर्व प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी (Omicron Professor K. Srinath Reddy) ने विस्तार से जानकारी दी है. डॉ श्रीनाथ पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा वे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हृदय रोग विज्ञान (कार्डियोलॉजी) विभाग के पूर्व प्रोफेसर रह चुके हैं.

भारत में ओमीक्रोन वेरिएंट (Omicron in India) ने दस्तक दे दी है. इसे लेकर दहशत का माहौल है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे बेहद संक्रामक बताते हुए चिंता जताई है. इस बारे में प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने बताया, जहां तक ओमीक्रोन वेरिएंट की संक्रामक क्षमता का सवाल है तो यह सही है कि यह ज्यादा संक्रामक है.

उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और यूरोप के देशों में जिस गति से ओमीक्रोन फैला है, वह इसका सबूत भी है. कोरोना वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप गंभीर रूप से बीमार करता है, अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है. बल्कि अभी तक जो भी चीजें सामने आई हैं, उससे पता चलता है कि कि संक्रमित लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे लोगों की जान नहीं जा रही है, जैसा कि कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट में देखने को मिला था.

गंभीर बीमारी पर टीकों का असर

जब भी वायरस का कोई नया स्वरूप सामने आता है, देश में यह बहस छिड़ जाती है कि टीके इसके खिलाफ कारगर हैं या नहीं. अगर वैक्सीन असरदार है तो कौन सा टीका सहसे अधिक प्रभावी है ? ऐसे सवालों के बीच वैक्सीन की बूस्टर खुराक पर भी चर्चा होने लगती है. इन सवालों पर डॉ रेड्डी ने कहा, मैं पिछले अप्रैल महीने से ही कह रहा हूं कि ये जो टीके बने हैं या फिर जिनका हम दुनिया भर में इस्तेमाल कर रहे हैं, वे गंभीर बीमारी को रोक सकते हैं लेकिन वायरस का संक्रमण फैलने से नहीं रोक सकते.

ओमीक्रोन की गंभीरता का आकलन जरूरी

प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि संक्रमण को फैलने से रोकने का काम मास्क ही कर सकता है और टीका हमें सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए हमें टीके भी लगवाने हैं और मास्क भी पहनना है. बूस्टर खुराक टीकों के प्रभाव पर निर्भर करता है. कुछ टीके हैं जो तेजी से एंटीबॉडीज बढ़ा देते हैं. कुछ हैं कि जिनमें एंटीबॉडी का स्तर कुछ महीनों के बाद खत्म भी हो जाता है. इसलिए अलग-अलग वैक्सीन में फर्क है. व्यक्ति-व्यक्ति में टीकों के असर को लेकर यही फर्क है. ऐसे में बूस्टर खुराक देने से पहले यह देखना जरूरी होगा कि ओमीक्रोन कितने गंभीर रूप से बीमार कर रहा है.

60 साल से अधिक उम्र वालों को मिले प्राथमिकता

भारत में देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत 126.53 करोड़ से अधिक डोज वैक्सीन लगाई गई हैं. इनमें से सिर्फ 46,88,15,845 लोग ऐसे हैं, जिन्हें दोनों डोज लगी है. 79,56,76, 342 लोगों ने कोरोना वैक्सीन की केवल पहली खुराक ही ली है. इस बारे में डॉ रेड्डी कहते हैं, हमें जल्दी से जल्दी टीकों की दोनों खुराक देनी होंगी. टीकाकरण कार्यक्रम को जल्द से जल्द पूरा किया जाना आवश्यक है. यदि यह साबित होता है कि ओमीक्रोन से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है, तो बूस्टर खुराक शुरू कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बूस्टर में 60 साल से अधिक उम्र या गंभीर बीमारी वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

लोगों के मन में बार-बार यह सवाल उठ रहा है कि क्या हर साल कोरोना वायरस का कोई न कोई स्वरूप आता रहेगा और हम इसी प्रकार भय के साये में जीने को मजबूर रहेंगे ? इस सवाल पर डॉ रेड्डी ने कहा, हमारे बीच में रहने के लिए वायरस का स्वरूप बदलता रहेगा. और भी अलग-अलग वेरिएंट आ सकते हैं. हमें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि हम कोरोना वायरस को मिटा देंगे.

डॉ रेड्डी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरे को कम जरूर किया जा सकता है. फिलहाल, घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि ओमीक्रोन से अभी तक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर नहीं देखा गया है. यह हमारे लिए अच्छा संकेत है. इसलिए मास्क पहनें, भीड़-भाड़ से दूर रहें और टीका लगवाएं.

टीकों से वायरस पूरी तरह खत्म नहीं होगा

ओमीक्रोन वेरिएंट पर टीकों के प्रभाव (Omicron Variant Vaccine effective) को लेकर प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि आशंका है कि टीकों का असर कम हो जाए. उन्होंने कहा कि टीकों से बनने वाले एंटीबॉडी का स्तर कुछ समय बाद कम हो जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टीके वायरस से पूरी तरह हार जाएंगे.

टीका लगाने की गति बढ़ाने की जरूरत

इससे पहले कि ओमीक्रोन खतरनाक रूप धारण करे, सरकार को तत्काल क्या कदम उठाने चाहिए. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी प्रतिबंध की बात उठ रही है. इस सवाल पर प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि सबसे पहले तो हमें ओमीक्रोन के फैलने की गति को धीमा करना होगा. इसलिए मास्क पहनकर चलें ताकि वायरस हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सके. भीड़-भाड़ वाले जो कार्यक्रम हैं, उन पर प्रतिबंध लगना चाहिए. टीकाकरण की गति बढ़नी चाहिए. स्वास्थ्य पर इसके असर की लगातार निगरानी करते रहनी होगी.

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उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण भले ही फैले लेकिन यदि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है तो घर में ही इलाज का प्रबंध किया जाना चाहिए. बीमारी तीव्र हो तो जरूर अस्पतालों का भी प्रबंध किया जाना चाहिए.

विदेश से आने वाले लोगों पर नियंत्रण !

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में मेरा मानना है इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला. चीन में जब यह महामारी आई तो कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया था, ब्रिटेन में अल्फा वेरिएंट आया तब भी हमने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया और डेल्टा स्वरूप के मामले में भी यही किया लेकिन इसके बावजूद हम कोरोना संक्रमण फैलने से नहीं रोक सके. हां, ओमीक्रोन के मामले में उड़ानों पर प्रतिबंध लगाकर संक्रमण फैलने की गति थोड़ी कम की जा सकती है.

बकौल प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी, उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय जो यात्री विदेशों से आ रहे हैं, उनकी जांच की जाए और उनमें रोगों के लक्षण का पता लगाया जाए. उनके संपर्कों का पता किया जाना चाहिए.

(भाषा)

Last Updated : Dec 5, 2021, 1:48 PM IST

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