दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

जानें OBC List 127वां संविधान संशोधन विधेयक पर राज्य सभा में किसने क्या कहा

OBC List से जुड़े कानून में बदलाव के लिए 127वां संविधान संशोधन विधेयक राज्य सभा से भी पारित हो गया है. लोक सभा में मंगलवार को 127वें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में 385 वोट पड़े थे.

राज्यसभा
राज्यसभा

By

Published : Aug 11, 2021, 4:18 PM IST

Updated : Aug 11, 2021, 7:56 PM IST

नई दिल्ली : ओबीसी सूची से जुड़ा संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 राज्य सभा से भी पारित हो गया है. इसके बाद संविधान संशोधन का रास्ता साफ हो गया है. बता दें कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 'संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021' पारित कराया है. यह विधेयक राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes) की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के लिए सशक्त बनाता है.

क्या हैं विधेयक के उद्देश्य
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविधान 102वां अधिनियम 2018 को पारित करते समय विधायी आशय यह था कि यह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है. यह इस तथ्य को मान्यता देता है कि 1993 में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की केंद्रीय सूची की घोषणा से भी पूर्व कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की अन्य पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची/ संघ राज्य क्षेत्र सूची हैं.

इसमें कहा गया है, 'यह विधेयक पर्याप्त रूप से यह स्पष्ट करने के लिये है कि राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है.'

इस विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले रहे भाजपा के सुशील मोदी ने कहा कि विभिन्न समितियों में केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसका इरादा राज्यों के अधिकार छीनने का नहीं है. उन्होंने सवाल किया 'क्या राज्यों के अधिकार छीने जा सकते हैं? राज्यों के पास पहले से ही अन्य पिछडा वर्ग की सूची बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार था.'

उन्होंने कांग्रेस सदस्यों से जानना चाहा कि काका कालेलकर आयोग की सिफारिशें कांग्रेस के कार्यकाल में क्यों नहीं लागू की गईं? मंडल आयोग की सिफारिशें नौ साल तक क्यों लागू नहीं की गईं? 'इस देश में पिछड़ों को अधिकार उन सरकारों के कार्यकाल में मिला जिनमें भाजपा शामिल थी.'

भाजपा के सुशील मोदी ने कहा 'कांग्रेस 1950 में शासन में आई लेकिन उसने 40 साल तक काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट पर काम नहीं किया और पिछड़ों को न्याय नहीं दिया. मंडल आयोग ने 1980 में रिपोर्ट दी लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने पिछड़ों को तब भी न्याय नहीं दिया. जिस सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया, भाजपा उस समय उसका समर्थन कर रही थी. 1993 में पिछड़ा वर्ग आयोग बना और उसके बाद क्रीमी लेयर की समीक्षा का काम 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने किया तथा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हमारी सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया.'

उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग को भी कांग्रेस के कार्यकाल में संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया. बी के हांडिक आयोग ने पिछड़ा वर्ग के लिए आयोग बनाने की सिफारिश की थी लेकिन कांग्रेस ने इस पर अमल नहीं किया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग के समकक्ष संवैधानिक दर्जा दिया. उन्होंने कहा किमोदी सरकार ने ही संविधान में संशोधन कर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की.

भाजपा सदस्य ने कहा 'हमें उम्मीद है कि जब भी यह मामला उच्चतम न्यायालय में आएगा तो जीत सरकार की होगी और देश के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इसका लाभ मिलेगा.'

भाजपा सरकार को अजा, अजजा समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए सुशील मोदी ने कहा कि इन समुदायों पर अत्याचार रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया. उन्होंने कहा कि नवोदय स्कूलों में आरक्षण की व्यवस्था की गई जिसके बाद हर साल चार लाख बच्चे इसका लाभ उठा रहे हैं.

संविधान (एक सौ सत्ताइसवां संशोधन) विधेयक 2021 पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में न तो संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का चित्र लगाया और न ही उन्हें भारत रत्न सम्मान देना जरूरी समझा.

पढ़ें :-OBC List : 127वां संविधान संशोधन विधेयक पारित

विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सदस्य सुशील मोदी के यह कहने पर आपत्ति जताई. लेकिन पीठासीन अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखेंगे.

भाजपा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी के वर्गीकरण के लिए रोहिणी आयोग का गठन किया और यहां तक कि मंत्रिपरिषद में भी उन्होंने 27 फीसदी आरक्षण का ध्यान रखा.

चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने मौजूदा विधेयक का समर्थन किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह कानून बनाते समय जल्दबाजी में रहती है. उन्होंने इस क्रम में जीएसटी (उत्पाद एवं सेवा कर) कानून का जिक्र किया और कहा कि संसद से विधेयक के पारित होने और उसके कानून बनने के बाद इसमें तीन सौ से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं.

ब्रायन ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक में भी ऐसा हुआ और यह सिर्फ दिखावा साबित हुआ. उन्होंने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कानून बनाने के मामले में इस सरकार का ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार कानून बनाने के मामले में अक्षम है. उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि वह कानून बनाने के पहले विपक्ष से भी राय ले अन्यथा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हुयी हार अन्यत्र भी दोहरायी जा सकती है.

ब्रायन ने जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग करते हुए दावा किया कि अन्य समुदायों के आरक्षण में वृद्धि की गयी लेकिन एंग्लो-इंडियन समुदाय की सुविधाएं हटा दी गयीं जबकि इस समुदाय के सदस्यों की संख्या काफी कम है.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक राज्य को अधिकार देने वाला है लेकिन इससे पहले के 29 विधेयक देश के संघीय ढांचा के विरोधी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने राज्यों को उनके हिस्से की राशि नहीं दी है जो संघीय ढांचे का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही विभिन्न योजनाओं में राज्यों को पहले के मुकाबले ज्यादा अनुपात में खर्च करने पड़ रहे हैं.

पढ़ें :-OBC List : साढ़े पांच घंटे से ज्यादा चर्चा के बाद केंद्र ने दिया जवाब, लोक सभा में मतविभाजन

बीजू जनता दल (बीजद) के प्रसन्ना आचार्य ने आज के दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से राज्य को उनके अधिकार मिलेंगे. उन्होंने ओडिया भाषा में दिए गए अपने संबोधन में मांग की कि राज्यों से लिए गए उनके अधिकार उन्हें वापस मिलने चाहिए. आचार्य ने भी जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की और कहा कि इसे आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए.

आचार्य ने राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाने की वकालत करते हुए नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में दाखिले में 50 प्रतिशत की मौजूदा सीमा को हटाए जाने की भी मांग की.

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता टी शिवा ने भी विधेयक का समर्थन किया और कहा कि पहली बार इस विधेयक के जरिए राज्यों को उनके अधिकार दिए जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले के अधिकतर विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ थे. शिवा ने भी जाति आधारित जनगणना तथा आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा हटाए जाने की मांग की.

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सदस्य बंदा प्रकाश ने भी जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में आश्वासन भी दिया था लेकिन उस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुयी. उन्होंने आरक्षण को उचित तरीके से लागू कराए जाने की भी मांग की.

बंदा प्रकाश ने ओबीसी समूह के लिए अलग मंत्रालय बनाए जाने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अल्पसंख्यक मामलों, महिला, अनुसूचित जाति व जनजाति मामलों के लिए अलग मंत्रालय हो सकता है, उसी प्रकार ओबीसी समुदाय के लिए भी अलग मंत्रालय होना चाहिए.

संजय राउत ने इसे ऐतिहासिक बताया

चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना सदस्य संजय राउत ने इसे ऐतिहासिक और क्रांतिकारी विधेयक करार दिया औह कहा कि इससे राज्यों को अधिक अधिकार मिल सकेंगे तथा वे आरक्षण देने के लिए अपनी सूची तैयार कर सकेंगे. राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठा समाज ने लंबी लड़ाई लड़ी है लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें आरक्षण के लिए अभी प्रतीक्षा करनी होगी.

उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को व्यापक अधिकार देकर गलती की थी. इससे वह गलती दूर हो सकेगी. उन्होंने कहा कि आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा तय किए हुए 30 साल हो गए. अगर उस सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो कोई बदलाव नहीं होगा और यह विधेयक आधा-अधूरा ही रहेगा.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की वंदना चव्हाण ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन कहा कि यह उचित प्रारूप में नहीं है और इसके प्रावधानों से अपेक्षित लाभ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर सरकार पहले ही सुधारात्मक कदम उठाती तो इसकी जरूरत ही नहीं आती. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी सूची बना सकती है लेकिन आरक्षण मुहैया कराने की दिशा में कार्रवाई नहीं कर सकती.

टीएमसी (एम) सदस्य जी के वासन ने इसे समय से उठाया गया कदम बताया और कहा कि तमिलनाडु में पहले ही 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भी इसी तरह से कोई तरीका खोजना चाहिए.

आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है और वहां दलितों तथा पिछड़े वर्ग के लोगों को उचित हक नहीं मिल रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है और यह विधेयक आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर लाया गया है.

सिंह ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ 15वां मुकदमा दर्ज किया गया है और उन्हें 'गैंगस्टर' बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनका जुर्म सिर्फ इतना है कि उन्होंने प्रदेश में वित्तीय अनियमितताओं का मुद्दा उठाया.

मुख्तार अब्बास नकवी ने लगाए आरोप

सदन में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी ने आसन से अनुरोध किया है कि आप सदस्य संजय सिंह ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने आसन से अनुरोध किया कि आप सदस्य को इन आरोपों की पुष्टि करनी चाहिए अन्यथा उनकी बात को कार्यवाही से बाहर कर दिया जाना चाहिए.

पीठासीन अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नागर ने उन्हें इस संबंध में गौर करने का आश्वासन दिया.

चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के विनय विश्चम ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर लाया गया है. उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किए जाने की मांग की.

कांग्रेस के राजमणि पटेल ने कहा कि यह सरकार की गलती सुधार विधेयक है और भाजपा किसी न किसी प्रकार से सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए प्रयासरत रहती है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को व्यापक अधिकार दे दिया गया और राज्यों के अधिकार ले लिए गए.

पटेल ने दावा किया कि पहले राज्यों के अधिकार छीन लिए गए और पिछले तीन साल में ओबीसी समुदाय के लाखों सदस्यों का हक मारा गया. उन्होंने दावा किया कि सरकार दबाव में यह विधेयक लेकर आयी है. उन्होंने भाजपा पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह दोनों ओर से लाभ लेना चाहती है. वह कुछ करके भी और कुछ नहीं करके भी लाभ लेना चाहती है.

उन्होंने कहा कि देश में पशुओं की गिनती हो सकती है तो जाति आधारित गणना क्यों नहीं हो सकती? उन्होंने 50 प्रतिशत की मौजूदा आरक्षण सीमा को हटाने, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने तथा 'क्रीमी लेयर' समाप्त करने की भी मांग की.

भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कई ऐतिहासिक भूलें की हैं और उसकी नीति 'अटकाओ, लटकाओ और भटकाओ' की रही है. उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उसकी नीयत ही लोगों को गुमराह करने की है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने विगत में कई आर ओबीसी नेताओं की उपेक्षा की.

बीजद के डॉ अमर पटनायक ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा 'इस पूरी कवायद का उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग का कल्याण करना है. लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि क्या उन लोगों को इसका पूरा लाभ मिल पा रहा है जिनके लिए यह सब किया जा रहा है.'

उन्होंने आरक्षण की सीमा जरूरत के अनुसार बढ़ाए जाने का सुझाव दिया.

अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरई ने कहा कि संसाधनों का समान वितरण करने के लिए आरक्षण की जरूरत हमेशा से ही रही है. उन्होंने मांग की कि सरकार को आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने के लिये कदम उठाना चाहिए.

लोकतंत्र की परंपरा बहुत पुरानी

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की परंपरा बहुत पुरानी है.

उन्होंने कहा कि सदन कानून बनाने के लिए सर्वोच्च प्राधिकार है और आज पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए हमें एक बार फिर संकल्प लेना है. इस संबंध में सरकार की नीति और नीयत साफ है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की सोच समाज और समाज की व्यवस्था को लेकर बहुत बेहतर है. प्रधानमंत्री के निर्णयों में ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' पूरी तरह होता है.

प्रधान ने कहा 'कई राज्यों में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक है. लेकिन केंद्रीय सूची मंडल आयोग बनने के बाद बनी लेकिन लागू नहीं हो पाई. अगर इसका सही मायने में कार्यान्वयन होता तो स्थिति अलग होती.'

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने 69 फीसदी आरक्षण की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कहा कि लेकिन केंद्र सरकार ने 27 फीसदी कोटे का फैसला किया तो केंद्रीय पूल व्यवस्था पर विरोध जताया गया था.

प्रधान ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में मोदी सरकार ने ओबीसी विद्यार्थियों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू की. उन्होंने सवाल किया 'यह काम पूर्ववर्ती सरकारों ने क्यों नहीं किया? यह काम मोदी सरकार ने किया.'

उन्होंने पेट्रोलियम मंत्री के पद पर रहते हुए अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि पहले पेट्रोल पंप की डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए ओबीसी के वास्ते व्यवस्था थी. उन्होंने बताया कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से 11262 डिस्ट्रीब्यूटरशिप दी गई, उसमें से अजा , अजजा को तो दिया गया, साथ ही 2852 ओबीसी युवकों को डिस्ट्रीब्यूटरशिप दी गई. उन्होंने कहा कि 28558 पेट्रोल पंप जो आवंटित हुए उसमें से 7888 पेट्रोलपंप ओबीसी को दिए गए.

प्रधान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने अगर कोई अच्छा काम किया है तो उसे हमारी सरकार ने आगे बढ़ाया है.

जाति आधारित जनगणना के बारे में प्रधान ने कहा कि इसकी मांग की जा रही है. राज्यों के पास ओबीसी की सूची है. उस सूची के आधार पर राज्य ओबीसी को आरक्षण दे सकते हैं. लेकिन फिर भी कई राज्यों ने ऐसा नहीं किया, और तो और उच्चतम न्यायालय में कुछ नहीं कहा. इसलिए 50 फीसदी से अधिक आरक्षण न देने के लिए केंद्र सरकार पर दोष मढ़ना ठीक नहीं है.

आईयूएमएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि सरकार ओबीसी के कल्याण का दावा करती है लेकिन विभिन्न संस्थानों में ओबीसी के रिक्त पद उसके इस दावे को खोखला साबित करते हैं. उन्होने जाति आधारित जनगणना की मांग भी की.

उन्होंने कहा कि आरक्षण की वर्तमान सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार को एक और विधेयक लाना चाहिए.

देवेगौड़ा ने की विधेयक की सराहना

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जदएस के नेता एच डी देवेगौड़ा ने विधेयक की सराहना करते हुए कहा 'पिछले सत्र में प्रधानमंत्री ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी. सरकार को महिला अरक्षण के बारे में भी सोचना चाहिए. यह समय की मांग है.'

उन्होंने कहा कि रोजगारमूलक पाठ्यक्रमों में भी आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए.

तेदेपा सदस्य कनकमेदला रवींद्र कुमार ने विधेयक को समय की मांग बताते हुए कहा कि सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराई जानी चाहिए क्योंकि जब तक पूरे आंकड़े उपलब्ध नहीं होंगे तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए या अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के उत्थान एवं विकास के लिए योजनाओं बनाना, उनका सफल कार्यान्वयन एवं अनुकूल परिणाम मिलना संभव नहीं होगा.

शिरोमणि अकाली दल के सरदार बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है क्योंकि संघीय ढांचे के तहत राज्यों को उनके अधिकार दिए जाने चाहिए. उन्होंने मांग की कि अन्य पिछड़ा वर्ग के कई लोग कृषि से जुड़े हैं और उनकी हालत अच्छी नहीं है जिसे देखते हुए तीनों कृषि कानूनो को रद्द किया जाना चाहिए.

बसपा के रामजी ने विधेयक का समर्थन करते हुए मांग की कि निजी क्षेत्र में भी और पदोन्नति में भी ओबीसी समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार की खबरें आज भी आती हैं जिससे गहरी पीड़ा होती है, इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने सरकार से निजी क्षेत्र में अजा, अजजा समुदाय तथा ओबीसी समुदाय को आरक्षण दिए जाने के लिए एक विधेयक लाने का अनुरोध किया.

भाजपा के जयप्रकाश निषाद ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था अजा, अजजा, ओबीसी समुदाय के लिए बेहद मददगार साबित हुई है जिसे देखते हुए आरक्षण की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए. साथ ही यह भी देखना होगा कि इन समुदायों के लोगों को आरक्षण व्यवस्था का पूरा लाभ मिले.

रामदास अठावले ने कहा यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है और इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाना चाहिए.

श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय एवं व्याख्या को प्रतिकूल बताया था जो सही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया लेकिन सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के विकास के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाई.

यादव ने कहा कि इस वर्ग के उत्थान के लिए ठोस कदम मोदी सरकार ने उठाए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने क्रीमी लेयर के नाम पर दो दो बार क्या किया, यह सबको पता है. उन्होंने कहा कि 1993 में बनी विशेषज्ञ समिति में तत्कालीन सरकार का हस्तक्षेप था जिससे हालात सुधरने के बजाय बिगड़ गए. उन्होंने कहा कि बाद में भी यही हुआ.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है जिसका उदाहरण उज्ज्वला गैस योजना, हर गांव में बिजली पहुंचाना, केंद्रीय विद्यालयों में आरक्षण व्यवस्था, प्रौद्योगिकी शिक्षा में आरक्षण व्यवस्था से लेकर वे अन्य कई कदम हैं जिनकी बदौलत यह वर्ग आज सामाजिक बराबरी हासिल कर रहा है.

भाजपा के शंभाजी छत्रपति ने मांग की कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार किया जाना चाहिए ताकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और दूसरे कई राज्यों में लोगों को इसका लाभ मिल सके.

विधेयक पर चर्चा करते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह बहुत ही बढ़िया विधेयक है लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है चर्चा के दौरान सत्ताधारी दल के नेताओं धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव ने सिर्फ कांग्रेस पर हमले किए.

उन्होंने कहा कि शायद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राजयों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया होगा.

उन्होंने कहा, 'इसलिए इनका (प्रधान और यादव) इस्तेमाल हो रहा है.'

सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस पर आपत्ति जताई और खड़गेसे कहा कि उन्हें कम से कम 'इस्तेमाल किया जा रहा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि आरक्षण सूची तैयार करने के मकसद को सही तरीके से सरकार यदि क्रियान्वित करना चाहती है तो उसे आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ही यह प्रावधान किया जाना चाहिए था कि राजय सरकारें चाहें तो 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दे सकती हैं.

उन्होंने कहा, 'इससे कोई बाधा नहीं आएगी. मेरी विनती है...आप अगर दिल से चाहते हो...मोदी जी दिल से चाहते हैं...क्या जाने वाला है. एक वाक्य इसमें जोड़ दो कि राज्य सरकारें 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दे सकती हैं. इससे क्या जाता है? बल्कि समस्या का समाधान हो जाएगा.'

निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग

बैंकों, एयर इंडिया और रेलवे का निजीकरण करने का सरकार पर आरोप लगाते हुए खड़गे ने कहा कि यह सरकार एक के बाद सरकारी संपित्तयों का निजीकरण कर रही है.

कांग्रेस नेता ने निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग करते हुए कहा कि सरकार को अब इसकी तैयारी करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'दलितों और पिछड़ों तथा आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए यह जरूरी है. आज निजी क्षेत्र को आरक्षण के दायरे में लाना जरूरी है. हम जैसे इस विधेयक पर आपका साथ दे रहे हैं, उसी प्रकार उस विधेयक पर भी सरकार का साथ देंगे.'

खड़गे ने विभिन्न क्षेत्रों में खाली पड़े पदों को भरने की मांग करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए जो भी योजनाएं आती हैं उसके क्रियान्वयन में कहीं ना कहीं रुकावटे भी आती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 11, 2021, 7:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details