चिकमगलूर :कर्नाटक के पांच बाघ संरक्षित क्षेत्रों में साल-दर-साल बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 1986 से, उल्लास कारंत (Ullas Karanth) ने वैज्ञानिक तरीके से राज्य में बाघों के उत्थान की जांच शुरू की थी. उनका शोध बाघों की संख्या में वृद्धि के पीछे के कारण को समझने में मदद करता है. शोध से पता चला है कि छोटे जानवरों की संख्या में वृद्धि के कारण बाघों की भी संख्या बढ़ी है.
1986 से पहले, 86 बाघ पाए गए थे. जिले के वन विभाग से मिली जानकारी और बाद में की गई रिसर्च के अनुसार, अब तक 371 बाघ पाए गए हैं और जिले के भद्रा अभ्यारण्य में 37 से 42 बाघ पाए गए हैं.
कर्नाटक में बाघों की बढ़ रही संख्या चिकमगलूर जिला एक बाघ अभ्यारण्य और एक अभ्यारण्य भी है. क्षेत्र की प्राकृतिक पहाड़ियों और जंगलों उनके विकास में अहम माना जाता है.
बाघों की बढ़ती संख्या के पीछे की वजह क्या है?
संरक्षण प्रणाली, बाघों को लेकर चिंता और जंगल में पाए जाने वाले छोटे जानवरों ने बाघों की आबादी बढ़ाने में योगदान दिया है. इसके साथ ही वहां का वातावरण बाघों के विकास के लिए उपयुक्त है. यहां लगभग 40 बाघ पाए जाते हैं.
जानें, बाघों की बढ़ती आबादी के पीछे कारणः कुल मिलाकर, बाघों की आबादी राज्य के बाघ-संरक्षित क्षेत्रों में और जिले के भद्रा अभ्यारण्य (Bhadra sanctuary) में साल-दर-साल बढ़ रही है. पर्यावरण प्रेमी और विशेषज्ञ बाघों की इस बढ़ती आबादी से खुश हैं.