कोलंबिया : करीब 32 साल पहले मैं जर्मनी में थी और बर्लिन की दीवार गिराये जाने की घटना की रिपोर्टिंग कर रही थी. इस घटना को पश्चिमी लोकतंत्र उदारवाद तथा 'इतिहास के अंत' के रूप में देखा गया. लेकिन आज के समय में दुनियाभर में लोकतंत्र का हाल बहुत अच्छा नहीं है. यह कहना है नॉर्वे स्थित नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन का. मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव के लिए पुरस्कार की घोषणा करते हुए एंडरसन ने कहा कि वे ऐसी दुनिया के सभी पत्रकारों के प्रतिनिधि हैं, जिसमें लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता को लगातार प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.
आपको बता दें कि नोबेल पुरस्कार समिति ने आठ अक्टूबर 2021 को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की थी. नॉर्वे स्थित नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट एंडरसन ने मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव के लिए पुरस्कार की घोषणा करते हुए दोनों पत्रकारों के भूमिका की खूब तारीफ की.
मुरातोव 1993 में स्वतंत्र रूसी समाचार पत्र नोवाया गजेटा के संस्थापकों में से एक हैं. उन्हें तथा फिलीपीन की समाचार वेबसाइट 'रैपलर' की सीईओ रेसा को यह सम्मान मिलना बहुत महत्वपूर्ण है. कुछ हद तक यह इसलिए है कि वैश्विक ध्यान इन दो पत्रकारों को अपने-अपने देशों को चलाने वाले मजबूत लोगों से आसन्न और निरंतर खतरे की ओर जाए, जिससे इन्हें सुरक्षा मिल सके.
नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद रीस एंडरर्सन ने एक साक्षात्कार में कहा, 'दुनिया देख रही है.' इतना ही महत्वपूर्ण था वह संदेश जो समिति देना चाहती थी. एंडर्सन ने कहा, 'मीडिया के बगैर, मजबूत लोकतंत्र नहीं हो सकता.'