नई दिल्ली :कांग्रेस (Congress) ने रविवार को इस धारणा को खारिज कर दिया कि अक्टूबर में भोपाल में संयुक्त रैली रद्द होने के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया के भीतर काम धीमा हो गया. इंडिया गठबंधन की 13 सदस्यीय समन्वय समिति की बैठक 13 सितंबर को नई दिल्ली में हुई थी, लेकिन बाद में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए सबसे पुरानी पार्टी ने इसे रद्द कर दिया था. तब से विपक्षी गठबंधन की ओर से सीट-बंटवारे, संयुक्त अभियान या संयुक्त रैलियों के प्रस्तावित स्थानों जैसे प्रमुख मुद्दों से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली है.
कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में एआईसीसी समन्वयक सैयद नसीर हुसैन ने ईटीवी भारत को बताया कि 'पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा सहित हमारा शीर्ष नेतृत्व चुनाव वाले राज्यों में प्रचार में व्यस्त है और संबंधित राज्य इकाइयां भी व्यस्त हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इंडिया गठबंधन शांत हो गया है और समानांतर बैठकें आयोजित नहीं की जा सकतीं. वास्तव में सीट-बंटवारे, संयुक्त अभियान और सोशल मीडिया रणनीतियों से संबंधित दरवाजे के पीछे बहुत सारे विचार-विमर्श पिछले कुछ हफ्तों में हो रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि 'चूंकि यह एक केंद्रीकृत गठबंधन नहीं है, इसलिए परामर्श ज्यादातर राज्यों में हो रहा है. 18-22 सितंबर तक पांच दिवसीय विशेष संसद सत्र के दौरान और पिछले सप्ताह नई दिल्ली में पार्टियों के बीच कई दौर की मंत्रणा हुई.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, इंडिया गठबंधन की सोशल मीडिया और संयुक्त अभियान उप-समितियों की मुंबई और दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से बैठक हुई है और उसके बाद पिछले हफ्तों में विचार-विमर्श ऑनलाइन किया गया है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हालांकि संयुक्त बैठक किसी भी चुनावी राज्य में नहीं हो सकती है, लेकिन उपयुक्त स्थान पर ऐसी सभा आयोजित करने पर चर्चा चल रही है.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, देखिए, यदि आप एक सार्वजनिक बैठक की योजना बनाते हैं तो आपको 1 लाख से 2 लाख लोगों को जुटाने की आवश्यकता है. फिर संसाधन जैसे मुद्दे आते हैं यानी संयुक्त रैली की मेजबानी कौन करेगा. इसके अलावा, वरिष्ठ नेताओं की उपलब्धता पर भी काम करने की जरूरत है. लेकिन हम इस महीने के लिए कुछ कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं.
यह देखते हुए कि गठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे के कुछ मुद्दे थे, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि विचार पहले एक व्यापक सहमति पर पहुंचना था और फिर यदि कोई अड़चन थी, तो उस पर काम करना था.