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कोरोना जांच : NIRI ने एमएसएमई को सौंपी तकनीक, जानिए कैसे होता है आरटी-पीसीआर टेस्ट

NIRI ने नमक-पानी के गरारे (saline gargle) से आरटी-पीसीआर जांच (RT-PCR Test) करने की स्वदेश विकसित तकनीक का पूरा ब्योरा MEME मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया है. व्यावसायीकरण के उद्देश्य से NIRI ने इसे सौंपा है. बताया जा रहा है कि आरटी-पीसीआर जांच की यह तकनीक सरल, तेज, किफायती और रोगी के लिहाज से सुविधाजनक है.

आरटी-पीसीआर जांच
आरटी-पीसीआर जांच

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Published : Sep 12, 2021, 7:16 PM IST

नई दिल्ली : नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण आभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (National Environmental Engineering Research Institute-NIRI) ने नमक-पानी के गरारे (saline gargle) से आरटी-पीसीआर जांच (RT-PCR Test) करने की स्वदेश विकसित तकनीक का पूरा ब्योरा व्यावसायीकरण के उद्देश्य से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises-MEME) मंत्रालय को हस्तांतरित किया है. आरटी-पीसीआर जांच की यह तकनीक सरल, तेज, किफायती और रोगी के लिहाज से सुविधाजनक है.

रविवार को एक बयान में यह जानकारी देते हुए कहा गया कि इसके तत्काल परिणाम मिल जाते हैं और यह ग्रामीण तथा आदिवासी इलाकों के लिहाज से उचित है, जहां बहुत कम बुनियादी सुविधाएं हैं. NIRI, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research-CSIR) के तहत काम करने वाला संस्थान है.

बयान के अनुसार, तकनीक की समस्त जानकारी MSME मंत्रालय को हस्तांतरित की गई है. इससे इस नवोन्मेषी तरीके का व्यावसायीकरण होगा और सभी सक्षम पक्षों को लाइसेंस प्रदान किये जा सकेंगे जिनमें निजी, सरकारी और कई ग्रामीण विकास विभाग शामिल हैं.

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लाइसेंस धारक आसानी से उपयोग वाले सुगम किट के रूप में व्यावसायिक उत्पादन के लिए इकाई लगा सकते हैं. मौजूदा कोविड महामारी (Covid Pandemic) की स्थिति में और इसकी तीसरी लहर (third wave) की आशंका के बीच CSIR-NIRI ने देशभर में तकनीक के तेजी से प्रसार के लिए इसका त्वरित हस्तांतरण किया है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) की उपस्थिति में 11 सितंबर को एक कार्यक्रम में यह प्रक्रिया संपन्न हुई. गडकरी ने इस संबंध में कहा कि सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर जांच पद्धति को पूरे देश में, खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों तथा कम संसाधन वाले क्षेत्रों में लागू करना जरूरी है. इससे तेजी से परिणाम आएंगे और महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी.

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NIRI के अनुसार इस तकनीक में लोगों को दिये गये सलाइन (नमक-पानी) के गरारे लगभग 15 सैकंड तक करने होते हैं और उस सलाइन को जांच के नमूने के तौर पर प्रयोगशाला में भेजा जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

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