नई दिल्ली :अगर एक 14 साल का बच्चा पूरी रात beach पर रहता है, तो माता-पिता को विचार करने की जरूरत है, क्योंकि बच्चे नहीं सुनते हैं. ऐसे में हम सिर्फ सरकार और पुलिस पर ही सारी जिम्मेदारी नहीं डाल सकते हैं. गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Goa CM Pramod Sawant) के विधानसभा में दिए गए इस बयान पर हंगामा मच गया है.
इसी मुद्दे पर हमारे संवाददाता ने वसंत विहार गैंग रेप की पीड़िता निर्भया (Nirbhaya) की मां आशा देवी से बात की और जाना कि इसे वह इस मामले को किस रूप में देखती हैं. आशा देवी का कहना है कि ऐसा बयान अपना पल्ला झाड़ने जैसी बात है. जिस पद पर बैठे हुए हैं मुख्यमंत्री साहब, पूरी राज्य की सुरक्षा उनके हाथ में है. ऐसा बयान कहीं न कहीं मुजरिमों को बढ़ावा देने वाला है. इसके बजाय उन्हें अपनी पुलिस व्यवस्था और न्याय व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए न कि ऐसा बयान देना चाहिए. ऐसा बयान देने से कहीं न कहीं मुजरिमों का हौसला बढ़ता है. ये कोई पहली घटना नहीं है और न ही पहला बयान है. जब भी इस तरह की वारदातें होती हैं, तो घूम-फिरकर मां-बाप के ऊपर आ जाता है.
आशा देवी कहती हैं कि गोवा हम गए नहीं हैं, लेकिन सुना है कि वहां पर लोग छुट्टियां मनाने परिवार और बच्चों के साथ आते हैं, तो वहां पर सुरक्षा व्यवस्था पुलिस करती है, सरकार करती है. वहां पर सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चे क्या कर रहे हैं, कैसे कर रहे हैं. मां-बाप को दोष देना यह कहीं न कहीं अपना पल्ला झाड़ने वाली बात है, क्योंकि कोई मां-बाप अपने बच्चों से नहीं कहता कि जाओ और गलत काम करो, फिर चाहे बेटा हो या बेटी हो. मैं तो यही कहूंगी कि इसकी जगह मंत्री ये कहते कि हम अपनी पुलिस व्यवस्था दुरुस्त करेंगे, सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाएंगे. वहां जो भी जगह बीच है या और जगह, जहां बच्चे जाते हैं वहां व्यवस्था करनी चाहिए, न कि सदन में ऐसा बयान देना चाहिए.
ईटीवी भारत के इस सवाल पर कि निर्भया के मामले में पूरा देश एकजुट हो गया था. निर्भया केस के बाद क्या आपको यह लगता है कि हमारे सिस्टम में जो बदलात आना चाहिए था, नहीं आया है.
आशा देवी का जवाब है कि निर्भया की घटना के बाद भी बिल्कुल बदलाव नहीं आया है. जो भी छोटे-मोटे कानून बनाए गए वो भी अभी तक लागू नहीं हुए. ये बयान कोई नया नहीं है. जब भी कोई ऐसी घटना होती है तो नेता लोग अपनी जिम्मेदारी लेने के बजाय बात मां-बाप कर डाल देते हैं. आपने देखा कि निर्भया की घटना में निर्भया को दोषी ठहराया गया, मैं खड़ी हुई तो मैं दोषी हुई कि मैं क्यों खड़ी हुई. वकीलों ने भी दोषी बनाया, समाज ने भी कि मैं फांसी क्यों मांगती हूं.