नई दिल्ली : लंदन में हाईकोर्ट ने सोमवार को भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी की याचिका को स्वीकार कर लिया है. इसमें नीरव ने मानसिक स्वास्थ्य, मानवाधिकार और भारतीय जेल की स्थिति के आधार पर अपील की है. उसने मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के खिलाफ मानसिक स्वास्थ्य और मानवाधिकारों के आधार पर अपील की है.
न्यायाधीश मार्टिन चेम्बरलेन ने कहा कि 50 वर्षीय हीरा व्यापारी की कानूनी टीम द्वारा उनके गंभीर अवसाद और आत्महत्या के खतरे के संबंध में प्रस्तुत तर्क सुनवाई में बहस योग्य थे. उन्होंने कहा कि मुंबई में आर्थर रोड जेल में आत्महत्या के सफल प्रयासों को रोकने में सक्षम उपायों की पर्याप्तता, जहां नीरव मोदी को प्रत्यर्पण पर हिरासत में लिया जाना है, भी बहस के दायरे में आते हैं.
न्यायमूर्ति चेम्बरलेन ने अपने आदेश में कहा कि इस स्तर पर, मेरे लिए सवाल बस इतना है कि क्या इन आधारों पर अपीलकर्ता का मामला उचित रूप से बहस योग्य है. मेरे फैसले में यह है. मैं अपील करने की अनुमति दूंगा.
नीरव मोदी ने चार आधार पर याचिका लगाई थी. कोर्ट ने कहा कि आधार तीन और चार मानव अधिकारों के यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद तीन या जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा के अधिकार, और ब्रिटेन के आपराधिक न्याय अधिनियम 2003 की धारा 91 से संबंधित है, जो स्वास्थ्य से संबंधित है.