नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की छिटपुट घटना के बीच, क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी निभा रही सुरक्षा एजेंसियों ने गुरुवार को दावा किया कि क्षेत्र में नई सामान्य स्थिति वापस लौट रही है. इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए सीआरपीएफ (इंटेल) के महानिरीक्षक केएम यादव ने कहा कि लोग अब जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं. उन्होंने कहा कि चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हमने भारत की आजादी का जश्न मनाने में स्थानीय लोगों का उत्साह देखा है. क्षेत्र के हर नुक्कड़ पर लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है.
आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में सीआरपीएफ ने 180 आतंकियों को ढेर कर दिया था. इस साल अगस्त तक कम से कम 136 आतंकियों को सुरक्षा बलों के द्वारा ढेर किया जा चुका है. वहीं सुरक्षा से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों को पनाह देने वाले या आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घरों की पहचान करने की रणनीति के भी परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि उग्रवादियों से सहानुभूति रखने वाले भी अब आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने में झिझक दिखा रहे हैं.
वहीं जून के बाद से, सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के उद्देश्य के लिए प्रयोग किए जाने के लिए यूएपी अधिनियम की धारा 2 (जी) और 25 के अनुसार घरों को संलग्न करना शुरू कर दिया है. अधिकारी ने कहा, यह से पाया गया कि इस तरह की शरण जानबूझकर, दोहराव और बिना किसी जबरदस्ती के थी. इन घरों से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर कई हमलों की योजना बनाई गई थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने 98 स्थानीय आतंकवादी और 38 विदेशी आतंकवादियों को ढेर किया है.
आंकड़ों में आगे कहा गया है कि 146 आतंकवादी अभी भी जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं. इनमें से 62 स्थानीय आतंकवादी और 85 विदेशी आतंकवादी हैं. सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. इस बात ने हमारी चिंता को और बढ़ा दिया है, वह यह है कि कुछ सक्रिय ओवर ग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) हैं जो आतंकियों को सहायता प्रदान कर रहे हैं. दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद आतंकवादी संबंधित हिंसा में कमी आई है. हालांकि, घाटी में आतंकवादी संगठनों द्वारा टारगेट किलिंग ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है.
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