नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने विशेष जरूरत वाले छात्रों पर खास ध्यान देने के उद्देश्य से स्कूलों के लिए 'दिव्यांगता और अक्षमता जांच की पहचान सूची' (DSCS) का मसौदा तैयार किया है जिसके आधार पर स्कूलों का समग्र डाटा तैयार किया जाएगा और बच्चों को श्रेणीबद्ध किया जाएगा. एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने बताया, 'स्कूलों के लिए डीएससीएस से शिक्षकों एवं विशेष जरूरतों से संबंधित प्रशिक्षकों को प्रारंभिक स्तर पर ही छात्रों की जांच करने एवं पहचान के लिए आगे भेजने का मौका मिलेगा.'
उन्होंने कहा कि डीएससीएस का उद्देश्य दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत मान्य दिव्यांगता से संबंधित शर्तों के अनुरूप छात्रों की जांच करना एवं अनुमानित रूप से श्रेणीबद्ध करना है. अधिकारी ने कहा कि स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को सर्वेक्षण एवं जमीनी विश्लेषण एवं कार्यशालाओं में एकत्र आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों एवं शिक्षकों द्वारा तैयार किया गया है. मसौदा के अनुसार, स्कूलों में दिव्यांगता जांच की पहचान सूची को दो हिस्सों में बांटा गया है जिसमें पहले में विभिन्न गतिविधियों के आधार पर छात्रों को चिन्हित किया जायेगा और इसके बाद उन्हें दिव्यांगता के तहत श्रेणीबद्ध किया जाएगा.
इसमें कहा गया है कि किसी छात्र के पठन-पाठन में हिस्सा लेने में कमी का मतलब यह नहीं है कि उनमें किसी तरह की अक्षमता ही हो. मसौदा के अनुसार, डीएससीए के पहले हिस्से में प्रश्नावली में छात्रों के व्यवहार एवं अन्य जानकारी को विषय शिक्षक एवं कक्षा के प्रमुख शिक्षक (क्लास टीचर) मिलकर दर्ज करेंगे. इसमें छात्रों के व्यवहार के आधार पर यह चिन्हित किया जाएगा कि क्या छात्र को चलने में कठिनाई है या उसे चलने एवं सीढ़ी चढ़ने के लिये सहारे की जरूरत है? क्या किसी छात्र को हाथ या शरीर के किसी को घुमाने में परेशानी है? क्या किसी छात्र के हाथ, अंगुलियों या पैर में उत्तेजनशीलता का अभाव है ? क्या किसी छात्र को कोई सामना पकड़ने, धोने आदि में समस्या है?