चंडीगढ़ :नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को ट्विट किया था कि क्या गृहमंत्री के लिए धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामला सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है? जिम्मेदारी के लिए केवल महाधिवक्ता (एजी) को बलि का बकरा बनाने का मतलब है कि कार्यकारी प्राधिकरण का कोई पर्यवेक्षी नियंत्रण नहीं है.
उन्होंने सवाल किया कि एजी को कौन नियंत्रित करता है? जिम्मेदारियों को स्थानांतरित करने के इस खेल में कानूनी टीम सिर्फ एक मोहरा है. सिद्धू के इस हमले से पंजाब कांग्रेस के कई नेता नाराज हो गए हैं. अमृतसर (पश्चिम) से कांग्रेस के विधायक डॉ. राज कुमार वेरका ने एआईसीसी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर उन्हें हस्तक्षेप करने और सिद्धू को सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ जाने से रोकने के लिए कहा है.
लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू ने एक फेसबुक लाइव किया और सिद्धू को करारा जवाब दिया है. कहा यह सरदार जी 2016 से पहले बीजेपी का चेहरा थे और नवंबर 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. सरकार के अच्छे और बुरे काम होते हैं तो जिम्मेदारी टीम के सभी 11 खिलाड़ियों की है. यह सही नहीं है कि अगर हम हारते हैं तो केवल कप्तान को दोषी ठहराते हैं और पूरी टीम को नहीं. जो भाग रहा है वह नेता नहीं हो सकता.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 89 पेज के आदेश जारी किए हैं, जो पिछली SIT रिपोर्ट को खारिज करता है और नए SIT को 6 महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह (जिन्होंने समयपूर्व सेवानिवृत्ति ले ली है) राजनीतिक पैंतरेबाजी में लिप्त रहे और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया.