हैदराबाद: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस 1 जनवरी 2004 को सभी नागरिकों को सेवानिवृत्ति आय प्रदान करने के उद्देश्य से आरंभ की गई थी. इसका लक्ष्य पेंशन के सुधारों को स्थापित करना और नागरिकों में सेवानिवृत्ति के लिए बचत की आदत को बढ़ावा देना है.
- देश के केंद्रीय, राज्य सेवा और सार्वजनिक उपक्रमों के सभी पेंशनरों के लिए 17 दिसंबर का दिन बहुत महत्व रखता है.
- देश की सर्वोच्च अदालत ने 17 दिसंबर 1982 को नकारा केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
- सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाईबी चंद्रचूड़ ने डीएस नकारा मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
- फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने जोर देते हुए कहा कि पेंशन एक कर्मचारी का अधिकार है न कि सरकार का इनाम. उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्ति की तारीख के आधार पर पेंशन लाभ बढ़ाने में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता.
- इस निर्णय को पेंशनरों का महाधिकार पत्र भी माना जाता है. इस वजह से 17 दिसंबर को राष्ट्रीय पेंशन योजना के रूप में मनाया जाता है.
एक नजर में नकारा केस
1. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी डीएस नकारा की इस केस में मुख्य भूमिका थी.
2. उन्होंने 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इसके बाद ही एक उदार पेंशन स्कीम की शुरूआत की गई.
3. इस स्कीम के तहत 31 मार्च 1974 से पहले सेवानिवृत्त लोगों को लाभों से वंचित कर दिया गया था. नकारा भी इस दायरे में आ गए थे. जिस वजह से उन्होंने केस दर्ज कराया था.
4. इस केस के पीछे डीएस नकारा का ही हाथ था. वह रक्षा मंत्रालय में एक अधीकारी थे. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी. 25 मई 1979 को भारत सरकार
5. उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी, 25 मई 1979 को भारत सरकार के एक आदेश के कारण हुए अन्याय के खिलाफ एक उदार पेंशन योजना की शुरुआत की.
6. एचडी शौरी ने जनहित याचिका दायर करने में नकारा की मदद की. इस याचिका में पेंशन से संबंधित बुनियादी मुद्दों को उठाया गया. जिसने सुप्रीम कोर्ट को पेंशन पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए मजबूर कर दिया था.
7. यह केस इतना महत्वपूर्ण था कि भारत में न्यायिक सक्रियता के पांच प्रतिष्ठित न्यायाधीशों ने निर्णय दिया था. इस केस में न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डीए देसाई, न्यायमूर्ति ओ चिन्नाप्पा रेड्डी, न्यायमूर्ति वी डी तुलसापुरकर और न्यायमूर्ति बहरुल इस्लाम प्रमुख हैं.
भारतीय पेंशन प्रणाली
- पेंशन प्रणाली 2018 के तहत श्रमिकों को कर्मचारी पेंशन योजना और कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) तहत कवर किया जाता है.
- 1 जनवरी 2004 या उसके बाद केंद्रीय सेवाओं में शामिल होने वाले कर्मचारी कर्मचारी नई पेंशन प्रणाली(एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं.
योग्यता की शर्तेे
- कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पेंशनर्स की आयु न्यूनतम दस वर्षों के योगदान के साथ 58 साल है. वहीं, कमाई से संबंधित कर्मचारी भविष्य निधि योजना के लिए पेंशन की आयु 55 वर्ष है.
- 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 12% कार्यबल (या लगभग 58 मिलियन लोग) विभिन्न पेंशन प्रणालियों के अंतर्गत आते हैं. पेंशन के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी सरकारी, सरकारी उद्यमों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों द्वारा नियोजित हैं, जो अनिवार्य रूप से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा कवर किए गए हैं.
- 20 या अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ता ईपीएफओ द्वारा कवर किए गए हैं. शेष 88% कार्यबल मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र (स्व-नियोजित, दिहाड़ी मजदूर, किसान आदि) के अंतर्गत आते हैं और कुछ संगठित क्षेत्र में हैं, लेकिन ये ईपीएफओ द्वारा कवर नहीं किए गए हैं.
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और पोस्टल सेविंग स्कीम्स पारंपरिक रूप से मुख्य दीर्घकालिक बचत योजनाएं हैं, लेकिन ये केवल बहुत कम लोगों तक ही सीमित है.