दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

National Curriculum Framework : साल में दो बार बोर्ड परीक्षा, विषय चुनने की स्वतंत्रता और कई बड़े बदलाव हैं शामिल - National Curriculum Framework

शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 जारी की है. एक बार जब ये संशोधन लागू हो जाएगा तो शिक्षा में काफी बदलाव आ जाएगा. आइए जानते हैं क्या सिफारिशें की गई हैं, इनसे क्या फर्क पड़ेगा.

National Curriculum Framework
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 26, 2023, 4:45 PM IST

नई दिल्ली :शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा का नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) तैयार किया है. एक बार जब संशोधित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) अगले शैक्षणिक वर्ष में लागू हो जाएगी, तो कक्षा 9 और 10 में छात्र तीन भाषाओं का अध्ययन करेंगे. इसके अनुसार, कक्षा 11 और 12 के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होगी. वहीं, अब बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी और छात्र-छात्राओं को इसमें सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने का विकल्प होगा.

कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य 'स्ट्रीम' तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी.

बुधवार को जारी संशोधित रूपरेखा भारतीय भाषाओं के अध्ययन को स्कूली शिक्षा का एक अभिन्न अंग बनाती है. ये छात्रों को कई विषयों में से अपने पसंद के विषय चुनने की स्वतंत्रता देती है. यह भारतीय भाषाओं में शिक्षण और सीखने को बढ़ावा देने और स्कूली शिक्षा में अधिक अंतर-अनुशासनात्मकता को संभव बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप है.

640 पेज का एनसीएफ :640 पेज का एनसीएफ अप्रैल में जारी मसौदे पर एक अपडेट है. पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में 13 सदस्यीय संचालन समिति ने एनसीएफ तैयार किया है. एनसीएफ, एक प्रमुख दस्तावेज़ है जिस पर पाठ्यपुस्तकें आधारित हैं, आखिरी बार 2005 में संशोधित किया गया था.

एनसीएफ में प्रमुख प्रस्ताव और उनका मकसद

  • मसौदे की तरह, संशोधित एनसीएफ स्कूली शिक्षा को चार चरणों में विभाजित करता है. बुनियादी स्तर (प्रीस्कूल से ग्रेड 2 तक इसमें 3 से आठ साल के छात्र आएंगे), प्रारंभिक (ग्रेड 2 से 5, इसमें 8 से 11 साल के छात्र आएंगे), मध्य (ग्रेड 6 से 8, इसमें 11 से 14 साल के छात्र आएंगे), और माध्यमिक (ग्रेड 9 से 12, इसमें 14 से 18 साल के छात्र आएंगे).
  • यह मध्य चरण तक दो भाषाओं को पढ़ाने की सिफारिश करता है, साथ ही मध्य चरण से कक्षा 10 तक एक तीसरी भाषा को पढ़ाने की भी सिफारिश करता है.
  • इन तीन भाषाओं में से दो 'भारत की मूल भाषा' होनी चाहिए.
  • मध्य चरण में, छात्रों से भाषाओं के अलावा, गणित, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और व्यावसायिक शिक्षा के एक विषय का अध्ययन करने की अपेक्षा की गई है.
  • कक्षा 9 और 10 में पर्यावरण शिक्षा का एक विषय जोड़ा जाएगा.
  • यह ढांचा ग्रेड 10 तक सभी विषयों के लिए विशिष्ट समय और भार आवंटित करता है, और किसी भी विषय में छात्र के ज्ञान को जोड़ने के लिए ग्रेड 9 और 10 में एक वैकल्पिक 'अतिरिक्त संवर्धन अवधि' की सिफारिश करता है.
  • यह विभिन्न विषयों और चरणों में छात्रों द्वारा हासिल की जाने वाली दक्षताओं को भी सूचीबद्ध करता है. उदाहरण के लिए, सामाजिक विज्ञान को विषयगत रूप से मध्य चरण में व्यवस्थित किया जाना है - 'स्थानीय से वैश्विक तक'. तीन भाषाओं के लिए, इसका उद्देश्य छात्रों को 'प्रभावी संचार, चर्चा और लेखन कौशल' विकसित करना है.
  • कक्षा 11 और 12 में दो भाषाओं का अध्ययन करना अनिवार्य है, जिनमें से एक भारतीय होनी चाहिए. इस चरण में, छात्रों को विभिन्न धाराओं - वाणिज्य, विज्ञान, मानविकी - से शेष चार या पांच विषयों को चुनने की स्वतंत्रता है, जिससे अंतःविषय के लिए पर्याप्त जगह बचती है. उदाहरण के लिए, एक छात्र अंग्रेजी और संस्कृत को अपनी भाषा के रूप में चुन सकता है और इसके साथ-साथ इतिहास, पत्रकारिता, गणित और बागवानी का भी अध्ययन कर सकता है.
  • फ्रेमवर्क कक्षा 10 और 12 में वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षाओं की सिफारिश करता है, जिसमें सर्वोत्तम स्कोर बरकरार रखा जाता है. जबकि वार्षिक प्रणाली अभी 12वीं कक्षा में जारी रहेगी, रूपरेखा माध्यमिक चरण में एक सेमेस्टर प्रणाली में क्रमिक परिवर्तन का सुझाव देती है, जो छात्रों को एक सेमेस्टर पूरा होने के तुरंत बाद बोर्ड परीक्षा देने की भी अनुमति देगी. एनसीएफ इसके लिए एक 'व्यापक परीक्षण आइटम बैंक' बनाने का सुझाव देता है.

नई पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएंगी

मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार नया पाठ्यचर्या ढांचा तैयार है और इसके आधार पर 2024 के शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएंगी. इसमें कहा गया है कि कला एवं विज्ञान, पाठ्यक्रम संबंधी या पाठ्येत्तर गतिविधियों तथा व्यवसायिक एवं अकादमिक विषयों के बीच कोई सख्त विभाजन रेखा नहीं होनी चाहिए.

स्कूली स्तर पर ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे’ के दस्तावेज के अनुसार, कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य 'स्ट्रीम' तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी.

इसमें कहा गया है कि नए पाठ्यचर्या ढांचे के तहत बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी और छात्र-छात्राओं को सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने की इजाजत होगी. साथ ही छात्र उस बोर्ड परीक्षा में उपस्थित हो सकता है जिसके लिए वह तैयार महसूस कर रहा हो.

ये भी दिया गया है सुझाव : विज्ञान एवं अन्य विषयों का मूल्यांकन प्रदर्शन आधारित अर्थात प्रयोग करने से जुड़ा होना चाहिए. विषय में इसका 20-25 प्रतिशत महत्व हो.

नए पाठ्यचर्या ढांचे के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं रट्टा लगाने की क्षमता के मुकाबले छात्र-छात्राओं की समझ और दक्षता के स्तर का मूल्यांकन करेंगी. पाठ्य पुस्तकों की कीमतों में कमी लाने का भी सुझाव.

अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन होगा :स्कूलों में माध्यमिक स्तर के छात्रों को विषयों से संबंधित समझ बढ़ाने के लिए अब 'अतिरिक्त कक्षाएं' (एडिशनल एनरिचमेंट पीरियड) होंगे. नियमित कक्षा के बाद हर रोज शाम को और दो शनिवार को इनका आयोजन किया जाएगा हालांकि ये 'वैकल्पिक होंगी.

एनईपी के दस्तावेज के अनुसार, स्कूलों में माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए कक्षा के बाद हर रोज शाम में और दो कामकाजी शनिवार को ‘अतिरिक्त कक्षाओं’ (एडिशनल इंरिचमेंट पीरियड) का आयोजन किया जाएगा, जो वैकल्पिक होगा. इसमें कहा गया है कि इससे छात्र पाठ्यक्रम से जुड़े विषयों के बारे में बेहतर समझ बनाने के लिए अतिरिक्त समय का उपयोग कर सकेंगे.

ये भी पढ़ें-

कर्नाटक सरकार ने एनईपी को रद्द किया, नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए बनाई समिति

(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)

ABOUT THE AUTHOR

...view details