धनतेरस के बाद और दीपावली के पहले नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है. अबकी बार नरक चतुर्दशी अथवा छोटी दीपावली 23 अक्टूबर को मनायी जाएगी. नरक चतुर्दशी के दिन 14 दिए जलाने की परंपरा बताई जाती है. हर एक दीपक का अपना महत्व होता है. कुछ दीपक घर के अंदर तो कुछ घर के बाहर जलाए जाते हैं. कुछ जगहों पर मान्यता है कि कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी अथवा छोटी दीपावली पर हमेशा विषम संख्या में अर्थात् 7,11, 13, या 17 की संख्या में दिए जलाने चाहिए. वहीं कई जगहों पर नरक चतुर्दशी अथवा छोटी दीपावली में 14 दीपक अनिवार्य रुप से जलाने के लिए कहे जाते हैं.
नरक चतुर्दशी अथवा छोटी दीपावली में जलाए जाने वाले 14 दीपकों की अलग मान्यता व महत्ता है. इसीलिए आज भी गांवों व शहरों में अपनी परंपरा के हिसाब से इसको निभाया जाता है. 14 दीपक जलाने को लेकर लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की परंपराएं और मान्यताएं हैं. आपको बता दें कि लोग हर एक दीपक को खास कारणों से खास तरह के लाभ के लिए जलाते हैं. इससे अलग अलग तरह के लाभ होते हैं...
पहला दीपक- नरक चतुर्दशी के दिन रात में सोते वक्त यम का दीया जलाया जाता है. यह दीपक पिछले साल के पुराने मिट्टी के दीपक में जलाया जाता है. इसमें सरसों का तेल डालकर उसे घर से बाहर दक्षिण की ओर मुंह करके कूड़े के ढेर के पास रखा जाता है.
दूसरा दीपक- किसी सुनसान देवालय में रखे जाने का प्राविधान है. यह दीपक घी का जलाया जाता है. इसे लोग कर्ज से मुक्ति के लिए जलाते हैं. ऐशे लोग जिनका कारोबार है या जिनके उपर अधिक कर्ज है, उन्हें यह दीपक जरुर जलाना चाहिए.
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तीसरा दीपक- माता लक्ष्मी के समक्ष जलाते हैं. लक्ष्मी माता हमारे घर व रोजगार में धन, वैभव और संपदा लाने में मदद करती हैं.
चौथा दीपक- माता तुलसी के समकक्ष जलाते हैं. माता तुलसी हमारे परिवार को कई तरह से सुरक्षित रखती हैं. यह दीपक परिवार में विघटन से बचाने के लिए जलाया जाता है.
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पांचवा दीपक- इस दीपक को अपने दरवाजे पर जलाते हैं, जहां से सारी चीजें हमारे घर में प्रवेश करती हैं. यह दीपक हमारे घर के अंदर उन्नति व विकास के पथ को रोशनी देता है.
छठवां दीपक- पीपल के पेड़ के नीचे चलाने की कोशिश करते हैं, जो प्राण वायु देने वाले वृक्ष को नमन करने के लिए किया जाता है. साथ ही इसे कुछ जगहों पर बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के नाम पर पीपल या वट वृक्ष के नीचे जलाते हैं.