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देशभर के चुनाव में इस्तेमाल होती है यहां बनी अमिट स्याही

देश में सभी चुनावों के लिए अमिट स्याही की आपूर्ति करने वाली मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी (Mysore Paints and Varnish Ltd ) अब अमृत महोत्सव (75 वर्ष) मना रही है. कंपनी कैसे बढ़ी, क्या बदलाव आया है, स्याही की आपूर्ति और कंपनी से आय के बारे में आइए जानते हैं सबकुछ इस खबर में.

Mysore Paints and Varnish Ltd
इस कंपनी में बनी अमिट स्याही

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Published : Nov 26, 2022, 9:46 PM IST

मैसूर:देश में सभी चुनावों के लिए अमिट स्याही की आपूर्ति करने वाली मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी की शुरुआत आजादी से पहले 1937 में मैसूर डायनेस्टी के नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार ने मैसूर लाख फैक्ट्री के नाम से की थी. 1947 में कारखाने का नाम बदलकर मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कर दिया गया. इसमें सीलिंग वैक्स के साथ पेंट का उत्पादन शुरू करते हुए सार्वजनिक शेयर भी हैं.

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1962 के बाद देश में सभी सार्वजनिक चुनावों और राज्य चुनावों के लिए अमिट स्याही की आपूर्ति करने वाला यह एकमात्र सरकारी कारखाना है. पिछले 12 वर्षों से ये कंपनी फायदे में चल रही है. देश के चुनाव आयोग और राज्य के चुनाव आयोग को किसी भी चुनाव के लिए अमिट स्याही इसी कंपनी से मिलती है.

कंपनी के अन्य उत्पाद:औद्योगिक कोटिंग और मिश्रित उत्पाद कंपनी के अन्य प्रमुख उत्पादन हैं. इन उत्पादों की आपूर्ति भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, दक्षिण पश्चिम रेलवे जैसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर अनुसंधान और विकास संस्थानों, सेंट्रल सेरीकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मैसूर और कर्नाटक राज्य सरकार सार्वजनिक उद्यम जैसे राज्य सड़क परिवहन निगम, कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन, हट्टी गोल्ड माइंस (रायचूर में), तमिलनाडु सार्वजनिक उद्यम, निगम और अन्य निजी क्षेत्र के उद्योग जैसे जे.के. टायर्स, ऑटोमोटिव एक्सल आदि को की जाती है.

मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी के प्रबंध निदेशक कुमारस्वामी ने ईटीवी भारत से कंपनी के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि 'इस संगठन का एक और गौरव यह है कि यह एकमात्र सार्वजनिक उद्यम है जो अन्य देशों को अमिट स्याही का निर्यात करता है. कंपनी ने 1978 में निर्यात करना शुरू किया और अब 30 से अधिक देशों को निर्यात करती है. इसके अलावा यह 91.39 फीसदी कर्नाटक सरकार और 8.61 फीसदी जनता की साझेदारी से चल रहा है. यह पिछले 12 वर्षों से फायदे में है. 2021-22 में इसने 32 करोड़ रुपए का कारोबार कर 6.80 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है.'

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