बेतियाःछठ पूजा को महापर्व कहा जाता है, क्योंकि इसमें कोई ऊंच-नीच, धर्म-मजहब कोई मायने नहीं रखता है. पूरे समाज के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण बेतिया में देखने को मिला. बेतिया में एक मुस्लिम परिवार है, जो 15 साल से छठी मईया की पूजा करता है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए व्रती ने छठी मईया की महिमा के बारे में बखान किया.
बेतिया में मुस्लिम परिवार करता है छठः हम बात कर रहे हैं पश्चिम चम्पारण जिले के चनपटिया प्रखंड की महनाकुली गांव की. इस गांव की निवासी हारून मियां का परिवार में धूमधाम से छठ पूजा का आयोजन किया जाता है. इस परिवार में मां-बेटी छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ करती हैं. हर उस विधि का पालन करती है, जिसे छठ पर्व में एक हिंदू परिवार में किया जाता है. इनका मानना है कि लोक आस्था का महापर्व छठ धर्म और जाति से ऊपर है.
पुत्र प्राप्ति की मन्नत हुई पूरीः हारून मियां का परिवार पिछले 15 वर्षों से छठ पूजा कर रही है. पत्नी सलीना खातून और पुत्री रेहाना छठ करती हैं. हारून मियां पत्नी सलिना बता रही हैं कि शादी के कई वर्ष बीत जाने के बाद उसकी 4 पुत्रियां शहनाज खातून, सैरुन खातून, सहाबुन, अंजुम खातून का जन्म हुआ. पति-पत्नी को एक पुत्र की लालसा थी. करीब 12 वर्ष पहले गांव की महिलाओं को अपने घर के सामने से छठ घाट पर जाते देखा तो वह भी वहां गई. छठ माता से पुत्र की मन्नत मांगी. मन्नत पूरी होने पर व्रत करने लगी.
"शादी के बाद 4 बेटियां हुई. पुत्र की लालसा थी. छठी मईया से मन्नत मांगे तो पूरी हुई, तभी से व्रत कर रही हूं. 15 साल से लगातार व्रत कर रही हूं."सलिना खातून
बेटे को मिला जीवनदान: हारून मियां की बेटी रेहाना अपनी मां को देख वह भी छठ करने लगी. रेहाना का मानना है कि छठ मईया की कृपा से उसके पुत्र को जीवनदान मिला है. 8 वर्ष पहले रेहाना का डेढ़ वर्षीय पुत्र नौसाद खेल-खेल में एक रुपये का सिक्का निगल लिया. इससे घबराए परिवार वाले उसे बेतिया व मोतिहारी इलाज कराने के लिए ले गए, लेकिन सफलता नही मिली. रेहाना ने छठ घाट पर जाकर पुत्र को ठीक करने की गुहार लगाई. इसके बाद वह ठीक हो गया. तभी से व्रत कर रही है.