मुंबई: मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमले को कल 15 साल हो जाएंगे. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के पड़ोस में सेंट जॉर्ज अस्पताल के सामने छोटू चायवाला के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक शेख 26/11 के आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए थे.
छोटू चायवाला ने कहा कि उन्हें आज भी वह काली रात याद है जब पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब और इस्माइल खान ने लोगों पर गोलियां चलाकर उन्हें मार डाला था. कई लोग घायल हो गए थे. छोटू ने बताया कि 'जब मैं छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर चाय के पैसे लेने गया तो वहां मेरी जान ही निकल गई. लेकिन मैं हजारों नागरिकों की जान बचा सका.'
छोटू चायवाले के सामने पंद्रह साल पहले की वो कड़वी यादें ताजा हो गईं. छोटू की 26/11 की बहादुरी के लिए उसे 27 पुरस्कार और कुछ वित्तीय सहायता मिली.
'मैं बिहार के डुमरी गांव से हूं. जब मैं दस साल का था, तब मेरी मां के निधन के बाद मैं बिहार छोड़कर मुंबई आ गया. अब 39 साल की उम्र तक मुंबई में हूं. मेरी दोनों बेटियां 7वीं और 9वीं कक्षा में पढ़ रही हैं. रेलवे और राज्य सरकार ने मदद के कई वादे किए लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया. मुंबई में हुआ ये भयानक हमला कहीं और नहीं दोहराया जाना चाहिए.'-मोहम्मद तौफीक शेख (छोटू चायवाला)
क्या हुआ था उस रात :छोटू चायवाला ने कहा, 'मैं रात 9 बजे के आसपास दिन की चाय के पैसे इकट्ठा करने गया था. मैं प्लेटफॉर्म नंबर 21 से 26 पर पैसे इकट्ठा करने जा रहा था. तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी. मुझे लगा कि पटाखे हैं क्योंकि उसी समय भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्रिकेट मैच चल रहे थे. अगले ही पल मैंने विस्फोट और गोलियों की आवाज सुनी. मैं यह देखने गया कि शोर क्या था और मैंने दो लोगों को बड़ी बंदूकों से लैस देखा. पहले मुझे लगा कि यह कमांडो हैं, जो लोगों को गोली मार रहे हैं. एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं भी मर जाऊंगा, इसलिए मैंने अपनी पत्नी को फोन किया और उससे कहा कि मैं घर वापस नहीं आ पाऊंगा.'