नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते ही दोनों सदनों की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि संसद सत्र का आगाज सरकार ने अलोकतांत्रिक ढंग से किया और सत्र का समापन भी अलोकतांत्रिक तरीके से हुआ. राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हम चाहते थे कि किसानों, मजदूरों, युवाओं, बेरोजगारी, पेगासस और कई मुद्दों पर चर्चा हो. लेकिन जिस सदन शुरू हुआ उसी दिन हमारे 12 सदस्यों को निलंबित किया गया और यह असंवैधानिक था. इस मुद्दे पर हमने सभापति से बात की, सरकार से बात की और सदन में बार-बार इसे उठाया. सभी विपक्षी दलों ने एक होकर यह लड़ाई लड़ी.'
खड़गे ने कहा, 'सदन के नेता (पीयूष गोयल) से कहा था कि मैं सभी निलंबित सदस्यों की ओर से खेद प्रकट करने के लिए तैयार हूं. उन्होंने हमारी बात नहीं मानी. उनकी मंशा यह थी कि हर विधेयक को बिना चर्चा के पारित करा लिया जाए.'
बहुमत जुटाने के लिए निलंबन, सरकार ने की साजिश
उन्होंने दावा किया, 'सत्र की शुरुआत के समय राज्यसभा में विपक्ष के कुल 120 सांसद और राजग के सांसदों की संख्या 118 थी. उनको लगा कि अगर किसी विधेयक पर वोटिंग हुई तो वो क्या करेंगे क्योंकि वो अल्पमत में हैं. इसी वजह से उन्होंने सत्र के पहले दिन लोगों को निलंबित करा दिया. उनका प्रयास यह था कि उनके पास बहुमत हो जाए. यह सरकार की एक साजिश थी.'
खड़गे ने कहा, एक 'उपयोगी मुख्यमंत्री' की बनाई एसआईटी ने कहा कि लखीमपुर खीरी घटना साजिश थी. इस साजिश के बारे में पूछना चाहते थे. इस साजिश में मंत्री का पुत्र शामिल था. हमने मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा मांगा, लेकिन सरकार ने यह मांग भी नहीं मानी.
सदन में व्यवधान के पीछे सरकार की जिद
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हमने मांग की थी कि नैतिकता के आधार पर अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाना चाहिए था. हमने इस विषय पर चर्चा की मांग की थी. लेकिन मांग नहीं मानी गई है.' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की जिद के चलते सदन में व्यवधान पैदा हुआ.
बुधवार को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद ईटीवी भारत संवाददाता नियामिका सिंह ने सैयद नासिर हुसैन से बात की. कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने आरोप लगाया कि विपक्ष की ताकत को कम करने के लिए सरकार ने 12 सदस्यों को निलंबित करने का कदम उठाया. उन्होंने कहा, वे वास्तव में बहस को छोड़कर और विधेयकों को पारित करने के लिए विपक्षी सांसदों की संख्या कम करना चाहते थे. उन्होंने यही किया.
हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार की कार्यप्रणाली पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि 2014 से ही इस सरकार का चरित्र विपक्ष की ताकत कमजोर करने का रहा है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी नरेंद्र मोदी द्वारा ऐसा ही किया जा रहा था.
चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बारे में हुसैन ने जवाब दिया, इस पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष में रहते हुए आधार कार्ड का विरोध किया था. यह अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक है. हम इसे केवल प्रवर समिति को भेजना चाहते थे ताकि इस पर गहन चर्चा की जा सके, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.