भोपाल।सोचिए एक चूहा पकड़ने में अधिकतम कितनी राशि खर्च होनी चाहिए. जवाब होगा कि अधिकतम भी खर्च किए तो 10 से 100 रुपए, लेकिन जब बात लाखों रुपए में निकल जाए तो आश्चर्य तो होगा ही. लेकिन यह सच है. ऐसा हुआ है रेलवे के लखनऊ मंडल में, जहां बीते तीन साल में 168 चूहों को पकड़ने पर रेलवे ने 69.5 लाख रुपये खर्च कर डाले. यानी एक चूहे को पकड़ने का खर्च 41 हजार रुपए आया. यह खुलासा एमपी के आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी के बाद हुआ. उन्होंने एक साथ देश 5 रेल मंडल से यह जानकारी मांगी थी. इनमें दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरैदाबाद शामिल हैं. यह सभी पांच मंडल उत्तर रेलवे के अंतर्गत आते हैं. हालांकि जानकारी केवल लखनऊ मंडल ने दी.
चूहे पकड़ने का जिम्मा अंबाला डिवीजन को :गौरतलब है कि रेलवे में चूहे व कीट पतंगों को पकड़ने व उनसे बचाव का जिम्मा उत्तर रेलवे में अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है. यह राशि मंडल के स्वामित्व में चलने वाली ट्रेनों पर खर्च की गई है. आरटीआई में मांगी गई जानकारी में अब तक फिरोजपुर और मुरादाबाद मंडल ने कोई जवाब नहीं दिया है. अम्बाला और दिल्ली डिविजनों के उत्तर सवालों से भागने वाले दिखाई दिए.
अन्य स्थानों से ये जवाब मिला :इनमें से अंबाला डिवीजन की तरफ से जवाब दिया गया है कि अप्रैल 2020 से मार्च 2023 के बीच उनके यहां कीट नियंत्रण, चूहा नियंत्रण और फ्यूमीगेशन ट्रीटमेंट पर कुल 39.3 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया कि चूहा पकड़ने पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं. बाकी जगहों से कहा गया है कि चूहा नियंत्रण के लिए अलग से खर्च नहीं किया गया है और न ही पकड़े गए चूहों का कोई रिकार्ड है. दिल्ली डिविजन का जवाब और भी रूखा था. उन्होंने जवाब दिया कि पैसेंजर ट्रेनों में कीट और चूहों के नियंत्रण के लिए एक अनुबंध चल रहा है, लेकिन अन्य कोई जानकारी नहीं दी गई.